प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के काफिले को धमकाने का आरोप, व्हाट्सएप मैसेज के आधार पर की गई गिरफ्तारी, अब हाईकोर्ट ने राज्य से मांगा जवाब

Shahadat

8 April 2025 4:54 AM

  • प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के काफिले को धमकाने का आरोप, व्हाट्सएप मैसेज के आधार पर की गई गिरफ्तारी, अब हाईकोर्ट ने राज्य से मांगा जवाब

    व्हाट्सएप मैसेज के आधार पर एक व्यक्ति को 24 घंटे तक हिरासत में रखने से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस विशाल धगत ने राज्य को यह दिखाने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया कि मैसेज का याचिकाकर्ता से क्या संबंध है और प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के काफिले को धमकाने से संबंधित हिरासत के कथित आधार क्या हैं।

    मामले के तथ्यात्मक मैट्रिक्स के अनुसार, याचिकाकर्ता को उसके घर से उठाकर 20.06.2023 को सुबह लगभग 7.00 बजे पुलिस स्टेशन ले जाया गया और अगले दिन रिहा होने से पहले बिना किसी कारण के स्टेशन प्रभारी द्वारा बंद कर दिया गया। याचिकाकर्ता को बिना किसी कारण के 24 घंटे से अधिक समय तक पुलिस स्टेशन के लॉक-अप में रखा गया।

    इसलिए उन्होंने पुलिस स्टेशन प्रभारी को लिखित शिकायत की, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद उन्होंने पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत भी की। लेकिन पुलिस अधीक्षक ने भी कोई कार्रवाई नहीं की।

    याचिकाकर्ता का आरोप है कि थाने के लॉकअप में रखे जाने के कारण उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हुई है तथा उसे मानसिक क्षति पहुंची है, इसलिए उसने न्यायालय से प्रार्थना की कि प्रतिवादियों को उसे 5,00,000/- रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया जाए तथा प्रतिवादियों को उसे बिना कारण 24 घंटे से अधिक समय तक लॉकअप में रखने के लिए दंडित किया जाए।

    प्रतिवादी नंबर 3/थाना प्रभारी के वकील तथा प्रतिवादी नंबर 1/राज्य एवं 2/पुलिस अधीक्षक के शासकीय अधिवक्ता ने यह सिद्ध करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा कि याचिकाकर्ता द्वारा व्हाट्सएप मैसेज भेजा गया, जिसमें कहा गया कि वह प्रधानमंत्री एवं उपराष्ट्रपति के काफिले में बाधा उत्पन्न कर सकता है, इसलिए उसे थाने बुलाया गया।

    यह प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता प्रधानमंत्री एवं उपराष्ट्रपति के दौरे के दौरान अपनी इच्छा से थाने में रहा। इसके अलावा, यह भी कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ 25 आपराधिक मामलों का भी रिकॉर्ड है। इसलिए प्रतिवादियों ने कानून के अनुसार अपना कर्तव्य निभाया।

    यह भी कहा गया कि एक लोकतांत्रिक देश में प्रदर्शनकारी विरोध कर सकते हैं, लेकिन वे प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के प्रोटोकॉल को बाधित नहीं कर सकते।

    न्यायालय ने प्रार्थना स्वीकार करते हुए प्रतिवादियों को यह दिखाने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया कि व्हाट्सएप मैसेज का याचिकाकर्ता से कोई संबंध है।

    केस टाइटल: अजीत सिंह आनंद उर्फ ​​मांगे सरदार बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य, रिट याचिका संख्या 11750/2024

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