बौद्धिक संपदा अधिकारों का उल्लंघन सार्वजनिक हित को प्रभावित करता है, अदालतों को अंतरिम निषेधाज्ञा देने में तत्पर होना चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट
Praveen Mishra
27 March 2025 11:59 AM

राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि बौद्धिक संपदा अधिकारों (Intellectual Property Rights) के स्पष्ट उल्लंघन के मामलों में, न केवल प्रभावित पक्ष के हितों की सुरक्षा के लिए बल्कि सार्वजनिक हित की रक्षा के लिए भी तत्काल निषेधाज्ञा (Injunction Order) जारी किया जाना आवश्यक है।
जस्टिस अनूप कुमार धंड की पीठ ने इस संदर्भ में राजनी प्रोडक्ट्स द्वारा दायर अस्थायी निषेधाज्ञा (Temporary Injunction) याचिका को स्वीकार कर लिया।
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि प्रतिवादी उनकी पंजीकृत “Swastik” ट्रेडमार्क का लगभग समान और भ्रामक रूप से मिलते-जुलते नाम “Shree Parwati Swastik” के तहत उपयोग कर रहा था, जिससे उनके व्यवसाय को भारी नुकसान हो रहा था।
सुनवाई के बाद, कोर्ट ने इस तथ्य पर जोर दिया कि याचिकाकर्ता 1983 से "Swastik" ट्रेडमार्क और उसके संबंधित लेबल का स्वामित्व रखता है और इसका उपयोग खाद्य तेल के व्यवसाय में कर रहा है।
कोर्ट ने कहा, "प्रथम दृष्टया, यह न्यायालय इस मत का है कि प्रतिवादियों द्वारा उपयोग की गई विवादित कलात्मक रचना याचिकाकर्ता की कलात्मक रचना और/या उसके महत्वपूर्ण हिस्सों की पुनरावृत्ति है। साथ ही, प्रतिवादी के लेबल पर जो अतिरिक्त सामग्री जोड़ी गई है, वह विवादित लेबल को याचिकाकर्ता के लेबल से अलग या विशिष्ट नहीं बनाती। अतः प्रतिवादी द्वारा विवादित ट्रेडमार्क और लेबल का उपयोग, याचिकाकर्ता के कॉपीराइट और पंजीकृत ट्रेडमार्क का उल्लंघन है,"
इस परिप्रेक्ष्य में, कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें अंतरिम राहत देने से इनकार किया गया था, और प्रतिवादी को मुकदमे के अंतिम निपटारे तक "Swastik" ट्रेडमार्क और उसके लेबल के उपयोग से प्रतिबंधित कर दिया।