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हिन्दू विधि भाग 7 : जानिए हिंदू मैरिज एक्ट के अधीन विवाह कब शून्यकरणीय (Voidable marriage) होता है, शून्य विवाह और शून्यकरणीय विवाह में क्या अंतर है
हिन्दू विधि भाग 7 : जानिए हिंदू मैरिज एक्ट के अधीन विवाह कब शून्यकरणीय (Voidable marriage) होता है, शून्य विवाह और शून्यकरणीय विवाह में क्या अंतर है

हिंदू विवाह अधिनियम 1955 (The Hindu Marriage Act, 1955) के अधीन हिंदू विवाह के संविदा के स्वरूप को ध्यान में रखते हुए संविदा की भांति ही इस विवाह में शून्य और शून्यकरणीय विवाह (Voidable marriage) जैसी व्याख्या की गई है।अधिनियम की धारा 12 हिंदू विवाह शून्यकरणीय के संबंध में उल्लेख करती। इसके पूर्व के लेख में किसी हिंदू विवाह के शून्य (Void) होने के संदर्भ में उल्लेख किया गया था।इस लेख में हिंदू विवाह के शून्यकरणीय होने के संदर्भ में उल्लेख किया जाएगा तथा शून्य विवाह और शून्यकरणीय विवाह के मध्य...

हिन्दू विधि भाग 5 : जानिए हिंदू मैरिज एक्ट के अधीन न्यायिक पृथक्करण ( Judicial Separation) क्या होता है
हिन्दू विधि भाग 5 : जानिए हिंदू मैरिज एक्ट के अधीन न्यायिक पृथक्करण ( Judicial Separation) क्या होता है

हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 9 के अधीन जिस प्रकार विवाह के पक्षकारों के आपसी मतभेद होने पर पुनर्मिलन के प्रयास किए गए हैं| इसी प्रकार धारा 10 के अधीन विवाह को बचाए रखते हुए विवाह के पक्षकारों को अलग अलग रहने के उपचार प्रदान किए गए हैं।प्राचीन शास्त्री हिंदू विधि के अधीन हिंदू विवाह एक संस्कार है तथा यह जन्म जन्मांतरों का संबंध है। ऐसे प्रयास होने चाहिए कि कोई भी हिंदू विवाह के संपन्न होने के बाद पति और पत्नी जहां तक संभव हो सके विवाह को सफल बनाएं तथा साथ-साथ साहचर्य का पालन करें। इस विचार को...

हिन्दू विधि भाग 1 : जानिए हिन्दू विधि (Hindu Law) और हिंदू विवाह (Hindu Marriage) से संबंधित आधारभूत बातें
हिन्दू विधि भाग 1 : जानिए हिन्दू विधि (Hindu Law) और हिंदू विवाह (Hindu Marriage) से संबंधित आधारभूत बातें

भारतीय लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के अंतर्गत भारत के समस्त नागरिकों को उनके धार्मिक तथा जातिगत रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार अपने व्यक्तिगत मामलों (विवाह, तलाक, भरण पोषण,उत्तराधिकार, दत्तक ग्रहण) से संबंधित मामले अधिनियमित किए गए।भारत के सभी नागरिकों को अपनी धार्मिक तथा जातिगत परंपराओं और रिवाजों को अपने व्यक्तिगत मामलों में कानून का दर्जा दिया गया है। इन परंपराओं और रीति-रिवाजों को अधिनियम के माध्यम से समय-समय पर बल दिया गया है तथा इन प्रथाओं को सहिंताबद्ध किया गया है।भारत के मुसलमानों को...

सशर्त बिक्री द्वारा बंधक और पुन: हस्तांतरण की शर्त के साथ बिक्री के बीच अंतर : सुप्रीम कोर्ट
सशर्त बिक्री द्वारा बंधक' और 'पुन: हस्तांतरण की शर्त के साथ बिक्री' के बीच अंतर : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में एलआर के माध्यम से प्रकाश (मृत) बनाम जी आराध्या एवं अन्य मामले में 'सशर्त बिक्री द्वारा बंधक' और 'पुन: हस्तांतरण की शर्त के साथ बिक्री' की अवधारणाओं को समझाया है।संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 (टीपीए) की धारा 58 (सी) का उल्लेख करते हुए, न्यायालय ने कहा, “नकारात्मक में एक काल्पनिक कल्पना जोड़ी गई थी कि एक लेनदेन को तब तक बंधक नहीं माना जाएगा जब तक कि उस दस्तावेज़ में पुनर्भुगतान की शर्त शामिल न हो जिसका उद्देश्य बिक्री को प्रभावित करना है।"बेंच में जस्टिस हिमा कोहली...

पुराना वाहन बेचने पर खरीदने वाला ट्रांसफर नहीं करवाए तब मालिक क्या नुकसान हो सकते हैं
पुराना वाहन बेचने पर खरीदने वाला ट्रांसफर नहीं करवाए तब मालिक क्या नुकसान हो सकते हैं

वाहन व्यक्ति की संपत्ति है। कई मौकों पर वाहन खरीदने और बेचने पड़ते हैं। वाहनों से संबंधित सभी लेखा जोखा सरकार द्वारा क्षेत्रीय परिवाहन कार्यालय के माध्यम से अपने पास रखा जाता है। किसी भी वाहन को बेचने पर उसके मालिक द्वारा खरीदने वाले व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर करवाया जाता है। ऐसे ट्रांसफर पर सरकार को ड्यूटी भी प्राप्त होती है जो राज्य सरकार का राजस्व होता है। आजकल केवल स्टांम्प के माध्यम से वाहन बेचे जाने का चलन भी चल रहा है जो गैर कानूनी है। कई वाहन ऐसे हैं जो बगैर ट्रांसफर के ही कई लोगों को बिक...