सुप्रीम कोर्ट

AMU Case | 1920 में मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं थे दलील पर सुप्रीम कोर्ट का जवाब, वर्तमान मानक प्रासंगिक
AMU Case | '1920 में मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं थे' दलील पर सुप्रीम कोर्ट का जवाब, वर्तमान मानक प्रासंगिक

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (30 जनवरी) को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यह मुद्दा कि क्या कोई समूह 'अल्पसंख्यक' है, का निर्णय वर्तमान मानकों के आधार पर किया जाना चाहिए, न कि उस स्थिति के आधार पर जो भारत के संविधान के लागू होने से पहले मौजूद थी।सात न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ की यह टिप्पणी सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी की उस दलील के जवाब में आई जिसमें उन्होंने कहा था कि ब्रिटिश शासन के दौरान 1920 में एएमयू की स्थापना के समय मुस्लिम...

न्यायिक अधिकारियों की गरिमा और प्रतिष्ठा बनाए रखने की जरूरत: सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले में वकील की सजा बरकरार रखी
'न्यायिक अधिकारियों की गरिमा और प्रतिष्ठा बनाए रखने की जरूरत': सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले में वकील की सजा बरकरार रखी

सुप्रीम कोर्ट ने 17 साल पुराने आपराधिक अवमानना मामले में वकील को दोषी ठहराते हुए दोहराया कि माफी अवमाननापूर्ण कृत्यों के लिए पश्चाताप का सबूत होनी चाहिए। इसका उपयोग 'दोषियों को उनके अपराध से मुक्त करने के लिए' हथियार के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा, ईमानदारी की कमी और पश्चाताप का सबूत न देने वाली माफी को स्वीकार नहीं किया जा सकता।जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ वकील गुलशन बाजवा की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट (19 अक्टूबर 2006) ने आपराधिक अवमानना...

AMU राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है, अल्पसंख्यक दर्जा एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण को बाहर कर देगा : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया
AMU राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है, अल्पसंख्यक दर्जा एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण को बाहर कर देगा : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) की अल्पसंख्यक स्थिति से संबंधित मामले में, केंद्र सरकार ने मंगलवार (30 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि राष्ट्रीय महत्व के संस्थान को उस राष्ट्रीय संरचना को प्रतिबिंबित करना चाहिए।इस बात पर जोर देते हुए कि एएमयू राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है, भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय से इस मुद्दे का सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण से विश्लेषण करने का अनुरोध किया, ताकि एससी/एसटी/एसईबीसी वर्गों से संबंधित छात्र भी इस तक पहुंच प्राप्त कर सकें। एसजी ने रेखांकित...

जेल सुधार | सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में बुनियादी ढांचे पर रिपोर्ट बनाने के लिए देश भर में समितियों के गठन का निर्देश दिया
जेल सुधार | सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में बुनियादी ढांचे पर रिपोर्ट बनाने के लिए देश भर में समितियों के गठन का निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में जेलों में भीड़भाड़ के मुद्दे को संबोधित करने के लिए शुरू की गई जनहित याचिका (पीआईएल) में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को जिला-स्तरीय समितियों का गठन करने का निर्देश दिया, जो जेलों में उपलब्ध बुनियादी ढांचे का आकलन और रिपोर्ट करेंगी और मॉडल जेल मैनुअल, 2016 के संदर्भ में आवश्यक अतिरिक्त जेलों की संख्या पर निर्णय देंगी।जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए अमानुल्लाह की खंडपीठ ने आदेश दिया कि राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारें अदालत के आदेश की प्राप्ति की तारीख से 1...

सुप्रीम कोर्ट ने कथित जबरन धर्म परिवर्तन को लेकर यूपी पुलिस की एफआईआर में शुआट्स वीसी, अधिकारियों को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत प्रदान की
सुप्रीम कोर्ट ने कथित जबरन धर्म परिवर्तन को लेकर यूपी पुलिस की एफआईआर में शुआट्स वीसी, अधिकारियों को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत प्रदान की

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को (30 जनवरी को) एक महिला के कथित जबरन धर्म परिवर्तन से संबंधित मामले में सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइंस (SHUATS) के कुलपति और अन्य अधिकारियों (वर्तमान अपीलकर्ताओं) को दी गई अंतरिम रोक बढ़ा दी। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने यूपी राज्य को एक सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया। मामला तीन सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया गया है।अदालत एक महिला को नौकरी और अन्य प्रलोभन देकर ईसाई धर्म अपनाने के लिए...

सुप्रीम कोर्ट ने वकील के खिलाफ रिपोर्ट के लिए अखबार मालिक के खिलाफ मानहानि मामला रद्द किया
सुप्रीम कोर्ट ने वकील के खिलाफ रिपोर्ट के लिए अखबार मालिक के खिलाफ मानहानि मामला रद्द किया

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में वकील के खिलाफ प्रकाशित लेख पर अखबार के मालिक के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला रद्द कर दिया।मध्य प्रदेश स्थित 'संडे ब्लास्ट' नाम के दैनिक समाचार पत्र के मालिक के खिलाफ मानहानि मामला दायर किया गया, जिसमें 2013 में "एडवोकेट ने पान मसाला व्यवसायी पर कराया झूठा मामला दर्ज" शीर्षक से रिपोर्ट प्रकाशित की थी।हालांकि, न्यायिक मजिस्ट्रेट ने शिकायत खारिज कर दी, लेकिन सत्र न्यायालय ने इसे बहाल कर दिया। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भी शिकायत की बहाली बरकरार रखी, जिसके बाद आरोपी ने...

Children Of Jammu and Kashmir From Continuing Education
जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट शटडाउन से संबंधित पुनर्विचार समिति के आदेश प्रकाशित करें: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू और कश्मीर में इंटरनेट शटडाउन के संबंध में पुनर्विचार समिति के आदेशों को प्रकाशित करने का आह्वान किया।जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने यह टिप्पणी फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स द्वारा दायर आवेदन के जवाब में की, जिसमें अदालत के मई, 2020 के फैसले के अनुपालन के लिए दबाव डाला गया। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट प्रतिबंधों की आवश्यकता का आकलन करने के लिए विशेष समिति के गठन का निर्देश दिया- जिसमें गृह मंत्रालय के सचिव, संचार विभाग के सचिव और केंद्र शासित...

सीआरपीसी की धारा 391 | जो पक्ष ट्रायल में मेहनत नहीं करता, वह अपील के चरण में अतिरिक्त सबूत पेश करने की मांग नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट
सीआरपीसी की धारा 391 | जो पक्ष ट्रायल में मेहनत नहीं करता, वह अपील के चरण में अतिरिक्त सबूत पेश करने की मांग नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो पक्षकार किसी आपराधिक मामले की सुनवाई के चरण में सबूत पेश करने में मेहनती नहीं होता, वह उसे अपील में पेश करने की कोशिश नहीं कर सकता।जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने कहा कि अपीलीय चरण में अतिरिक्त साक्ष्य दर्ज करने की शक्ति का प्रयोग नियमित और आकस्मिक तरीके से नहीं किया जाना चाहिए। ऐसी शक्ति का प्रयोग केवल तभी किया जाएगा, जब साक्ष्य दर्ज न करने से न्याय में विफलता हो सकती है।कोर्ट ने कहा,“हम ध्यान दे सकते हैं कि इस न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों की...

गोवा में निजी वनों की पहचान के लिए मौजूदा मानदंड वैध, किसी बदलाव की आवश्यकता नहीं: सुप्रीम कोर्ट
गोवा में निजी वनों की पहचान के लिए मौजूदा मानदंड वैध, किसी बदलाव की आवश्यकता नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गोवा में निजी 'वनों' की पहचान के लिए मानदंडों में संशोधन के लिए दायर अपीलों में हाल ही में फैसला सुनाया कि मौजूदा मानदंड पर्याप्त और वैध हैं, और किसी बदलाव की आवश्यकता नहीं है।जस्टिस बीआर गवई, अरविंद कुमार और प्रशांत कुमार मिश्रा की तीन-न्यायाधीश पीठ ने कहा, "...गोवा राज्य में निजी वनों की पहचान और सीमांकन से संबंधित मुद्दे को तीन मानदंडों पर अंतिम रूप दिया गया है, जैसा कि ऊपर बताया गया है, वन वृक्ष संरचना, सन्निहित वन भूमि और न्यूनतम क्षेत्र पांच हेक्टेयर और चंदवा घनत्व 0.4 से...

क्या मुस्लिम लॉ के तहत विरासत के अधिकार तय करते समय हिंदू कानून सिद्धांतों को लागू किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा
क्या मुस्लिम लॉ के तहत विरासत के अधिकार तय करते समय हिंदू कानून सिद्धांतों को लागू किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा

सुप्रीम कोर्ट यह जांचने के लिए तैयार है कि क्या मुस्लिम लॉ (Muslim Law) के तहत विरासत के अधिकारों पर फैसला करते समय हिंदू कानून के सिद्धांतों को लागू किया जा सकता है।जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने बंटवारे के मामले में नोटिस जारी करते हुए आदेश दिया: "इस मामले में निर्णय लेने के लिए मौलिक महत्व का प्रश्न यह है कि क्या मुस्लिम लॉ के तहत आने वाले विरासत के अधिकार का निर्णय करते समय हिंदू कानून के सिद्धांतों को लागू किया जा सकता है।"कोर्ट ने कानून के इस सीमित सवाल पर नोटिस...

SC/ST Act के तहत दोषसिद्धि के लिए महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने का अपराध जाति के आधार पर किया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
SC/ST Act के तहत दोषसिद्धि के लिए महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने का अपराध जाति के आधार पर किया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 (SC/ST Act) की धारा 3(1)(xi) के तहत दंडनीय अपराध के लिए सजा बरकरार नहीं रखी जा सकती, अगर जाति के आधार पर किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने का कृत्य नहीं किया गया हो।कोर्ट ने कहा,"SC/ST Act की धारा 3(1)(xi) की भाषा में प्रावधान है कि अपराध अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति पर इस इरादे से किया जाना चाहिए कि यह जाति के आधार पर किया जा रहा है।"उक्त धारा इस प्रकार है: जो कोई भी, अनुसूचित जाति या...

NI Act की धारा 138 | यदि अभियुक्त चेक पर हस्ताक्षर करने में विवाद करता है तो बैंक से नमूना हस्ताक्षर की प्रमाणित प्रति ली जा सकती है: सुप्रीम कोर्ट
NI Act की धारा 138 | यदि अभियुक्त चेक पर हस्ताक्षर करने में विवाद करता है तो बैंक से नमूना हस्ताक्षर की प्रमाणित प्रति ली जा सकती है: सुप्रीम कोर्ट

परक्राम्य लिखत अधिनियम (NI Act) की धारा 138 के तहत शिकायत में यदि अभियुक्त चेक पर हस्ताक्षर पर विवाद कर रहा है तो चेक पर दिखाई देने वाले हस्ताक्षर के साथ तुलना करने के लिए बैंक से हस्ताक्षर की प्रमाणित प्रतियां बैंक से मंगवाई जा सकती हैं।न्यायालय ने स्पष्ट किया कि चेक पर पृष्ठांकन NI Act की धारा 188 (ई) के अनुसार वास्तविकता का अनुमान लगाता है। इसलिए यह अभियुक्त पर निर्भर है कि वह हस्ताक्षरों की वास्तविकता की धारणा का खंडन करने के लिए सबूत पेश करे।कोर्ट ने कहा,"बैंक द्वारा जारी किए गए दस्तावेज़...

कुछ कानून सीखें, इस तरह की याचिकाएं दायर न करें: सुप्रीम कोर्ट ने गलत जनहित याचिका दायर करने के लिए वकील को फटकार लगाई
'कुछ कानून सीखें, इस तरह की याचिकाएं दायर न करें': सुप्रीम कोर्ट ने 'गलत' जनहित याचिका दायर करने के लिए वकील को फटकार लगाई

न्यायालय के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों को 'कोर्ट स्पेशल सेल' स्थापित करने का निर्देश देने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वकील को ऐसी याचिकाएं दायर करने से पहले कानून की मौजूदा बारीकियों से अवगत होने की सलाह दी।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा,“आप फिर वापस आ गए? पिछली बार मैंने आपसे कहा था कि ऐसी जनहित याचिकाएं दायर न करें... कोई आप पर जुर्माना लगा देगा। अब जनहित याचिका में यह निर्देश...

केंद्र सरकार की 2011 की जाति जनगणना रिपोर्ट सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान करने में अनुपयोगी: केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा
केंद्र सरकार की 2011 की जाति जनगणना रिपोर्ट सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान करने में अनुपयोगी: केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा

केरल सरकार ने राज्य में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों (SEBC) के लिए आरक्षण सूची को संशोधित करने के लिए सामाजिक-आर्थिक अध्ययन करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का जानबूझकर पालन न करने से इनकार किया।केरल राज्य की ओर से उसके मुख्य सचिव द्वारा दायर यह जवाबी हलफनामा अल्पसंख्यक भारतीय योजना और सतर्कता आयोग ट्रस्ट द्वारा शुरू की गई अवमानना याचिका के जवाब में है, जिसमें आरोप लगाया गया कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार और केरल राज्य आयोग पिछड़ा वर्ग (KSECBC) सामाजिक-आर्थिक अध्ययन के बाद आरक्षण सूची को...

अरुणाचल सीएम के परिवार को ठेके आवंटित करने के आरोप वाली याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
अरुणाचल सीएम के परिवार को ठेके आवंटित करने के आरोप वाली याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट उस जनहित याचिका पर नोटिस जारी करने पर सहमत हो गया, जिसमें अरुणाचल प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री पेमा खांडू के रिश्तेदारों के स्वामित्व वाली कंपनियों को सार्वजनिक ठेकों के कथित अनियमित आवंटन की एसआईटी जांच के निर्देश देने की मांग की गई।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ को राज्य में मुख्यमंत्री के परिवार को सार्वजनिक कार्य ठेकों के कथित मनमाने आवंटन के संबंध में पिछली लंबित एसएलपी से अवगत कराया गया।याचिकाकर्ताओं की ओर से...

मिलिट्री हॉस्पिटल में ब्लड ट्रांसफ्यूज़न के बाद HIV से पीड़ित वयोवृद्ध को मुआवजा देने में विफलता पर सुप्रीम कोर्ट ने सशस्त्र बलों से जवाब मांगा
मिलिट्री हॉस्पिटल में ब्लड ट्रांसफ्यूज़न के बाद HIV से पीड़ित वयोवृद्ध को मुआवजा देने में विफलता पर सुप्रीम कोर्ट ने सशस्त्र बलों से जवाब मांगा

पूर्व वायु सेना अधिकारी द्वारा दायर अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना से जवाब मांगा कि उन्हें मुआवजे के रूप में अदालत द्वारा आदेशित 1.6 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान क्यों नहीं किया गया। उक्त मामले में मिलिट्री हॉस्पिटल में मेडिकल लापरवाही के परिणामस्वरूप पूर्व अधिकारी HIV से संक्रमित हो गया।जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने नोटिस जारी करते हुए कार्यवाही स्थगित करने का प्रतिवादियों का अनुरोध अस्वीकार कर दिया।एएसजी विक्रमजीत बनर्जी (सशस्त्र बलों...

क्या जज ने मंत्री को आरोप मुक्त करने के लिए स्वत: संज्ञान लेने से पहले चीफ जस्टिस की मंजूरी ली थी? सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट से पूछा
क्या जज ने मंत्री को आरोप मुक्त करने के लिए स्वत: संज्ञान लेने से पहले चीफ जस्टिस की मंजूरी ली थी? सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट से पूछा

सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल (आरजी) से भ्रष्टाचार के मामले में तमिलनाडु के राजस्व मंत्री केकेएसएसआर रामचंद्रन को आरोप मुक्त करने पर अदालत के एकल न्यायाधीश द्वारा स्वत: संज्ञान लेने पर रिपोर्ट मांगी।जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने आरजी से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या रामचंद्रन की रिहाई पर स्वत: संज्ञान लेने से पहले एकल न्यायाधीश द्वारा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की पूर्व मंजूरी ली गई थी।आरजी को 5 फरवरी तक रिपोर्ट सौंपनी है।संक्षिप्त पृष्ठभूमि...

सुप्रीम कोर्ट गुजरात की अदालतों द्वारा पुलिस को अग्रिम जमानत देते समय रिमांड मांगने की छूट देने की प्रथा से हैरान; हाईकोर्ट को नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट गुजरात की अदालतों द्वारा पुलिस को अग्रिम जमानत देते समय रिमांड मांगने की छूट देने की प्रथा से हैरान; हाईकोर्ट को नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (29 जनवरी) को गुजरात की अदालतों द्वारा पुलिस को अग्रिम जमानत देते समय भी आरोपी की रिमांड मांगने की आजादी देने की प्रथा पर आश्चर्य व्यक्त किया।जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने टिप्पणी की कि इस तरह की प्रथा अग्रिम जमानत देने के उद्देश्य को विफल कर देगी, व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी को रद्द कर देगी। इसने आगे कहा कि राज्य में न्यायिक मजिस्ट्रेटों को उचित ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।गुजरात हाईकोर्ट को वर्तमान कार्यवाही में पक्षकार के रूप में जोड़ा गया और...