"नियुक्ति के लिए जाली जाति प्रमाण पत्र का जमा किया गया": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी शिक्षक की सेवा की समाप्ति के आदेश को बरकरार रखा

LiveLaw News Network

17 Dec 2021 5:41 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा एक महिला सरकारी शिक्षक की सेवा समाप्त करने के आदेश को बरकरार रखा, जिसने अपनी नियुक्ति के लिए जाली जाति प्रमाण पत्र का जमा किया था।

    यह देखते हुए कि अपने आवेदन में, एक महिला सरकारी शिक्षक ने अपनी जाति को 'अंसारी' बताया था, लेकिन उसने नियुक्ति हासिल करते समय अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित जाति प्रमाण पत्र जमा कर दिया था, न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने उसके बर्खास्तगी आदेश को बरकरार रखा।

    पूरा मामला

    याचिकाकर्ता/महिला को नवंबर 1999 में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, हरदोई द्वारा इस शर्त के साथ नियुक्ति दी गई थी कि भविष्य में यदि याचिकाकर्ता द्वारा दी गई कोई जानकारी या उसके द्वारा प्रस्तुत कोई भी दस्तावेज गलत या जाली पाया जाएगा, तो उसकी सेवाएं तत्काल समाप्त किये जाने योग्य होगा।

    याचिकाकर्ता ने अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित अपना जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था। तत्पश्चात, हरदोई के जिला मजिस्ट्रेट को एक शिकायत की गई जिसमें कहा गया था कि याचिकाकर्ता एक मुसलमान है और उसकी सेवा पुस्तिका में, उसके धर्म का उल्लेख 'इस्लाम' के रूप में किया गया था और फिर भी चयन और नियुक्ति के समय उसने जो जाति प्रमाण पत्र जमा किया था, इसके अनुसार वह अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित है।

    प्रथम दृष्टया यह देखने के साथ कि उसने जाली और मनगढ़ंत जाति प्रमाण पत्र जमा करके धोखाधड़ी करके नियुक्ति प्राप्त की थी। स्पष्टीकरण के लिए एक नोटिस जारी किया गया। हालांकि, याचिकाकर्ता ने आरोपों के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया और इस प्रकार, उसकी सेवाएं समाप्त कर दी गई।

    उसी को चुनौती देते हुए, उसने यह कहते हुए हाईकोर्ट का रुख किया कि उसने नौकरी हासिल करने के लिए कभी भी जाति प्रमाण पत्र जमा नहीं किया था।

    कोर्ट की टिप्पणियां

    अदालत ने मूल रिकॉर्ड को देखते हुए पाया कि याचिकाकर्ता ने वास्तव में 1995 में तहसीलदार, सदर, लखनऊ के कार्यालय द्वारा कथित रूप से जारी जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें कहा गया था कि याचिकाकर्ता अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित है।

    कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि उसने अपने आवेदन में अपनी जाति को 'अंसारी' बताया है, लेकिन उसने अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित जाति प्रमाण पत्र जमा किया था।

    इस प्रकार, यह कहते हुए कि धोखाधड़ी सहायक शिक्षक के पद पर याचिकाकर्ता की नियुक्ति को समाप्त कर देती है और इसे शुरू से ही शून्य मानती है, कोर्ट निम्नलिखित निष्कर्ष पर पहुंचा;

    "अभिलेख के अवलोकन एवं विरोधी पक्षों के पक्ष से यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता ने फर्जीवाड़ा कर सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति प्राप्त की तथा अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित जाली एवं मनगढ़ंत जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया।"

    कोर्ट को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, हरदोई द्वारा पारित आक्षेपित आदेश में कोई त्रुटि नहीं मिली और कोर्ट ने रिट याचिका खारिज कर दी।

    केस का शीर्षक - मुन्नी रानी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के माध्यम से अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा एवं अन्य

    आदेश की कॉपी पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें:

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