संपादकीय
सुप्रीम कोर्ट ने संरक्षित वनों के लिए न्यूनतम एक किमी ESZ अनिवार्य किया
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण आदेश में निर्देश दिया कि प्रत्येक संरक्षित वन में एक किलोमीटर का इको सेंसिटिव जोन (ESZ) होना चाहिए।कोर्ट ने आगे निर्देश दिया कि ESZ के भीतर किसी भी स्थायी ढांचे की अनुमति नहीं दी जाएगी। राष्ट्रीय वन्यजीव अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान के भीतर खनन की अनुमति नहीं दी जा सकती। साथ ही इस प्रकार अनुमति नहीं दी जाएगी।यदि मौजूदा ESZ एक किमी बफर जोन से आगे जाता है या यदि कोई वैधानिक साधन उच्च सीमा निर्धारित करता है तो ऐसी विस्तारित सीमा मान्य होगी।जस्टिस एल नागेश्वर...
"भक्तों के लाभ के लिए": सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा सरकार द्वारा पुरी जगन्नाथ मंदिर में निर्माण गतिविधियों को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पुरी में प्रतिष्ठित श्री जगन्नाथ मंदिर (Puri Jagannath Temple) परिसर में ओडिशा सरकार द्वारा अवैध उत्खनन और निर्माण कार्य का आरोप लगाते हुए दायर दो याचिकाओं को खारिज कर दिया।याचिकाओं को तुच्छ और जनहित के विपरीत बताते हुए अदालत ने दोनों याचिकाकर्ताओं पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। पीठ ने कहा, "हाल के दिनों में यह देखा गया है कि जनहित याचिकाओं में तेजी से वृद्धि हुई है। ऐसी कई याचिकाएं या तो प्रचार हित याचिका या व्यक्तिगत हित याचिका हैं। हम इस तरह की...
सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर रद्द करने की याचिकाओं को "साइक्लोस्टाइल तरीके" से पुलिस को' अर्नेश कुमार ' फैसले का पालन करते हुए निपटाने के हाईकोर्ट के आदेश की आलोचना की
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह उत्तराखंड हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश के उस आदेश की "सराहना" नहीं करता है जिस तरह से उन्होंने विभिन्न आपराधिक रिट याचिकाओं को "साइक्लोस्टाइल तरीके" से - गुण- दोष को देखे बिना और केवल एक निर्देश के साथ निपटाया है कि गिरफ्तारी करने के लिए आगे बढ़ने से पहले पुलिस अर्नेश कुमार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करेगी।हाईकोर्ट की फाइल पर तत्काल आपराधिक रिट याचिका को बहाल करते हुए "कानून के अनुसार, उसके गुण- दोष पर सुनवाई के लिए कहते हुए अदालत ने आगे...
सुप्रीम कोर्ट ने पुरी जगन्नाथ मंदिर परिसर में ओडिशा सरकार द्वारा निर्माण गतिविधियों के खिलाफ याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित रखा
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पुरी स्थित प्रतिष्ठित श्री जगन्नाथ मंदिर परिसर में ओडिशा सरकार द्वारा किए जा रहे कथित अवैध उत्खनन और निर्माण कार्य के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित रख लिया।कोर्ट कल आदेश सुनाएगा।जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस हिमा कोहली की अवकाश पीठ ने उड़ीसा हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर दो विशेष अनुमति याचिकाओं पर विचार कर रही थी, जिसमें राज्य को पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर और उसके आसपास किसी भी तरह की खुदाई करने से रोक दिया गया था।याचिकाकर्ताओं की दलीलेंएक याचिका में पेश हुईं...
यदि पति मृत्यु के दिन विवादित भूमि का मालिक नहीं था, तो उसकी विधवा स्वाभाविक उत्तराधिकार के माध्यम से संपत्ति के उत्तराधिकार का दावा नहीं कर सकती : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने स्वाभाविक उत्तराधिकार के आधार पर विवादित संपत्ति पर अधिकार का दावा करने वाली विधवा द्वारा दायर एक अपील पर विचार करते हुए कहा कि अपीलकर्ता का पति अपनी मृत्यु की तिथि पर विवादित भूमि का मालिक नहीं था, इसलिए, संपत्ति के उत्तराधिकार का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है।यह माना गया है कि स्वर्गीय श्री बलदेव सिंह अपनी मृत्यु के दिन विवादित भूमि के स्वामी नहीं थे। अतः सम्पत्ति के उत्तराधिकार का प्रश्न ही नहीं उठता।न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल की पीठ उस मामले से निपट रही थी, जहां...
सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र (वीडियो)
सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (23 मई, 2022 से 27 मई, 2022 तक ) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र। सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
'सिर्फ राज्य की सहायता प्राप्त होने से मदरसों का अल्पसंख्यक स्टेटस खत्म नहीं होगा' : सुप्रीम कोर्ट में असम निरसन अधिनियम को चुनौती देने वाला याचिका
राज्य द्वारा वित्त पोषित मदरसों (जिन्हें "प्रांतीयकृत मदरसा" कहा जाता है) को सामान्य स्कूलों में परिवर्तित करने के लिए 2020 में असम विधानसभा द्वारा पारित कानून की संवैधानिकता को बरकरार रखने के गुवाहाटी हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है। ( आपेक्षित कानून) "एसएलपी में हाईकोर्ट के 4 फरवरी, 2022 के आदेश का विरोध किया गया है जिसके द्वारा मुख्य न्यायाधीश सुधांशु धूलिया (अब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत) और जस्टिस सौमित्र सैकिया...
"शैक्षणिक संस्थानों के पास खुली सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाए":सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार को धूम्रपान की उम्र 21 साल करने का निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका दायर
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार को धूम्रपान की उम्र 21 साल करने का निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका दायर की गई है। साथ ही याचिका में खुली सिगरेट की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की गई है।भारत में किशोरों और युवा आबादी के बीच बढ़ती सिगरेट के साथ भारत में धूम्रपान को नियंत्रित करने के लिए दिशा-निर्देश की मांग करते हुए एडवोकेट शुभम अवस्थी और ऋषि मिश्रा ने याचिका दायर की है।यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत एक रिट याचिका है जिसमें केंद्र सरकार से परमादेश की प्रकृति में रिट या आदेश या...
क्या एमवी एक्ट 170 के तहत अनुमति के बिना मुआवजे की मात्रा को चुनौती देने वाले दावे में बीमाकर्ता को प्रतिवादी बनाया जा सकता है : सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर नोटिस जारी किया है जिसमें आग्रह किया गया है कि एक बीमा कंपनी, यदि मोटर वाहन अधिनियम के तहत एक प्रतिवादी के रूप में पक्षकार है, तो एक व्यक्ति के रूप में मुआवजे की मात्रा पर सवाल उठा सकती है जिसके खिलाफ दावा किया गया है।जस्टिस एस के कौल और जस्टिस एम एम सुंदरेश की पीठ गोवा में बॉम्बे हाईकोर्ट के मार्च के फैसले के खिलाफ एसएलपी पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मोटर वाहन अधिनियम, 1988 ( अधिनियम) की धारा 166 के तहत किए गए अवार्ड को चुनौती देने वाली बीमा कंपनी द्वारा दायर अपील...
[ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे वीडियो लीक] वादी राखी सिंह ने सीबीआई जांच की मांग करते हुए वाराणसी जिला अदालत का रुख किया
काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में वादी में से एक राखी सिंह ने ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे वीडियो और तस्वीरों के लीक होने की सीबीआई जांच की मांग करते हुए वाराणसी जिला अदालत का रुख किया है।गौरतलब है कि कल जिला अदालत ने पांच हिंदू महिला याचिकाकर्ताओं में से चार को सर्वे फुटेज की सीलबंद प्रतियां इस शर्त पर दी थीं कि वे कॉम्पैक्ट डिस्क (सीडी) में प्राप्त सामग्री को सार्वजनिक नहीं करेंगे। वादी राखी सिंह ने आरोप लगाया है कि चारों वादी को सर्वे फुटेज वितरित करने के तुरंत बाद, यह लीक हो गया और...
"भगवान जगन्नाथ की विरासत की रक्षा करें": ओडिशा राज्य पर श्री जगन्नाथ मंदिर में अवैध उत्खनन करने का आरोप, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
श्री जगन्नाथ मंदिर (Shree Jagannath Temple) में ओडिशा सरकार द्वारा अवैध उत्खनन और निर्माण कार्य का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के समक्ष 'भगवान श्री जगन्नाथ की विरासत की रक्षा' के लिए एक याचिका दायर की गई है।भगवान जगन्नाथ मंदिर, पुरी में और उसके आसपास किसी भी तरह की खुदाई करने से राज्य को रोकने से इनकार करने वाले ओडिशा हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली एक विशेष अनुमति याचिका का सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उल्लेख किया गया।जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने मामले को...
ज्ञानवापी मामला: अंजुमन समिति ने हिंदू उपासकों के मुकदमे की स्थिरता का विरोध किया, अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी
वाराणसी जिला न्यायालय ने आज ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मंदिर विवाद पर पांच हिंदू महिलाओं (वादी) द्वारा दायर मुकदमे की स्थिरता पर सवाल उठाते हुए प्रतिवादियों (अंजुमन इस्लामिया समिति सहित) द्वारा दायर आदेश 7 नियम 11 सीपीसी आवेदन पर सुनवाई की।जिला न्यायाधीश डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 4 जुलाई को पोस्ट किया है।24 मई को, कोर्ट ने आदेश 7 नियम 11 सीपीसी आवेदन पर 20 मई को जारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप सुनवाई करने का निर्णय लिया था जिसमें कहा गया था कि अंजुमन...
[ज्ञानवापी] भगवान विश्वेश्वर याचिकाकर्ता के माध्यम से वाराणसी कोर्ट गए, हिंदू उपासकों द्वारा सूट में अभियोग की मांग
ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मंदिर विवाद पर पांच हिंदू महिलाओं (वादी) द्वारा दायर मुकदमे में, मस्जिद परिसर के अंदर पूजा करने के अधिकार की मांग करते हुए भगवान विश्वेश्वर नेक्स्ट फ्रेंड एडवोकेट विजय शंकर रस्तोगी के माध्यम से एक अभियोग आवेदन दायर किया गया है।मुकदमे की सुनवाई वर्तमान में जिला न्यायाधीश डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश द्वारा याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं के प्रश्न पर की जा रही है, जिसमें मस्जिद समिति ने आदेश 7 नियम 11 सीपीसी आवेदन दिया है। मूर्ति भगवान विश्वेश्वर याचिकाकर्ता के माध्यम से...
एक्सप्लेनर : सीपीसी का आदेश 7 नियम 11 क्या है? वाद कब खारिज किया जा सकता है?
पारस आहूजाएक वादपत्र की प्रस्तुति, अर्थात् वाद में वादी का अभिवचन; एक सिविल सूट की स्थापना को चिह्नित करता है। सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908, कुछ विशेष आधार पर, आदेश VII नियम 11 के तहत वादपत्र की अस्वीकृति के उपाय का प्रावधान करती है। आदेश VII नियम 11 प्रावधान करता है:-"अदालत एक वाद को खारिज कर देगी:(ए) जहां यह कार्रवाई के कारण का खुलासा नहीं करता है;(बी) जहां दावा की गई राहत का कम मूल्यांकन किया गया है, और वादी, अदालत द्वारा निर्धारित समय के भीतर मूल्यांकन को सही करने के लिए अपेक्षित होने पर भी,...
आदेश VIII नियम 1 ए (3) : किसी पक्ष को अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने की अनुमति देने से इनकार करना, भले ही कुछ देरी हुई हो, न्याय देने से इनकार होगा : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सिविल वाद में किसी पक्ष को अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने की अनुमति देने से इनकार करने पर, भले ही कुछ देरी हुई हो, न्याय देने से इनकार किया जाएगा।जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की पीठ ने कहा, ऐसे मामलों में ट्रायल कोर्ट दस्तावेजों के पेश करने को अस्वीकार करने के बजाय कुछ जुर्माना लगा सकता है।इस मामले में, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश की पुष्टि करते हुए प्रतिवादी को सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के आदेश VIII नियम 1 ए (3) के संदर्भ...
सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (23 मई, 2022 से 27 मई, 2022 तक ) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।अधीनस्थ न्यायालय के कर्मचारियों की गलती, आदेश का पालन करने में देरी, मामला स्थानांतरित करने का कारण नहीं: सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधीनस्थ न्यायालय के कर्मचारियों की ओर से कोई गलती या कमी या अदालत द्वारा अनुपालन में कोई देरी किसी मामले को स्थानांतरित करने का एक कारण नहीं है।इस मामले में,...
पैरोल की वास्तविक संभावना के बिना आजीवन कारावास की सजा असंवैधानिक : कनाडा सुप्रीम कोर्ट
कनाडा के सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि पैरोल की वास्तविक संभावना के बिना आजीवन कारावास की सजा को अधिकृत करने वाला आपराधिक कानून का प्रावधान असंवैधानिक है। कोर्ट ने सर्वसम्मति से कहा, "यह निर्धारित करके कि एक अदालत लगातार 25 साल तक पैरोल के लिए अपात्र की अवधि लगा सकती है, आक्षेपित प्रावधान एक अपमानजनक सजा देने को अधिकृत करता है जो मानव गरिमा के साथ असंगत है।"अदालत ने कहा कि प्रत्येक कैदी के पास कम से कम 50 साल की अपात्रता अवधि की समाप्ति से पहले पैरोल के लिए आवेदन करने की वास्तविक संभावना होनी...
हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (23 मई, 2022 से 27 मई, 2022 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों को सावधानी से निपटाया जाना चाहिए, मौलिक अधिकारों के सम्मान और निष्पक्ष जांच के बीच संतुलन स्थापित किया जाना चाहिए: दिल्ली हाईकोर्टदिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित मामलों को सावधानी से निपटा जाना चाहिए। इसके लिए उसके मौलिक अधिकारों के सम्मान और...
ज्ञानवापी विवाद: मस्जिद समिति ने वाराणसी की अदालत से सर्वे वीडियो, तस्वीरों को पब्लिक डोमेन में नहीं आने देने का आग्रह किया
काशी-विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में मस्जिद समिति ने वाराणसी की अदालत से सर्वेक्षण वीडियो और तस्वीरों को सार्वजनिक डोमेन में नहीं आने देने का आग्रह किया है।मस्जिद समिति ने अदालत से अनुरोध किया है कि गैर-पक्षकारों को सर्वेक्षण के वीडियो और तस्वीरें प्राप्त करने की अनुमति न दें।गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद सर्वेक्षण रिपोर्ट 19 मई को वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर को कोर्ट के 17 मई के आदेश के अनुसार सौंपी गई थी।कोर्ट के निर्देशानुसार 14, 15 और 16 मई को मस्जिद परिसर का...
अधीनस्थ न्यायालय के कर्मचारियों की गलती, आदेश का पालन करने में देरी, मामला स्थानांतरित करने का कारण नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधीनस्थ न्यायालय के कर्मचारियों की ओर से कोई गलती या कमी या अदालत द्वारा अनुपालन में कोई देरी किसी मामले को स्थानांतरित करने का एक कारण नहीं है।इस मामले में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आपराधिक मामले को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रथम, अलीगढ़ की अदालत से मथुरा के संबंधित न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया था। इसका कारण यह था कि हाईकोर्ट अधीनस्थ न्यायालय के कर्मचारियों द्वारा उसके द्वारा पारित आदेश को रिकॉर्ड में नहीं लेने के आचरण से असंतुष्ट महसूस करता था।कुछ आरोपी व्यक्तियों...