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लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 15: अश्लील साहित्य के प्रयोजन से बालकों का शोषण करना
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 13 अश्लील साहित्य में बालकों के उपयोग करने को प्रतिबंधित करती है और इसके लिए कठोर दंड अधिरोपित करती है। इस आलेख में धारा 13 पर चर्चा की जा रही है और साथ ही इसके दंड को भी उल्लेखित किया जा रहा है।यह अधिनियम में प्रस्तुत धारा का मूल रूप हैधारा 13अश्लील साहित्य के प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोगजो कोई किसी बालक का उपयोग मीडिया (जिसके अंतर्गत टेलीविजन चैनलों या विज्ञापन या इंटरनेट या...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 14: लैंगिक उत्पीड़न का अपराध और उसके लिए दंड
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 11 लैंगिक उत्पीड़न के अपराध का उल्लेख करती और धारा 12 इस अपराध के लिए दंड का प्रावधान करती है। पॉक्सो अधिनियम में अलग अलग प्रकार के अपराध है। अब तक प्रवेशन लैंगिक हमला और लैंगिक हमला पर चर्चा की जा चुकी है। इस आलेख में यह समझने का प्रयास किया जा रहा है कि लैंगिक उत्पीड़न क्या है,वह अपराध कब गठित होता है और उसके लिए क्या दंड है।यह अधिनियम में प्रस्तुत धारा का मूल रूप हैधारा 11लैंगिक...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 13: गुरुतर लैंगिक हमला
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 9 गुरुतर लैंगिक हमले की परिभाषा प्रस्तुत करती है। जिस प्रकार प्रवेशन लैंगिक हमले का अपराध धारा पांच में बढ़ोतरी के साथ गुरुतर रूप में प्रस्तुत किया गया है इस ही तरह लैंगिक हमले का भी बड़ा रूप है जिसे गुरुतर लैंगिक हमला माना गया है। इस अपराध में और लैंगिक हमले में अधिक अंतर नहीं है, अगर कोई लैंगिक हमला किसी विश्वास का पद धारण करने वाले आदमी द्वारा किया जाता है तो इसे गुरुतर माना गया...
क्या आपत्तिजनक पोस्ट को रीट्वीट करना, साझा करना या फॉरवर्ड करना आपराधिक दायित्व को आकर्षित कर सकता है? एक्सप्लेनर
अक्सर देखा जाता है कि कई ट्विटर यूजर्स अपने बायो में 'रीट्वीट नॉट एंडोर्समेंट' डिस्क्लेमर डालते हैं। लेकिन क्या यह अस्वीकरण किसी को आपराधिक दायित्व से बचा सकता है?हाल ही में, दिल्ली पुलिस उपायुक्त केपीएस मल्होत्रा ने कहा कि एक व्यक्ति को रीट्वीट की जिम्मेदारी लेनी होती है और सोशल मीडिया पर किसी विचार का समर्थन भी इसे साझा करने या रीट्वीट करने वाले व्यक्ति का विचार बन जाता है।डीसीपी ने कहा, "यदि आप सोशल मीडिया पर एक विचार का समर्थन करते हैं, तो यह आपका विचार बन जाता है। रिट्वीट करना और यह कहना...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 12: लैंगिक हमले के लिए दंड
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 8 लैंगिक हमले के लिए दंड का उल्लेख करती है। धारा 7 में इस अपराध का अस्तित्व प्रस्तुत किया गया है जो इस अपराध की परिभाषा है और धारा 8 में धारा 7 में उल्लेखित अपराध के लिए दंड रखा गया है। इस आलेख में धारा 8 पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।यह अधिनियम में प्रस्तुत धारा का मूल रूप हैधारा 8लैंगिक हमले के लिए दंड- जो कोई लैंगिक हमला कारित करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 11: लैंगिक हमला क्या है
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 7 लैंगिक हमले को परिभाषित करती है। इस अधिनियम में जो अपराध बताए गए हैं उनमें लैंगिक हमला दूसरे तरह का अपराध है। पहला अपराध प्रवेशन लैंगिक हमला है और दूसरा अपराध लैंगिक हमला है। इस अपराध में प्रवेशन नहीं है। यह पहले अपराध से थोड़ा छोटा अपराध है। इस आलेख में धारा 7 पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।यह अधिनियम में प्रस्तुत धारा का मूल रूप हैधारा 7लैंगिक हमला- जो कोई, लैंगिक आशय के साथ...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 10: गुरुतर प्रवेशन लैंगिग हमले के लिए दंड
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 6 गुरुतर प्रवेशन लैंगिग हमले के लिए दंड उल्लेखित करती है। धारा 5 में गुरुतर प्रवेशन लैंगिग हमले की परिभाषा प्रस्तुत की गई है और धारा 6 में इसके दंड का उल्लेख किया गया है। इस आलेख में धारा 6 पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।यह अधिनियम में प्रस्तुत की गई धारा का मूल रूप हैधारा 6 गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमले के लिए दण्ड(1) जो कोई गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला करेगा, वह कठिन कारावास से,...
भारत का संविधान और आपातकाल
भारत के संविधान के अंतर्गत आपातकालीन समय के लिए कुछ व्यवस्थाएं की गई हैं। इन व्यवस्थाओं के अंतर्गत आपातकालीन परिस्थितियों में भारत के संविधान की स्थिति बदल जाती है। भारत का संविधान एक संघीय संविधान है, राज्यों का एक संघ कहा जा सकता है। संघ को अलग शक्तियां और भारत के राज्यों को अलग शक्तियां दी गई है परंतु भारत के संविधान की बनावट से यह प्रतीत होता है कि यहां संघ अधिक शक्तिशाली है। भारत के संविधान में आपात उपबंध का समावेश कर संकटकाल में भारत का संविधान संघात्मक से एकात्मक संविधान में बदल जाता...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 9: गुरुतर लैंगिक हमले के प्रकरण में दोषसिद्धि
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) धारा 5 गुरुतर लैंगिक हमले की परिभाषा से संबंधित है। इस आलेख में गुरुतर लैंगिक हमले से संबंधित प्रकरणों में हुई दोषसिद्धि पर चर्चा की जा रही है।अभियोक्त्री के अभिसाक्ष्य पर विश्वास व्यक्त करते हुए धारा 376 के अधीन दोषसिद्धिसानो मुरमू बनाम उड़ीसा राज्य, 2003 क्रि लॉ ज 2365 जहाँ तक उन घटनाओं जो घटना की तारीख पर घटित हुई थी के अनुक्रम का सम्बन्ध है अभियोजन के अभिसाक्ष्य में कोई शैथिल्यता...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 8: गुरुतर लैंगिक हमले की परिभाषा
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) धारा 5 गुरुतर लैंगिक हमले की परिभाषा प्रस्तुत करती है। जैसे धारा तीन लैंगिक हमले को परिभाषित करती है इस ही तरह धारा 5 गुरुतर लैंगिक हमले की परिभाषा देती है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि गुरुतर अर्थात बड़ा। अगर कोई किसी विश्वास के पद पर रहते हुए किसी बालक के साथ लैंगिक हमला करता है तो इसे गुरुतर लैंगिक हमला माना गया है। जैसे एक पुलिस अधिकारी पद पर रहते हुए अगर लैंगिक हमला करेगा तो यह...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 7: प्रवेशन लैंगिक हमले में दोषमुक्ति पर न्यायालय के कुछ निर्णय
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) धारा 4 प्रवेशन लैंगिक हमले से संबंधित है। इस धारा में प्रवेशन लैंगिक हमले के लिए दंड प्रावधानित किया गया है। न्यायालय ने अपने निर्णयों में अभियुक्त को दोषमुक्ति भी दी है। इस आलेख में ऐसे ही कुछ निर्णयों पर चर्चा की जा रही है।यदि सम्बद्ध विषय के बारे में अभियोजन का साक्ष्य लेने अभियुक्त की परीक्षा करने और अभियोजन और प्रतिरक्षा को सुनने के पश्चात् न्यायाधीश का यह विचार है कि इस बात का...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 6: प्रवेशन लैंगिक हमले में दोषसिद्धि पर पीड़िता की आयु के आधार पर दंड
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) धारा 4 प्रवेशन लैंगिक हमले के अपराध में दंड का प्रावधान करती है। इस धारा में दंड को पीड़िता की आयु के आधार पर निर्धारित किया गया है। अधिनियम में 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को बालक माना गया है। 16 वर्ष से कम आयु के बालकों के साथ अपराध होने पर दंड अधिक दिया जाता है। न्यायालय ने 1 वर्ष की आयु से लेकर 16 वर्ष की आयु तक अलग-अलग मामलों में अलग-अलग दंड दिया है। इस आलेख के अंतर्गत ऐसे ही सभी...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 5: अधिनियम में प्रवेशन लैंगिक हमले के लिए सज़ा
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO) (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) धारा 4 प्रवेशन लैंगिक हमले के लिए दंड का प्रावधान करती है। धारा 3 प्रवेशन लैंगिक हमले को परिभाषित करती है एवं धारा 4 उसके दंड को प्रावधानित करती है। इस आलेख के अंतर्गत धारा 4 पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।यह अधिनियम में प्रस्तुत की गई धारा का मूल रूप हैधारा- 4 प्रवेशन लैंगिक हमले के लिए दण्ड[(1)] जो कोई प्रवेशन लैंगिक हमला कारित करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 4: अधिनियम में लैंगिक हमला किसे कहा गया है
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) धारा 3 इस अधिनियम की सार्वधिक महत्वपूर्ण धाराओं में से है। इस धारा में लैंगिक हमले को परिभाषित किया गया है। लैंगिक हमला बलात्कार का ही एक वृहद रूप है। बलात्कार में सहमति का प्रश्न होता है लेकिन इस अधिनियम के अंतर्गत सहमति पर कोई प्रश्न नहीं है, दूसरा बलात्कार केवल स्त्री के साथ घट सकता है लेकिन लैंगिक हमला किसी भी बालक के साथ हो सकता है। इस आलेख में लैंगिक हमला पर चर्चा की जा रही है।यह...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 3: देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाला बालक कौन है
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) के परिभाषा खंड में देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाला बालक परिभाषित तो नहीं किया गया है लेकिन उच्चतम न्यायालय ने समय समय पर इस बालक की ओर इशारा इंगित ज़रूर किया है और साथी किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 2(14) में इसे स्पष्ट किया गया है। इस आलेख में इस बालक से संबंधित बातों पर प्रकाश डाला जा रहा है।देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाला वालकदेखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाला बालक से ऐसा...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 2: अधिनियम के अंतर्गत बालक का अर्थ
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) के धारा 2 में परिभाषाएं दी गई है। इन परिभाषाओं में बालक शब्द की परिभाषा भी प्रस्तुत की गई है। चूंकि यह अधिनियम बालकों के इर्द गिर्द ही घूमता है एवं उनके संरक्षण के उद्देश्य से ही अधिनियमित किया गया है इसलिए बालक शब्द पर चर्चा करना इस अधिनियम को समझने के लिए अत्यंत आवश्यक है। इस आलेख के अंतर्गत बालक शब्द पर प्रकाश डाला जा रहा है जिससे यह स्पष्ट हो सके कि अधिनियम वास्तव में बालक किसे मान...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 1: अधिनियम का संक्षिप्त परिचय
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) जिसे आम जनसाधारण में पॉक्सो अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है, बालकों की लैंगिक अपराधों से सुरक्षा के उद्देश्य से भारत की पार्लियामेंट द्वारा अधिनियमित किया गया है। यह अधिनियम भारत में चलने वाले कानूनों में अत्यंत कड़े कानूनों में से एक है जहां बालकों के साथ यौन दुष्कर्म करने पर आजीवन कारावास तक के दंड का प्रावधान है। इस आलेख में इस अधिनियम का सारगर्भित परिचय प्रस्तुत किया जा रहा...
एक्सप्लेनर : सीपीसी का आदेश 7 नियम 11 क्या है? वाद कब खारिज किया जा सकता है?
पारस आहूजाएक वादपत्र की प्रस्तुति, अर्थात् वाद में वादी का अभिवचन; एक सिविल सूट की स्थापना को चिह्नित करता है। सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908, कुछ विशेष आधार पर, आदेश VII नियम 11 के तहत वादपत्र की अस्वीकृति के उपाय का प्रावधान करती है। आदेश VII नियम 11 प्रावधान करता है:-"अदालत एक वाद को खारिज कर देगी:(ए) जहां यह कार्रवाई के कारण का खुलासा नहीं करता है;(बी) जहां दावा की गई राहत का कम मूल्यांकन किया गया है, और वादी, अदालत द्वारा निर्धारित समय के भीतर मूल्यांकन को सही करने के लिए अपेक्षित होने पर भी,...
पुलिस शिकायतकर्ता के वकील की तरह नहीं होती है बल्कि निष्पक्ष है
हमारे देश में प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा और विधि शासन को बनाए रखने का काम पुलिस के जरिए लिया जाता है। पार्लियामेंट और राज्य की विधान परिषद जिस भी कार्य को अपराध बनाती है उस कार्य को करने पर मुकदमा बनाने का काम पुलिस का होता है। पुलिस अपराधियों को पकड़ती है, उन पर मुकदमे बनाती है और उसे न्यायालय में पेश करती है।समझा यह जाता है कि पुलिस किसी भी मामले में शिकायतकर्ता की वकील होती है जबकि यह बात ठीक नहीं है। पुलिस को भारतीय कानून में पूरी तरह से निष्पक्ष बनाया गया है। किसी व्यक्ति की शिकायत मात्र से...
शराब पीकर ड्राइविंग करने के आरोप में केस बनने पर क्या किया जा सकता है
शराब पीकर ड्राइविंग करना एक दंडनीय अपराध है। मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 185 शराब पीकर ड्राइविंग करने को प्रतिबंधित करती है और इस कृत्य को एक दंडनीय अपराध बनाती है। इसलिए शराब पीकर गाड़ी चलाने से बचना चाहिए। शराब पीना प्रतिबंधित नहीं है लेकिन शराब पीकर गाड़ी चलाना दंडनीय अपराध है।कभी-कभी यह होता है कि किसी व्यक्ति पर शराब पीकर गाड़ी चलाने के आरोप में मुकदमा बना दिया जाता है जबकि हकीकत यह होती है कि उस व्यक्ति द्वारा ट्राफिक के किसी छोटे-मोटे नियम को तोड़ा जाता है। शराब पीकर गाड़ी चलाना एक बड़ा...