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Constitution में म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन का उल्लेख
जिस प्रकार ग्रामों के लिए अंतिम लोकतंत्र की व्यवस्था पंचायतों के माध्यम से की गई है इसी प्रकार शहरों के लिए नगरपालिकाओं का उल्लेख है।संविधान 74वां संशोधन अधिनियम 1992 द्वारा नगरों में भी लोकतांत्रिक प्रणाली को सफल बनाने का प्रयास किया गया है। नगरों में श्वेत संस्थाओं की स्थापना की गई है किंतु विभिन्न कारणों से कमजोर प्रभावहीन हो गई है इनके चुनाव समय पर नहीं कराए जाते हैं अधिकांश में निलंबित रहती हैं।वह प्रशासक द्वारा शासित होती है। इन सब बातों को सुनिश्चित करने के लिए उन संस्थाओं के लिए जोड़ा...
Constitution में ग्राम पंचायतों की ड्यूटी और पावर्स
भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 (जी) उपबंधित करता है कि संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए राज्य का विधान मंडल विधि द्वारा पंचायतों को ऐसी शक्तियां और प्राधिकार प्रदान कर सकता है जो उन्हें स्वायत्त शासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने योग्य बनाने के लिए आवश्यक समझे और ऐसी निजी पंचायत को उपयुक्त स्तर पर ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए जैसी उसमें विनिर्दिष्ट की जाए-आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए योजनाएं तैयार करना और आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय की स्कीमों को जो उन्हें सौंपी जाए जिनके...
Lurking House-Trespass और House-Breaking के उदाहरण : धारा 330, भारतीय न्याय संहिता, 2023
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) की धारा 330 घर-अतिक्रमण (House-Trespass) और घर-तोड़फोड़ (House-Breaking) के अपराधों को विस्तार से परिभाषित करती है। इन अपराधों में किसी व्यक्ति का बिना अनुमति के घर में प्रवेश करना या जबरन बाहर निकलना शामिल है, खासकर अगर ऐसा छुपकर, बलपूर्वक या धोखे से किया जाए।इस लेख में धारा 330 के सिद्धांतों को सरल भाषा में समझाया गया है और प्रत्येक उदाहरण (Illustration) को विस्तार से समझाया गया है। घर-अतिक्रमण का अर्थ (Meaning of...
धारा 21 आर्म्स एक्ट, 1959 के दूसरे भाग का विश्लेषण: जब जमा किए गए हथियार जब्त किए जाते हैं
धारा 21 (Section 21) के दूसरे भाग में यह बताया गया है कि जब जमा किए गए हथियार या गोला-बारूद (Ammunition) समय पर वापस नहीं लिए जाते या उनका निपटारा (Disposal) नहीं किया जाता, तो उनके जब्त (Forfeiture) होने की प्रक्रिया क्या होगी। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि जमाकर्ता (Depositor) या उनके कानूनी प्रतिनिधि (Legal Representative) के अधिकार क्या हैं और प्रशासनिक प्रक्रियाएं कैसी होंगी।जब जमा किए गए हथियार जब्त कर लिए जाते हैंधारा 21 के उपधारा (Sub-section) (3) के अनुसार, जो हथियार या गोला-बारूद...
न्यायालय में साक्ष्य की स्पष्टता सुनिश्चित करने की प्रक्रिया: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 314 और 315
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita), 2023, में न्यायालयीय प्रक्रिया में साक्ष्य की स्पष्टता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए विस्तृत प्रावधान दिए गए हैं। धारा 314 और 315 मुख्य रूप से यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित हैं कि साक्ष्य (Evidence) को ठीक से समझा और दर्ज किया जाए।ये प्रावधान न्यायिक प्रक्रिया में भाषा संबंधी बाधाओं को दूर करने और साक्षी (Witness) के व्यवहार का मूल्यांकन करने में मदद करते हैं। इन प्रावधानों को पूरी तरह समझने के लिए धारा 310, 311, 312 और 313 को...
क्या आपातकालीन परिस्थितियों में न्यायालय व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सार्वजनिक हित के बीच संतुलन बना सकते हैं?
आपराधिक मामलों में न्यायिक निरीक्षण (Judicial Oversight) की भूमिकासुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट ऑफ ज्यूडिकेचर फॉर राजस्थान बनाम स्टेट ऑफ राजस्थान एंड अदर (2021) मामले में जमानत (Bail) और अन्य आपराधिक मामलों में न्यायिक निरीक्षण के महत्त्व पर विचार किया। यह मामला COVID-19 महामारी के दौरान राजस्थान हाई कोर्ट के एकल न्यायाधीश द्वारा दिए गए निर्देशों से संबंधित था, जिनका प्रभाव जमानत अर्जियों और अन्य अत्यावश्यक मामलों पर पड़ा। यह निर्णय न्यायिक विवेक (Judicial Discretion), प्रशासनिक अधिकारों और...
Constitution में हाईकोर्ट की शक्ति
राज्य की न्यायपालिका के अंतर्गत हाई कोर्ट को भारत के सुप्रीम कोर्ट की तरह ही अभिलेख न्यायालय की अधिकारिता प्राप्त है। वर्तमान हाई कोर्ट की अधिकारिता और अधीनस्थ न्यायालयों पर निरीक्षण की अधिकारिता और रिट अधिकारिता प्राप्त है। आर्टिकल 225 के अनुसार संविधान के उपबंधों के अधीन समुचित विधान मंडल द्वारा निर्मित किसी विधि के अधीन रहते हुए किसी वर्तमान हाई कोर्ट का क्षेत्राधिकार उस में प्रकाशित विधि हाई कोर्ट में न्याय प्रशासन से संबंधित उसके जजों की शक्तियां के अंतर्गत न्यायालय के नियम बनाने तथा बैठकों...
Constitution में ग्राम पंचायतों का उल्लेख
भारत के कांस्टीट्यूशन ने समाज की अंतिम पंक्ति तक लोकतंत्र को भेजने के प्रयास किए हैं। कांस्टीट्यूशन के भाग 9 कांस्टीट्यूशन के 73वें संशोधन और भाग 9(ए) कांस्टीट्यूशन के 74 वें संशोधन अधिनियम 1992 द्वारा कांस्टीट्यूशन में जोड़े गए हैं। कांस्टीट्यूशन के 73वें संशोधन के द्वारा पंचायती राज संस्थाओं और 74 वें कांस्टीट्यूशन संशोधन द्वारा नगर पालिका लोकतांत्रिक प्रणाली की स्थापना को संवैधानिक मान्यता प्रदान की गई है।कांस्टीट्यूशन में आर्टिकल 40 के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद इस दिशा में समुचित कदम नहीं...
गवाहियों की सटीकता सुनिश्चित करने की प्रक्रिया: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 313
गवाही दर्ज करने की प्रक्रिया भारतीय न्याय प्रणाली में निष्पक्षता की बुनियाद है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 में इस प्रक्रिया को विस्तृत रूप से परिभाषित किया गया है। धारा 313 गवाही को रिकॉर्ड करने के बाद उसकी सटीकता सुनिश्चित करने के लिए विशेष दिशा-निर्देश देती है। इस धारा को बेहतर तरीके से समझने के लिए हमें धारा 310, 311, और 312 का भी संदर्भ लेना होगा।धारा 310, 311 और 312 का पुनरावलोकन (Revisiting) धारा 310: वारंट मामलों (Warrant Cases) में गवाही रिकॉर्ड करना वारंट मामलों में,...
Lurking House-Trespass और House-Breaking क्या है : धारा 330 भारतीय न्याय संहिता, 2023
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) की धारा 330 छिपा हुआ गृह-अतिक्रमण (Lurking House-Trespass) और गृह-भेदन (House-Breaking) के अपराधों को विस्तार से परिभाषित करती है।इन अपराधों में अवैध प्रवेश (Unauthorized Entry) या निकासी (Exit) शामिल है, जिसमें व्यक्ति छल, बल, या धोखाधड़ी (Deceit) का सहारा लेता है। इस लेख में हम इन प्रावधानों को सरल हिंदी में समझाएंगे। छिपा हुआ गृह-अतिक्रमण (Lurking House-Trespass) क्या है? धारा 330(1) के तहत, छिपा हुआ गृह-अतिक्रमण तब होता है जब कोई...
क्या वकीलों को Consumer Protection Law के तहत सेवा में कमी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है?
सुप्रीम कोर्ट ने नंदलाल लोहरिया बनाम जगदीश चंद पुरोहित (2021) मामले में एक महत्वपूर्ण सवाल का उत्तर दिया: क्या किसी मुकदमे में हारने पर वकीलों को Consumer Protection Act के तहत सेवा में कमी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है?कोर्ट के इस फैसले ने वकीलों की पेशेवर जिम्मेदारियों (Professional Responsibilities) और उपभोक्ता कानून (Consumer Law) के तहत उनके दायित्वों (Obligations) की स्पष्ट व्याख्या की। इस लेख में कोर्ट द्वारा उठाए गए प्रमुख प्रावधानों (Provisions) और मूलभूत मुद्दों (Fundamental...
जब हथियार रखना अवैध हो जाए तो जमा करने की प्रक्रिया : आर्म्स एक्ट, 1959 की धारा 21
आर्म्स एक्ट, 1959 (Arms Act, 1959) भारत में हथियारों और गोला-बारूद (ammunition) के स्वामित्व, उपयोग और हस्तांतरण को नियंत्रित करने वाला एक महत्वपूर्ण कानून है। इसकी धारा 21 उस स्थिति को संबोधित करती है जब किसी व्यक्ति के पास हथियार रखना कानूनन अवैध (unlawful) हो जाता है।यह प्रावधान ऐसे व्यक्तियों की कानूनी जिम्मेदारियों और हथियारों को जमा करने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताता है। साथ ही, यह बताता है कि जमा करने वाले व्यक्ति को उन हथियारों को वापस लेने या बेचने के अधिकार कैसे मिलते हैं। ...
Constitution में हाईकोर्ट जज की पात्रता
कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया के आर्टिकल 217 के अनुसार किसी हाई कोर्ट में जज नियुक्त होने के लिए एक व्यक्ति में कुछ योग्यताएं होनी चाहिए जैसे वह भारत का नागरिक होना चाहिए, भारत राज्य क्षेत्र में कम से कम 10 वर्ष तक कोई न्यायिक पद धारण कर चुका होना चाहिए और हाई कोर्ट में कम से कम 10 वर्ष तक एडवोकेट रह चुका होना चाहिए।श्रीकुमार पदम प्रसाद बनाम भारत संघ के मामले में न्यायालय ने असम हाई कोर्ट में नियुक्त किए गए अनुमोदित श्री श्रीवास्तव की नियुक्ति को इस आधार पर अवैध घोषित कर दिया कि संविधान के आर्टिकल 217...
Constitution में हाईकोर्ट से संबंधित प्रावधान
भारत के संघ को उसे अपनी न्यायपालिका दी गई है जिसे भारत का सुप्रीम कोर्ट कहा जाता है और भारत के राज्यों को अलग न्यायपालिका दी गई है जो अलग-अलग राज्यों के हाई कोर्ट होते हैं। कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया के आर्टिकल 214 से लेकर 237 तक राज्य न्यायपालिका के संबंध में उल्लेख किया गया है। राज्यों के हाई कोर्ट और उसके अधीनस्थ न्यायालयों से मिलकर राज्य न्यायपालिका बनती है।प्रत्येक राज्य में एक हाई कोर्ट होता है पर संसद दो या दो से अधिक राज्यों और एक संघ राज्य क्षेत्र के लिए एक ही हाई कोर्ट की स्थापना कर सकती...
पुलिस अधिकारी द्वारा आर्म्स लाइसेंस प्रस्तुत करने की और व्यक्तियों को गिरफ्तार करने की शक्ति : सेक्शन 19 और 20 आर्म्स अधिनियम, 1959 अध्याय IV
आर्म्स अधिनियम, 1959 (Arms Act, 1959), भारत में आर्म्स और गोला-बारूद के स्वामित्व, उपयोग और विनियमन (Regulation) के लिए महत्वपूर्ण कानून है। इसका चौथा अध्याय, "शक्तियाँ और प्रक्रिया," अधिकारियों को कानून के अनुपालन (Compliance) सुनिश्चित करने के लिए विशेष अधिकार देता है।इसमें सेक्शन 19 और 20 महत्वपूर्ण हैं, जो लाइसेंस की मांग करने, आर्म्स और गोला-बारूद को जब्त करने और संदिग्ध परिस्थितियों में व्यक्तियों को गिरफ्तार करने की प्रक्रियाओं को निर्धारित करते हैं। इस लेख में इन प्रावधानों (Provisions)...
क्या बार एसोसिएशन के चुनाव में केवल नियमित वकीलों को ही मतदान का अधिकार है?
सुप्रीम कोर्ट ने बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के चुनाव को लेकर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि बार एसोसिएशन के पदाधिकारी केवल उन वकीलों द्वारा चुने जाने चाहिए जो संबंधित हाईकोर्ट या अदालत में नियमित रूप से प्रैक्टिस करते हैं।बाहरी व्यक्तियों को, जो नियमित रूप से उस अदालत में प्रैक्टिस नहीं करते हैं, चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। यह टिप्पणी जस्टिस एम.आर. शाह और जस्टिस ए.एस. बोपन्ना की पीठ ने की। अवध बार एसोसिएशन चुनाव विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ...
अपराधी अतिक्रमण और गृह-अतिक्रमण: धारा 329, भारतीय न्याय संहिता, 2023
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) में अपराधी अतिक्रमण (Criminal Trespass) और गृह-अतिक्रमण (House Trespass) को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। इनका वर्णन धारा 329 में किया गया है, जिसमें इन अपराधों की परिभाषा, दंड और उदाहरण दिए गए हैं। इसे सरल भाषा में समझते हैं।अपराधी अतिक्रमण (Criminal Trespass) क्या है? धारा 329(1) के तहत, अपराधी अतिक्रमण तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य के कब्जे (Possession) में मौजूद संपत्ति में इस उद्देश्य (Intent) से प्रवेश करता है: 1. कोई...
साक्ष्य दर्ज करने में भाषा की भूमिका: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 312
भारत में न्याय प्रक्रिया में साक्ष्य (Evidence) का दर्ज होना एक महत्वपूर्ण चरण है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 312 यह सुनिश्चित करती है कि गवाही दर्ज करते समय भाषा से संबंधित कोई बाधा न्याय प्रक्रिया को प्रभावित न करे। इस लेख में हम सरल हिंदी में धारा 312 और इससे संबंधित प्रावधानों को समझेंगे। साथ ही, इसे समझने के लिए धारा 310 और 311 का भी उल्लेख करेंगे।भाषा और साक्ष्य दर्ज करने की आवश्यकता भारत जैसे बहुभाषी (Multilingual) देश में...
प्रतिवादी को मुकदमे में साक्ष्य आरंभ करने के लिए कब कहा जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने आदेश XVIII नियम 1 CPC की व्याख्या की
हाल ही में दिए गए एक निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने उन परिस्थितियों की व्याख्या की, जिनके अंतर्गत प्रतिवादी को सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) के आदेश XVIII नियम 1 के अनुसार मुकदमे की सुनवाई आरंभ करने का अधिकार प्राप्त होता है।CPC के अनुसार, वादी को आरंभ करने का अधिकार है। हालांकि, यदि प्रतिवादी वादी द्वारा आरोपित तथ्यों को स्वीकार करता है और तर्क देता है कि वादी कुछ अतिरिक्त तथ्य या कानून के किसी बिंदु के कारण राहत का हकदार नहीं है, तो प्रतिवादी को आरंभ करने का अधिकार प्राप्त होता है।जस्टिस जे.बी....
जहाज में मौजूद संपत्ति की चोरी करना या उसका अनुचित उपयोग करना : धारा 328, भारतीय न्याय संहिता, 2023
Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023, में कई प्रकार के mischief (दुर्व्यवहार) को रोकने के लिए प्रावधान किए गए हैं जो संपत्ति, सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।Section 328 विशेष रूप से उस अपराध को संबोधित करता है, जिसमें जानबूझकर किसी जहाज या vessel (नौका) को जमीन पर ले जाया जाता है या किनारे लगाया जाता है, जिसका उद्देश्य जहाज में मौजूद संपत्ति की चोरी करना या उसका अनुचित उपयोग करना होता है। यह प्रावधान समुद्री सुरक्षा और संपत्ति अधिकारों की रक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ...




















