केरल हाईकोर्ट

[POCSO] अभियुक्त की दोषपूर्ण मानसिक स्थिति पर प्री ट्रायल चरण में विचार नहीं किया जा सकता: केरल हाईकोर्ट ने आरोप-मुक्ति याचिका खारिज की
[POCSO] अभियुक्त की दोषपूर्ण मानसिक स्थिति पर प्री ट्रायल चरण में विचार नहीं किया जा सकता: केरल हाईकोर्ट ने आरोप-मुक्ति याचिका खारिज की

केरल हाईकोर्ट ने माना कि अभियुक्त की दोषपूर्ण मानसिक स्थिति पर प्री ट्रायल चरण में विचार नहीं किया जा सकता, जब अभियोजन पक्ष द्वारा प्रथम दृष्टया मामला बनाया जाता है।न्यायालय इस बात पर विचार कर रहा था कि क्या POCSO Act के तहत अभियुक्त के विरुद्ध कार्यवाही बरी करने या रद्द करने के समय दोषपूर्ण मानसिक स्थिति पर विचार किया जा सकता है।जस्टिस ए. बदरुद्दीन ने कहा कि अभियुक्त की दोषपूर्ण मानसिक स्थिति पर तब विचार नहीं किया जा सकता, जब अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत सामग्री से प्रथम दृष्टया आरोप-पत्र तैयार...

BNS की धारा 111(1) के तहत अपराध के लिए निरंतर गैरकानूनी गतिविधि और दो से अधिक चार्जशीट अनिवार्य: केरल हाईकोर्ट
BNS की धारा 111(1) के तहत अपराध के लिए निरंतर गैरकानूनी गतिविधि और दो से अधिक चार्जशीट अनिवार्य: केरल हाईकोर्ट

बीएनएस की धारा 111 (1) संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्य द्वारा या ऐसे सिंडिकेट की ओर से की गई सतत आपराधिक गतिविधि के रूप में संगठित अपराध को परिभाषित करती है। धारा 111 (1) (i) 'संगठित अपराध सिंडिकेट' को परिभाषित करती है और धारा 111 (1) (ii) 'गैरकानूनी गतिविधि जारी रखने' को परिभाषित करती है।जस्टिस सीएस डायस ने कहा कि प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता के खिलाफ धारा 111 (1) के तहत अपराध नहीं बनता है क्योंकि धारा 111 (1) (ii) के तहत परिभाषित 'गैरकानूनी गतिविधि जारी रखने' के जनादेश को पूरा करने के लिए पिछले दस...

कोई भी माता-पिता अविवाहित बेटी के साथ बलात्कार का झूठा मामला दर्ज नहीं करवाएगा: केरल हाईकोर्ट
कोई भी माता-पिता अविवाहित बेटी के साथ बलात्कार का झूठा मामला दर्ज नहीं करवाएगा: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि सामान्य मानवीय आचरण में कोई भी माता-पिता अपनी अविवाहित बेटी के साथ बलात्कार का आरोप लगाते हुए झूठा मामला दर्ज नहीं करवाएगा। जस्टिस पीबी सुरेश कुमार और जस्टिस एमबी स्नेहलता की खंडपीठ ने इस प्रकार पीड़िता के साथ बलात्कार और यौन शोषण करने के लिए 27 वर्षीय व्यक्ति की दोषसिद्धि को बरकरार रखा और एफआईआर दर्ज करने में छह महीने की देरी को माफ कर दिया, यह देखते हुए कि पीड़िता 13 वर्षीय किशोरी थी।अभियुक्त के बचाव को खारिज करते हुए कि माता-पिता ने अपने प्रेम संबंध को...

एक महिला द्वारा दूसरी महिला के साथ कथित यौन उत्पीड़न पर आईपीसी की धारा 354ए लागू नहीं होती: केरल हाईकोर्ट
एक महिला द्वारा दूसरी महिला के साथ कथित यौन उत्पीड़न पर आईपीसी की धारा 354ए लागू नहीं होती: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने आईपीसी की धारा 354ए के तहत महिला द्वारा अपनी ननद और सास द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए शुरू की गई कार्यवाही रद्द कर दी।वास्तविक शिकायतकर्ता की ननद (तीसरी आरोपी) और सास (चौथी आरोपी) ने आईपीसी की धारा 498ए, 354ए और 34 के तहत उनके खिलाफ लगाए गए अपराधों को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।जस्टिस ए. बदरुद्दीन ने फैसला सुनाया कि जब विधायिका ने आईपीसी की धारा 354ए के तहत 'कोई भी व्यक्ति' के बजाय 'कोई भी पुरुष' शब्द का इस्तेमाल किया तो महिलाओं द्वारा किए गए...

ग्राम न्यायालय के पास मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम के तहत आवेदनों पर विचार करने का अधिकार नहीं: केरल हाईकोर्ट
ग्राम न्यायालय के पास मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम के तहत आवेदनों पर विचार करने का अधिकार नहीं: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने माना कि ग्राम न्यायालय अधिनियम, 2008 के तहत ग्राम न्यायालय के पास मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत दायर आवेदनों पर विचार करने का अधिकार नहीं है।जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने पाया कि ग्राम न्यायालय मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम के तहत दायर आवेदनों पर विचार नहीं कर सकता, जिसमें तलाक के समय पत्नी को दिए जाने वाले भरण-पोषण या महर की मांग की गई हो।अधिनियम के तहत दायर याचिकाओं को जीएन अधिनियम की अनुसूची में शामिल न किए जाने के कारण इस...

प्रेस, मीडियाकर्मियों के खिलाफ अवांछित मानहानि के मामलों से सतर्क रहें: केरल हाईकोर्ट ने जिला न्यायपालिका से कहा
प्रेस, मीडियाकर्मियों के खिलाफ अवांछित मानहानि के मामलों से सतर्क रहें: केरल हाईकोर्ट ने जिला न्यायपालिका से कहा

केरल हाईकोर्ट ने जिला न्यायपालिका के न्यायिक अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अखबारों और मीडियाकर्मियों के खिलाफ मानहानि के आरोपों पर विचार करते समय सावधानी बरतें।जस्टिस ए. बदरुद्दीन ने कहा कि आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत समाचार पत्रों और मीडियाकर्मियों के खिलाफ अवांछित कानूनी अभियोजन प्रेस की स्वतंत्रता और लोगों के जानने के अधिकार का उल्लंघन होगा। इस प्रकार न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट को प्रेस और मीडिया के लोगों के खिलाफ मानहानि का आरोप लगाने वाले अभियोगों पर विचार करते समय सतर्क रहने का...

युद्ध में चोट लगने पर पेंशन/दिव्यांगता पेंशन पात्र सैन्य कर्मियों का अधिकार, इनाम नहीं: केरल हाईकोर्ट
युद्ध में चोट लगने पर पेंशन/दिव्यांगता पेंशन पात्र सैन्य कर्मियों का 'अधिकार', इनाम नहीं: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने माना कि युद्ध में चोट लगने पर पेंशन और विकलांगता पेंशन के दावे इनाम नहीं हैं, बल्कि पात्र सैन्य कर्मियों को उपलब्ध अधिकार हैं। न्यायालय ने माना कि सैन्य कर्मियों के लिए पेंशन विनियमन के प्रावधानों की लाभकारी व्याख्या की जानी चाहिए। इस रिट याचिका में सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के आदेश को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई थी। मुद्दा यह था कि क्या प्रतिवादी, जो एक सैन्य अधिकारी है, जिसने 2000 में 'सामान्य विकलांगता' के लिए एकमुश्त मुआवजा प्राप्त किया था, 2009 में उसकी चोट को 'युद्ध...

DV Act | पिछले विवाह के दौरान साथ रहने वाले जोड़े विवाह की प्रकृति में घरेलू संबंध साझा नहीं करते: केरल हाईकोर्ट
DV Act | पिछले विवाह के दौरान साथ रहने वाले जोड़े विवाह की प्रकृति में घरेलू संबंध साझा नहीं करते: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने माना कि जिस जोड़ा ने अपने पिछले विवाह के दौरान विवाह समारोह किया और काफी समय तक एक साथ रहा, उसे विवाह की प्रकृति में संबंध नहीं कहा जा सकता। यह घरेलू हिंसा अधिनियम (PWDV Act) से महिलाओं के संरक्षण की धारा 2 (एफ) में 'घरेलू संबंध' की परिभाषा में उल्लेख किया गया।जस्टिस पी. जी. अजितकुमार ने वेलुसामी डी. बनाम डी. पचैम्मल (2010) में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर भरोसा करते हुए कहा कि पक्षकारों के बीच घरेलू संबंध नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने निर्धारित किया कि विवाह की प्रकृति में संबंध...

अभियुक्त का आपराधिक इतिहास किसी अपराध के लिए समझौता करने में बाधा नहीं बनेगा, जो अन्यथा समझौता योग्य होः केरल हाईकोर्ट
अभियुक्त का आपराधिक इतिहास किसी अपराध के लिए समझौता करने में बाधा नहीं बनेगा, जो अन्यथा समझौता योग्य होः केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने माना कि अभियुक्त का आपराधिक इतिहास भारतीय दंड संहिता के तहत समझौता योग्य अपराध को समझौता करने में बाधा नहीं बनेगा।जस्टिस ए बदरुद्दीन ने कहा कि प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता के खिलाफ चोरी का अपराध बनता है, जो समझौता योग्य अपराध है। इसने कहा कि चोरी समझौता योग्य अपराध है और इसका निपटारा उस मालिक द्वारा दायर हलफनामे के आधार पर किया जा सकता है, जिसकी संपत्ति चोरी हुई थी।कोर्ट ने कहा, “ऐसा मानते हुए, जब चोरी की गई संपत्ति के मालिक की इच्छा पर मामला समझौता योग्य है, जैसा कि केस रिकॉर्ड से...

क्या शादी के वादे पर तथ्य की गलती के आधार पर सहमति प्राप्त की गई थी, इसका पता मुकदमे में लगाया जाएगा: केरल हाईकोर्ट ने बलात्कार का मामला रद्द करने से किया इनकार
क्या शादी के वादे पर तथ्य की गलती के आधार पर सहमति प्राप्त की गई थी, इसका पता मुकदमे में लगाया जाएगा: केरल हाईकोर्ट ने बलात्कार का मामला रद्द करने से किया इनकार

केरल हाईकोर्ट ने कहा कि जब अभियोजन पक्ष के आरोप प्रथम दृष्टया मामला बनते हैं तब यह कि विवाह के वादे पर तथ्य की गलत धारणा पर सहमति प्राप्त करने के बाद यौन संबंध बनाए गए थे, इसका निर्णय साक्ष्य के दौरान किया जाना चाहिए। मामले में याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसने वास्तविक शिकायतकर्ता को विवाह का वादा देकर उसके साथ यौन संबंध बनाए। उसने अपने खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही को रद्द करने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।जस्टिस ए बदरुद्दीन ने याचिकाकर्ता के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने...

न्यायालय को एडवोकेट के नामांकन के लिए राज्य बार काउंसिल की समय सीमा में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए: केरल हाईकोर्ट
न्यायालय को एडवोकेट के नामांकन के लिए राज्य बार काउंसिल की समय सीमा में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने माना कि वह नामांकन के लिए केरल बार काउंसिल द्वारा तय की गई समय-सीमा में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। न्यायालय ने पाया कि बार काउंसिल ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्देशों के आधार पर समय-सीमा तय की और न्यायालय को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस बात पर विचार करने के बाद कि बड़ी संख्या में लोगों ने बिना कानून की डिग्री के या फर्जी डिग्री के आधार पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया में नामांकन कराया है। नामांकन से पहले डिग्री सर्टिफिकेट के अनिवार्य वेरिफिकेशन का निर्देश...

केरल हाईकोर्ट ने पूर्व CPI (M) नेता की हत्या की सजा में बदलाव किया, जिन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी
केरल हाईकोर्ट ने पूर्व CPI (M) नेता की हत्या की सजा में बदलाव किया, जिन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी

केरल हाईकोर्ट ने पूर्व CPI (M) स्थानीय नेता और चेरथला नगर स्थायी समिति के अध्यक्ष आर. बैजू को दी गई मृत्युदंड की सजा रद्द कर दी, जिन्हें अलप्पुझा के अतिरिक्त सेशन जज ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य दिवाकरन की हत्या के लिए दोषी ठहराया।जस्टिस पी.बी. सुरेश कुमार और जस्टिस एम.बी. स्नेहलता की खंडपीठ ने पाया कि उनके खिलाफ हत्या का आरोप साबित नहीं हुआ। उन्हें केवल गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया जा सकता है।यह घटना तब हुई, जब दोनों पक्षों के बीच विवाद शुरू हो गया, जब आर. बैजू के नेतृत्व में समूह...

बलात्कार का मामला खारिज करने के लिए समझौते के हलफनामे पर भरोसा नहीं किया जा सकता, पीड़िता और आरोपी के बीच संबंधों की प्रकृति का फैसला मुकदमे में किया जाएगा: केरल हाईकोर्ट
बलात्कार का मामला खारिज करने के लिए समझौते के हलफनामे पर भरोसा नहीं किया जा सकता, पीड़िता और आरोपी के बीच संबंधों की प्रकृति का फैसला मुकदमे में किया जाएगा: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने कहा कि बलात्कार जैसे आरोपी के खिलाफ लगाए गए गंभीर अपराधों को केवल वास्तविक शिकायतकर्ता द्वारा दायर किए गए समझौता हलफनामे के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता।जस्टिस ए. बदरुद्दीन ने आरोपी द्वारा दायर याचिका यह कहते हुए खारिज की कि संबंध सहमति से था या नहीं यह मुकदमे में तय किए जाने वाले मामले हैं।यह माना गया,“संबंध सहमति से बने हैं या नहीं, यह साक्ष्य के दौरान तय किया जाने वाला मामला है। केवल वास्तविक शिकायतकर्ता द्वारा दायर हलफनामे पर भरोसा करते हुए यह न्यायालय कार्यवाही को रद्द...

ट्रायल कोर्ट को चेक अनादर मामलों में विवादित हैंडराइटिंग की तुलना करने का अधिकार: केरल हाईकोर्ट
ट्रायल कोर्ट को चेक अनादर मामलों में विवादित हैंडराइटिंग की तुलना करने का अधिकार: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने माना कि ट्रायल कोर्ट विवादित हैंडराइटिंग की तुलना कर सकता है। ऐसे मामले में किसी व्यक्ति के हैंडराइटिंग को साबित कर सकता है, जहां आरोपी ने चेक अनादर मामले में पहले ही अपने हस्ताक्षर स्वीकार कर लिए हों।वर्तमान मामले में अभियुक्त पर परक्राम्य लिखत अधिनियम (NI Act) की धारा 138 के तहत आरोप लगाया गया। उसने दावा किया कि आपत्तिजनक चेक पर हस्ताक्षर तो उसके थे लेकिन चेक पर लिखी सामग्री उसके द्वारा नहीं भरी गई।जस्टिस के. बाबू ने साक्ष्य अधिनियम (Evidence Act) की धारा 73 के तहत ट्रायल...

प्रेम-विहीन विवाह से तलाक की मांग करने वाली महिला से क्रूरता की हर घटना को याद करने की उम्मीद नहीं की जाती: केरल हाईकोर्ट
प्रेम-विहीन विवाह से तलाक की मांग करने वाली महिला से क्रूरता की हर घटना को याद करने की उम्मीद नहीं की जाती: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने माना कि जो महिला अपने पति के साथ प्रेम-विहीन रिश्ते में होने की शिकायत करती है, जो कथित रूप से स्वच्छंद जीवन जी रहा है और शराब के नशे में काम कर रहा है, वह क्रूरता की हर घटना को गिनाने में सक्षम नहीं होगी।जस्टिस देवन रामचंद्रन और जस्टिस सी. प्रतीप कुमार की खंडपीठ तलाक याचिका में फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर विचार कर रही थी।अपीलकर्ता का प्रतिवादी से तब परिचय हुआ, जब वह बहुत छोटी थी और उनके बीच एक-दूसरे के साथ घनिष्ठ संबंध बन गए थे। जब उसके माता-पिता को इस बारे में...

मुकदमे के दौरान पीड़िता के बालिग होने पर भी मध्यस्थ के माध्यम से परीक्षा का तरीका अपरिवर्तित रहता है: केरल हाईकोर्ट
मुकदमे के दौरान पीड़िता के बालिग होने पर भी मध्यस्थ के माध्यम से परीक्षा का तरीका अपरिवर्तित रहता है: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने माना है कि पॉक्सो अधिनियम की धारा 33 (2) के अनुसार पॉक्सो मामले में विशेष अदालत (मध्यस्थ) के माध्यम से पीड़ित की जांच करने का तरीका अपरिवर्तित रहता है, भले ही पीड़ित मुकदमे के दौरान वयस्क होने की आयु प्राप्त कर ले।पॉक्सो अधिनियम की धारा 33 (2) में कहा गया है कि विशेष लोक अभियोजक या बचाव पक्ष के वकील विशेष अदालत को अपने सवाल देंगे, जो तब परीक्षण के दौरान पीड़ित बच्चे से ये सवाल पूछेगा। धारा 33(2) पीड़ित से सीधे पूछताछ का निषेध करती है। जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने कहा कि पीड़ित को...

अवैध तलाक-ए-सुन्नत को तीन तलाक के रूप में दंडनीय नहीं माना जाएगा: केरल हाइकोर्ट
अवैध तलाक-ए-सुन्नत को तीन तलाक के रूप में दंडनीय नहीं माना जाएगा: केरल हाइकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में दिए गए अपने फैसले में कहा कि यदि इरादा तत्काल और अपरिवर्तनीय तलाक देने का नहीं है तो इसे तलाक-उल-बिद्दत नहीं माना जा सकता।याचिकाकर्ता ने न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के समक्ष अपने खिलाफ कार्यवाही रद्द करने की मांग की थी।प्रतिवादी ने उस पर तत्काल और अपरिवर्तनीय तलाक देकर मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम 2019 के तहत अपराध करने का आरोप लगाया।हालांकि याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यह तत्काल तलाक या अपरिवर्तनीय प्रकृति के तलाक-ए-बिद्दत का मामला नहीं था। उसने 3...

कानून वयस्क हो चुके बालक को पिता से भरण-पोषण का दावा करने का अधिकार नहीं देता: केरल हाईकोर्ट
कानून वयस्क हो चुके बालक को पिता से भरण-पोषण का दावा करने का अधिकार नहीं देता: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने माना कि वयस्क हो चुके बालक घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम, सीआरपीसी की धारा 125 और हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम की धारा 20 (3) के प्रावधानों के अनुसार अपने पिता से भरण-पोषण का दावा नहीं कर सकते।जस्टिस पी.जी. अजितकुमार ने कहा,"इस प्रकार, उक्त प्रावधानों में से कोई भी प्रावधान वयस्क हो चुके बालक को अपने पिता से भरण-पोषण का दावा करने का अधिकार नहीं देता।"पुनर्विचार याचिकाकर्ता पति और पत्नी हैं तथा दो बेटे प्रतिवादी हैं। वर्ष 2014 में ट्रायल कोर्ट ने डीवी एक्ट...

कस्टडी की लड़ाई में उलझी मां द्वारा पिता पर बच्चे का यौन शोषण करने का आरोप लगाने वाले मामलों में POCSO कोर्ट को सतर्क रहना चाहिए: केरल हाईकोर्ट
कस्टडी की लड़ाई में उलझी मां द्वारा पिता पर बच्चे का यौन शोषण करने का आरोप लगाने वाले मामलों में POCSO कोर्ट को सतर्क रहना चाहिए: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने POCSO न्यायालयों को चेतावनी दी है कि वे बच्चे के यौन शोषण के आरोपों पर विचार करते समय सतर्क रहें। खासकर तब जब उनके बीच वैवाहिक और हिरासत संबंधी विवाद चल रहे हों।इस मामले में पत्नी ने अपने पति पर अपनी 3 वर्षीय बेटी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। दंपति बच्चे की कस्टडी पाने के लिए वैवाहिक विवाद में भी उलझे हुए हैं।जस्टिस पी.वी.कुन्हीकृष्णन ने पाया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ मां द्वारा की गई शिकायत झूठी और बच्चे की कस्टडी पाने के लिए थी। उन्होंने कहा कि वैवाहिक विवादों के कारण...

CM पिनाराई विजयन को CMRL-एक्सालॉजिक लेन-देन में कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं हुआ: सरकार ने हाईकोर्ट को बताया
CM पिनाराई विजयन को CMRL-एक्सालॉजिक लेन-देन में कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं हुआ: सरकार ने हाईकोर्ट को बताया

केरल सरकार ने हाईकोर्ट को सूचित किया कि मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को राज्य के स्वामित्व वाली कोचीन मिनरल्स एंड रूटाइल लिमिटेड (CMRL) और उनकी बेटी वीना थाईकांडियिल के स्वामित्व वाली कंपनी एक्सालॉजिक सॉल्यूशंस के बीच हुए लेन-देन से कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं हुआ।अभियोजन महानिदेशक टीए शाजी ने जस्टिस के. बाबू की एकल पीठ को सूचित किया कि लेन-देन दोनों कंपनियों के बीच कानूनी समझौते पर आधारित थे। लेन-देन से संबंधित सभी संपत्तियों का कानूनी तौर पर हिसाब लगाया गया था और सीएम को इससे कोई पैसा नहीं मिला।यह...