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वकीलों के लिए प्रतिबंधित कार्य क्या हैं?
वकीलों को न्यायालय का अधिकारी कहा गया है, यह एक पवित्र पेशा है। कानून ने वकीलों के लिए कुछ कार्य प्रतिबंधित किये हैं जो उन्हें वकालत की सनद मिलने के बाद नहीं करने चाहिए। न्याय प्रशासन एक प्रवाह है। इसे स्वच्छ, शुद्ध एवं प्रदूषण मुक्त रखा जाना आवश्यक है। यह बार एवं बैंच दोनों का दायित्व है कि वे न्याय प्रशासन की पवित्रता को बनाये रखें। अधिवक्ताओं से ऐसे आचरण की अपेक्षा की जाती है कि उनकी सत्यनिष्ठा पर कोई अंगुलि न उठा सकें।"भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा अपने एक वाद में भी वकीलों के लिए...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 34: अधिनियम के अंतर्गत अपनी पसंद के वकील की सेवाएं लेना
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 40 पीड़ित बालक को अपनी पसंद के वकील को प्रकरण में नियुक्त करने की शक्ति देती है। किसी भी आपराधिक मामले का संचालन लोक अभियोजक द्वारा किया जाता है जिसे साधारण भाषा में सरकारी वकील कहा जाता है।पॉक्सो मामलों में पीड़ित व्यक्ति को यह अधिकार दिया गया है कि वह अपनी पसंद से किसी प्रायवेट अधिवक्ता को अपनी ओर से प्रकरण में नियुक्त कर सकता है जो उसके मामले की निगरानी करे और पीड़ित को समय पर...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 33: पॉक्सो अधिनियम में विचारण का बंद कमरे में किया जाना
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 37 विचारण के बंद कमरे में किए जाने के संबंध में प्रावधान करती है। कोई भी लैंगिक अपराध बालकों के मस्तिष्क पर अत्यंत गहरा प्रभाव डालता है। खुलेआम इस तरह के विचारण को किये जाने से आवश्यक ही बालक की प्रतिष्ठा और उसके परिवार की प्रतिष्ठा पर दुष्प्रभाव पड़ता है, इस समस्या से निपटने के उद्देश्य अधिनियम में विचारण को बंद कमरे में किये जाने संबंधी प्रावधान किए गए हैं। इस आलेख के अंतर्गत...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 32: बालक के साक्ष्य अभिलिखित करने एवं प्रकरण का निपटारा करने हेतु अवधि
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) अधिनियम एक विशेष अधिनियम है, इस अधिनियम का उद्देश्य लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण है। इस अधिनियम के अंर्तगत बनाए गए प्रावधान बालकों को शीघ्र न्याय देने हेतु प्रयास करते है। उक्त अधिनियम की धारा 35 में ऐसी अवधि का उल्लेख किया गया है जिसमें बालकों के कथन अभिलिखित किए जाएंगे और मामले का निपटान किया जाएगा। इस आलेख में धारा 35 पर विवेचना प्रस्तुत की जा रही है।यह अधिनियम में प्रस्तुत...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 31: पॉक्सो अधिनियम के अंतर्गत अस्थि परीक्षण के आधार पर आयु का निर्धारण
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) अधिनियम आयु के इर्दगिर्द घूमता है क्योंकि यह अधिनियम बालकों से संबंधित है, धारा 33 में बालक द्वारा किए जाने वाले अपराधों में प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है जिसकी चर्चा पिछले आलेख में की गई है, इस आलेख में अस्थि परीक्षण के आधार पर आयु के निर्धारण से संबंधित कुछ एवं तथ्यों पर चर्चा की जा रही है।अस्थि परीक्षण के आधार पर आयु का अवधारणअस्थियों में अस्थि परीक्षण को किसी व्यक्ति की आयु के...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 30: किसी बालक द्वारा पॉक्सो अधिनियम का अपराध किए जाने पर प्रक्रिया
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 34 इस अधिनियम की विशेष धाराओं में से एक है। इस धारा में यह प्रावधान किए गए हैं कि यदि किसी बालक द्वारा ही इस अधिनियम में उल्लेखित कोई आपराधिक कृत्य घटित किया जाए तब उस बालक की आयु निर्धारित करते समय विशेष न्यायालय किस प्रक्रिया को अपनाए। इस आलेख में धारा 34 पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।यह अधिनियम में प्रस्तुत धारा का मूल रूप हैधारा 34बालक द्वारा किसी अपराध के घटित होने और...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 29: पॉक्सो अधिनियम के प्रकरणों में पीड़िता के साक्ष्य की संपुष्टि से संबंधित प्रकरण
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 33 विशेष न्यायलयों के लिए एक विशेष प्रक्रिया विहित करती है, इस ही के साथ पीड़िता के साक्ष्य की संपुष्टि से संबंधित अनेक प्रकरण भारत के उच्चतम न्यायालय तक पहुंचे है। इस आलेख में कुछ प्रकरणों का उल्लेख किया जा रहा है।पीड़िता के साक्ष्य की संपुष्टिमहाराष्ट्र राज्य बनाम चन्द्रप्रकाश केवलचन्द जैन, ए आई आर 1990 एससी 658, के मामले में पीडिता के साक्ष्य की संपुष्टि के पक्ष पर निम्न प्रकार...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 28: पॉक्सो अधिनियम के अंतर्गत बनाए गए विशेष न्यायलयों की प्रक्रिया
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 33 विशेष न्यायलयों के लिए प्रक्रिया विहित करती है। पॉक्सो अधिनियम के अंतर्गत विशेष न्यायालय गठित किये गए हैं जिससे पीड़ित को शीघ्र न्याय मिल सके। इन विशेष न्यायलयों की प्रक्रिया भी इस अधिनियम में ही धारा 33 में निर्धारित की गई है। इस आलेख में इस ही धारा पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।यह अधिनियम में प्रस्तुत धारा का मूल रूप हैधारा 33विशेष न्यायालयों की प्रक्रिया और शक्तियाँ (1)...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 27: पॉक्सो मामलों में अपराध के बारे में उपधारणा
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 29 उपधारणा के संबंध में उल्लेख करती है। उपधारणा का अर्थ होता है किसी बात का अनुमान लगाना। पॉक्सो मामलों में न्यायालय अभियुक्त के संबंध में यह उपधारणा करती है कि उसने अपराध किया ही होगा जब तक अभियुक्त यह साबित नहीं कर दे कि वे निर्दोष है। बालको के साथ लैंगिग अपराध घटना एक जघन्य अपराध है इसलिए इस अधिनियम में उपधारणा का उल्लेख किया गया है। इस आलेख में धारा 29 पर टिप्पणी प्रस्तुत की...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 26: बालक का मेडिकल टेस्ट से संबंधित न्यायलयीन प्रकरण
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 27 में पीड़ित बालक के मेडिकल एक्समिनेशन के संबंध में उल्लेख किया गया है। इस धारा से संबंधित अनेक न्यायलयीन प्रकरण है जिनमे कुछ प्रकरणों का यहां इस आलेख में उल्लेख किया जा रहा जिससे पीड़ित बालक के चिकित्सा परीक्षा के अर्थ को समझा जा सके।अभियोक्त्री की चिकित्सा विधिक जांचहिमाचल प्रदेश राज्य बनाम ज्ञान चन्द, 2001 क्रि लॉ ज 2548 एआईआर 2001 के वाद में अभियोक्त्री की चिकित्सा विधिक जांच...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 25: बालक की चिकित्सीय परीक्षा
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 27 पीड़ित बालक के मेडिकल एक्समिनेशन के संबंध में उल्लेख करती है। इस धारा में चिकित्सा परीक्षा के संबंध रीति का निर्धारण किया गया है। हालांकि किसी भी आपराधिक मामले में जो शरीर से संबंधित अपराध होता है उसमे मेडिकल परीक्षा होती है लेकिन पॉक्सो अधिनियम एक विशेष अधिनियम है इसलिए इस अधिनियम में पीड़ित बालक के हितार्थ विशेष प्रावधान किए गए हैं। इस आलेख में इस धारा 27 पर विवेचना प्रस्तुत...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 24: मजिस्ट्रेट द्वारा बालक के कथन अभिलेखन के संबंध में अतिरिक्त उपबंध
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 26 बालकों के मजिस्ट्रेट के समक्ष कथन अभिलेखन के समय अतिरिक्त सावधानी बरतने पर ज़ोर देते हैं। पॉक्सो मामले अत्यंत संवेदनशील है और ऐसे मामलों में एक पीड़ित बालक के अवचेतन पर गहरा प्रभाव पड़ता है, बालक को ऐसे प्रभावों के दुष्परिणाम से बचाने के उद्घाटन से ही अधिनियम में यह प्रावधान किए गए हैं।यह अधिनियम में प्रस्तुत धारा का मूल रूप हैधारा 26अभिलिखित किए जाने वाले कथन के संबंध में...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 23: मजिस्ट्रेट द्वारा बालक के कथन का अभिलेखन
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 25 मजिस्ट्रेट द्वारा बालक के कथन के अभिलेखन से संबंधित है। यह दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 से संबंधित है जहां पीड़िता के कथन मजिस्ट्रेट द्वारा अभिलिखित किये जाने का उल्लेख मिलता है। इस धारा में कथन के अभिलेखन के अधिकार के साथ उसकी रीति भी बतलाई गई है।यह अधिनियम में प्रस्तुत धारा का मूल रूप हैधारा 25 मजिस्ट्रेट द्वारा बालक के कथन का अभिलेखन–(1) यदि बालक का कथन, दण्ड प्रक्रिया...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 22: पॉक्सो मामले में झूठी शिकायत पर दंड, मीडिया के लिए प्रक्रिया एवं बालकों के कथन
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 22, 23, एवं 24 पॉक्सो प्रकरणों में एक प्रक्रिया निर्धारित करती है। जिसके अनुसार इस अधिनियम के अंतर्गत झूठी शिकायत, मीडिया को बालकों के संबंध में निर्देश देने और कोर्ट को बालकों के कथन अभिलिखित करने का ढंग बताया गया है। इस आलेख में संयुक्त रूप से इन तीनों ही धाराओं पर टीका प्रस्तुत किया जा रहा है।धारा 22यह अधिनियम में प्रस्तुत धारा का मूल रूप हैमिथ्या परिवाद या मिथ्या सूचना के लिए...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 21: पॉक्सो मामलों में रिपोर्ट दर्ज नहीं करने पर दंड
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 21 पॉक्सो मामलों में रिपोर्ट दर्ज करने में विफल रहने पर दंड का उल्लेख करती है। अर्थात इस अधिनियम में एक पुलिस अधिकारी को भी यह बाध्यता दी गई है कि वह शिकायत मिलने पर रिपोर्ट दर्ज करेगा, यदि अपराध हुआ है और रिपोर्ट दर्ज नहीं की जाती है तो ऐसी स्थिति में रिपोर्ट दर्ज नहीं करने वाले अधिकारी को भी दंडित किया जा सकता है।यह अधिनियम में प्रस्तुत धारा का मूल रूप हैधारा 21मामले की रिपोर्ट...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 20: पॉक्सो मामले को रिपोर्ट करने के लिए मीडिया, स्टूडियो और फोटो चित्रण सुविधाओं की बाध्यता
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 20 कुछ संस्थओं को मामलों की रिपोर्ट से संबंधित कुछ बाध्यता देती है। इन संस्थाओं को रिपोर्ट पुलिस अधिकारियों को प्रदान करनी होती है। आलेख में धारा 20 के अर्थ को समझा जा रहा है।यह अधिनियम में प्रस्तुत धारा का मूल रूप हैधारा 20मामले को रिपोर्ट करने के लिए मीडिया, स्टूडियो और फोटो चित्रण सुविधाओं की बाध्यता-मीडिया या होटल या लॉज या अस्पताल या क्लब या स्टूडियो या फोटो चित्रण संबंधी...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 19: प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने में देरी का परिणाम
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 19 पॉक्सो अधिनियम में रिपोर्ट दर्ज करने की रीति प्रस्तुत करती है। इस आलेख में रिपोर्ट दर्ज करने में देरी के परिणाम के संबंध में चर्चा की जा रही है।प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने में विलम्बदोषमुक्ति न्यायसंगत नहीं लैंगिक अपराधों में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने में विलम्ब अनेक कारणों से, विशेष रूप में अभियोक्त्री अथवा उसके परिवार के सदस्यों की पुलिस के पास जाने और उस घटना, जो...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 18: पॉक्सो अपराधों में रिपोर्ट करने की रीति
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 19 पॉक्सो अधिनियम में रिपोर्ट करने की रीति निर्धारित करती है। इस आलेख में धारा 19 पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।यह अधिनियम में प्रस्तुत धारा का मूल रूप हैधारा 19अपराधों की रिपोर्ट करना(1) दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी कोई व्यक्ति (जिसके अंतर्गत बालक भी हैं) जिसे यह आशंका है कि इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किए जाने की संभावना है...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 17: पॉक्सो अधिनियम में किसी अपराध को करने का प्रयत्न
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 18 किसी अपराध को करने के प्रयत्न के संबंध में लागू होती है। जैसे कि भारतीय दंड संहिता में उल्लेखनीय अपराधों को करना ही अपराध नहीं अपितु ऐसे अपराधों को करने का प्रयास करना भी अपराध है। इस ही तरह पॉक्सो अधिनियम में उल्लेखित किये गए अपराधों को करने का प्रयत्न भी अपराध है। इस आलेख में धारा 18 पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।यह अधिनियम में प्रस्तुत धारा का मूल रूप हैधारा 18किसी अपराध...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 16: पॉक्सो अधिनियम में किसी अपराध का दुष्प्रेरण
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 16 अधिनियम में उल्लेखित किए गए अपराधों के दुष्प्रेरण के संबंध में उल्लेख करती है। इस अधिनियम में किसी अपराध का दुष्प्रेरण भी अपराध बनाया गया है, यह आलेख इस ही प्रावधान पर प्रकाश डाल रहा है।दुष्प्रेरण से संबंधित धारा 16 का यह मूल रूप हैधारा 16किसी अपराध का दुष्प्रेरणकोई व्यक्ति किसी अपराध के किए जाने का दुष्प्रेरण करता है, जो पहला उस अपराध को करने के लिए किसी व्यक्ति को उकसाता है;...