जल्द-जल्द बदलते CJI : क्या बताता है 2017
LiveLaw News Network
4 Jan 2018 5:51 PM IST
साल 2017 में देश के तीन मुख्य न्यायाधीश ( CJI) रहे। जस्टिस टीएस ठाकुर को 3 दिसंबर 2015 को नियुक्त किया गया और उन्होंने 3 जनवरी 2017 तक पद संभाला जबकि CJI जेएस खेहर को 4 जनवरी को नियुक्त किया गया और उन्होंने 27 अगस्त तक पद संभाला। 28 अगस्त को नियुक्त CJI दीपक मिश्रा इस साल 2 अक्टूबर को रिटायर हो जाएंगे।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट की शुरुआत के बाद से ये आठवां मौका है जब भारत में तीन मुख्य न्यायाधीश रहे। इससे पहले साल 1954, 19 66, 1989, 1991, 199 8, 2004 और 2014 में तीन मुख्य न्यायाधीश रहे जबकि 2002 केवल एकमात्र साल रहा जिसमें एक के बाद एक चार CJI नियुक्त किए गए।
CJI भरूचा ने 1 नवंबर 2001 से 5 मई 2002 तक पद संभाला था। CJI किरपाल ने 6 मई 2002 से 7 नवंबर, 2002 तक पद संभाला था। CJI जीबी पटनायक ने ये कार्यालय 8 नवंबर 2002 से 18 दिसंबर 2002 तक संभाला था। CJI खरे 1 9 दिसंबर 2002 को नियुक्त हुए और 1 मई 2004 को सेवानिवृत्त हुए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अफसोस व्यक्त किया था कि CJI खेहर के पास बहुत कम समय था, जो लगभग आठ महीने तक पद पर रहे थे। कोई आश्चर्य नहीं कि CJI खेहर ने गर्मियों की छुट्टी का इस्तेमाल तीन तलाक जैसे महत्वपूर्ण संवैधानिक मामलों को सुनने और लंबे समय से लंबित मामलों में निर्णय देने जैसे कि सेवानिवृत्ति से पहले निजता के अधिकार जैसे सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर कम वक्त में सुनवाई पूरी की।
लेकिन पहले के कुछ CJI का कार्यकाल और भी कम रहा है। CJI के एन एस सिंह ने 25 नवंबर 1991 से 12 दिसंबर 1 991 तक पद संभाला यानी सिर्फ 17 दिन। जस्टिस ए.के.सरकार ने 16 मार्च 1966 से 29 जून 1966 तक मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवा की। CJI भरुचा लगभग सात महीने तक कार्यरत रहे। CJI किरपाल ने छह महीने तक कार्य किया जबकि CJI पटनायक ने सिर्फ 40 दिनों के लिए कार्यालय संभाला। CJI श्रीराजेंद्र बाबू ने 2 मई 2004 से 31 मई 2004 तक सिर्फ 29 दिनों के लिए कार्यालय संभाला था। जस्टिस आर.एम. लोढा 27 अप्रैल 2014 से 27 सितंबर 2014 तक सिर्फ पांच महीने के लिए चीफ जस्टिस बने।
वर्तमान मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा का कार्यकाल 3 अक्टूबर को पूरा होगा और फिर जस्टिस रंजन गोगोई CJI बनेंगे।
लेकिन यदि वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में उत्तराधिकार की पंक्ति चलती रहेगी तो CJI के अल्पकालिक कार्यकाल के
निकट भविष्य में भारतीय न्यायपालिका के दायरे में रहने की संभावना है।मुख्य न्यायाधीश के पद के संभावित उत्तराधिकारियों में जस्टिस
उदय उमेश ललित के पास सबसे कम वक्त का कार्यकाल होगा, जो 2022 में लगभग ढाई महीनों तक चलेगा। उसके पहले जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एनवी रमनाके पास पर्याप्त समय होगा।
CJI के रूप में जस्टिस ललित के बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड CJI बनेंगे और उनका कार्यकाल दो साल तक चलेगा।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्ति की तारीख में वरिष्ठता के सिद्धांत, 65 साल पूरे होने पर सेवानिवृत्ति की आयु के साथ CJI के उत्तराधिकार को नियंत्रित करता है।ये हमेशा विद्वानों और पर्यवेक्षकों की आलोचना के शिकार होते हैं।
इसी वजह से कुछ सालों के बाद सुझाए गए विकल्पों में CJI के पास दो साल की निश्चित अवधि बताई गई है और सुप्रीम कोर्ट के जजों को जो अपनी सेवानिवृत्ति के पहले दो साल से कम समय में हैं, को CJI के रूप में नियुक्ति के लिए नहीं माना जाएगा। हालांकि 2015 में एनजेएसी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के भीतर एक आम सहमति की आवश्यकता बताई गई और नियुक्ति के लिए ज्ञापन प्रक्रिया में बदलाव (एमओपी) जिसका संशोधित मसौदा अभी तक तय नहीं हो पाया, CJI के रूप में कम से कम दो साल का कार्यकाल CJI को अपनी प्रशासनिक और न्यायिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करेगा। साथ ही सुधारों की प्रभावशीलता का परीक्षण करने के साथ-साथ उनको ध्यान में भी रखा जा सकेगा।