सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में छत्तीसगढ़ में हुए NCP नेता राम अवतार जग्गी की हत्या के दो दोषियों की सजा निलंबित की

Update: 2024-11-26 12:12 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में 2003 में हुई राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता राम अवतार जग्गी की हत्या के दोषी दो लोगों की उम्रकैद की सजा मंगलवार को निलंबित कर दी।

अदालत ने दोषियों फिरोज सिद्दीकी और अभय गोयल की सजा को निलंबित कर दिया और आदेश दिया कि ट्रायल कोर्ट द्वारा तय किए जाने वाले नियमों और शर्तों पर अपील के लंबित रहने के दौरान उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए।

हालांकि अदालत ने याह्या ढेबर नाम के एक अन्य दोषी की सजा को निलंबित करने से इनकार कर दिया। अन्य दोषियों द्वारा उनकी सजा को निलंबित करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर नौ दिसंबर को सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। सीनियर एडवोकेट डॉ अभिषेक मनु सिंघवी, सिद्धार्थ अग्रवाल, एस नागमुथु आदि कुछ आवेदकों के लिए उपस्थित हुए।

इस साल अप्रैल में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मामले में 28 व्यक्तियों की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा था।

एनसीपी के कोषाध्यक्ष जग्गी की चार जून 2003 को गाड़ी चलाते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या ने राज्य में 2003 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले राजनीतिक उथल-पुथल मचा दी थी।

हाईकोर्ट ने कहा कि यह अपराध कांग्रेस पार्टी के दो अत्यधिक महत्वाकांक्षी राजनीतिक नेताओं के बीच "राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की शूटिंग" था, जिनमें से एक ने छत्तीसगढ़ राज्य में एक नई पार्टी यानी एनसीपी बनाई थी।

उन्होंने कहा, ''तत्कालीन मुख्यमंत्री (अजीत जोगी) का प्रयास राकांपा को सत्ता में आने से रोकना था। हालांकि तत्कालीन मुख्यमंत्री को इस मामले में आरोपी नहीं बनाया गया था, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने कहा है कि दोषी अभियुक्तों/अपीलकर्ताओं ने अपने गुरु यानी तत्कालीन मुख्यमंत्री के प्रति समर्पण दिखाने के लिए साजिश रची थी और मुख्यमंत्री की जानकारी के बिना अपराध किया था। मृतक राकांपा के कोषाध्यक्ष थे और उन्हें बाहर करने के लिए उठाया गया क्योंकि धमकी दिए जाने के बाद भी उन्होंने अपना राजनीतिक अभियान नहीं रोका।

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