सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को राम नवमी जुलूस मार्गों पर बिजली आपूर्ति बंद करने की अनुमति दी, करंट से बचाव के लिए दिया आदेश

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Update: 2025-04-04 12:17 GMT
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को राम नवमी जुलूस मार्गों पर बिजली आपूर्ति बंद करने की अनुमति दी, करंट से बचाव के लिए दिया आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने आज (4 अप्रैल) झारखंड सरकार को आगामी राम नवमी जुलूस के दौरान बिजली आपूर्ति बंद करने की अनुमति दी, ताकि लंबे डंडे और झंडे लेकर चलने वाले लोगों के कारण संभावित करंट लगने की घटनाओं को रोका जा सके।

झारखंड सरकार ने झारखंड हाई कोर्ट के उस स्वतः संज्ञान आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें त्योहारों के दौरान बिजली कटौती पर रोक लगाई गई थी।

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने हाई कोर्ट के आदेश में संशोधन करते हुए राम नवमी जुलूस के मार्गों पर बिजली कटौती की अनुमति दी। साथ ही, राज्य सरकार को निर्देश दिया कि बिजली कटौती केवल जुलूस मार्गों तक ही सीमित रखी जाए और इसे न्यूनतम अवधि तक सीमित किया जाए। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि बिजली कटौती के दौरान अस्पतालों को निर्बाध रूप से बिजली आपूर्ति जारी रखी जाए।

इसके अलावा, झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) के प्रमुख को हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया कि बिजली कटौती न्यूनतम समय के लिए होगी और अस्पतालों की आपूर्ति प्रभावित नहीं होगी।

यह संशोधन सिनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल द्वारा प्रस्तुत तर्क के बाद किया गया, जिसमें उन्होंने बताया कि राज्य पिछले 20 वर्षों से त्योहारों के दौरान बिजली कटौती करता आ रहा है ताकि करंट लगने की घटनाओं को रोका जा सके, क्योंकि जुलूसों में कई लोग लंबे झंडे लेकर चलते हैं।

हाईकोर्ट ने स्थानीय निवासियों द्वारा त्योहारों के दौरान झारखंड बिजली वितरण निगम (JBVNL) की बिजली कटौती का सामना करने पर स्वतः संज्ञान लेते हुए आदेश पारित किया था।

राज्य सरकार द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए प्रस्तुत किया गया था। राज्य सरकार ने राम नवमी निकट होने के कारण इस मामले की त्वरित सुनवाई की मांग की, जिसके बाद CJI ने आज ही इस पर सुनवाई करने पर सहमति जताई।

हाई कोर्ट ने झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) को आदेश दिया था कि जब तक कोई गंभीर आपात स्थिति, जैसे अत्यधिक खराब मौसम, न हो, तब तक बिजली आपूर्ति को लंबे समय तक बंद न किया जाए, जैसा कि 1 अप्रैल को सरहुल त्योहार के दौरान किया गया था।

यह आदेश चीफ जस्टिस एम.एस. रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने पारित किया था। खंडपीठ ने यह भी देखा कि सरहुल त्योहार के दौरान दोपहर 1 बजे से रात 11 बजे तक 5-10 घंटे की बिजली कटौती चिंता का विषय है। अदालत ने इस मामले में एडवोकेट जनरल से जवाब मांगा और अगली सुनवाई की तारीख 9 अप्रैल तय की।

अदालत ने आगे कहा कि इस तरह की बिजली कटौती वरिष्ठ नागरिकों, बीमार लोगों, परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों, गर्भवती महिलाओं और यहां तक कि अस्पतालों के लिए भी गंभीर रूप से हानिकारक होगी। "यह निर्विवाद है कि आज के समय में बिजली आपूर्ति एक आवश्यक सेवा है।"

"गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है, ऐसे में JBVNL द्वारा बिजली आपूर्ति बंद करने से शहर के निवासियों, विशेष रूप से बुजुर्गों, बीमार लोगों, छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के जीवन पर अधिक प्रभाव पड़ता है। साथ ही, इससे व्यवसाय बंद करने पड़ते हैं, जिससे कारोबार करने वाले लोगों को राजस्व की हानि होती है। यह निजी और सरकारी अस्पतालों में मरीजों के इलाज को भी प्रभावित करेगा।"

हाई कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि जुलूस के आयोजक ऐसे लंबे डंडे या झंडे न ले जाएं, जो बिजली आपूर्ति में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।

हाईकोर्ट के आदेश के प्रासंगिक भाग में कहा गया, "राज्य के अधिकारी, जो त्योहारों या अन्य अवसरों पर ऐसे जुलूसों की अनुमति देते हैं, उन्हें इन डंडों/झंडों की उपयुक्त ऊंचाई/लंबाई तय करनी चाहिए ताकि वे JBVNL द्वारा लगाए गए बिजली के तारों के संपर्क में न आएं।"

"इसलिए, अगली सुनवाई तक, प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाता है कि वे तुरंत यह तय करें कि जुलूस में ले जाए जाने वाले डंडों/झंडों की अधिकतम ऊंचाई/लंबाई कितनी हो सकती है। इसके अलावा, वे इस नियम को सभी जुलूस आयोजकों को तुरंत सूचित करें और यह सुनिश्चित करें कि सभी आयोजक इसका पालन करें।"

"प्रतिवादी JBVNL को भी निर्देश दिया जाता है कि भविष्य में 01.04.2025 जैसी बिजली कटौती न करे, जब तक कि कोई गंभीर आपातकालीन स्थिति, जैसे अत्यधिक खराब मौसम, इसके लिए आवश्यक न हो।"

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