सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप, पिछले सप्ताह के प्रमुख ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Sharafat Khan

24 Feb 2020 6:31 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप, पिछले सप्ताह के प्रमुख ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    सुप्रीम कोर्ट के वीकली राउंड अप में 17 फरवरी से 21 फरवरी तक सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास जजमेंट/ऑर्डर पर एक नज़र।

    सेना में कमांड नियुक्तियों में महिलाओं को शामिल ना करना गैरकानूनी : SC ने केंद्र की दिल्ली HC के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

    लैंगिक समानता पर एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निर्देश दिया कि सेना में महिलाओं को उनकी सेवा की परवाह किए बिना सिवाय लड़ाकू भूमिकाओं के बाकी शाखाओं में स्थायी भूमिका दी जानी चाहिए । न्यायालय ने यह भी कहा कि कमांड नियुक्तियों से महिलाओं का पूर्ण बहिष्कार संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ है और अनुचित है। केंद्र का ये तर्क कि महिलाओं को केवल कर्मचारी नियुक्तियां दी जा सकती हैं, कानून में ठहरने वाला नहीं है।

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    ब्रेकिंग : अधीनस्थ न्यायपालिका में तैनात जज बार कोटे में जिला जजों के पद पर सीधी भर्ती के लिए पात्र नहीं : सुप्रीम कोर्ट

    एक महत्वपूर्ण फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि सिविल जज बार कोटे में जिला जजों के पद पर सीधी भर्ती के लिए पात्र नहीं हैं। संविधान के अनुच्छेद 233 (2) के तहत पात्रता के लिए 7 साल के निरंतर अभ्यास की आवश्यकता होती है।

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    बलात्कार के मामले में पीड़िता ने कहा उसने दबाव में आरोपी के खिलाफ शिकायत की, सुप्रीम कोर्ट ने हफलनामा खारिज करते हुए सज़ा की पुष्टि की

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    तलाक डिक्री के खिलाफ निर्धारित अवधि के बाद दायर अपील लंबित होने के दौरान किया गया दूसरा विवाह अमान्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट

    बलात्कार के एक मामले में दोषी की सज़ा पुष्टि करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित महिला द्वारा दायर हलफनामे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि उसने आरोपी के खिलाफ दबाव में आकर मामला दर्ज किया था। राकेश कुमार यादव ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपील दायर करके बलात्कार के एक मामले में उसे मिली सजा को चुनौती दी थी। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अभियुक्त के दोष और सजा की पुष्टि की थी।

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    बिजली : स्व-वित्तपोषित शैक्षिक संस्थानों कि लिए वाणिज्यिक शुल्क का निर्धारण क़ानूनी रूप से वैध : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बिजली की दर के निर्धारण में स्व-वित्तपोषित शैक्षिक संस्थानों (एसएफईआई) को वित्तीय सेवाएं देने वालों के साथ रखना और उनसे सरकारी पैसे और सरकारी मदद से चलने वाले शैक्षिक संस्थानों से ज़्यादा शुल्क लेना बिजली अधिनियम, 2003 के तहत जायज़ है। इस मामले में केंद्रीय मुद्दा यह है कि 2003 के अधिनियम के तहत शुल्क निर्धारण के लिए एसएफईआई को दूसरे तरह के शैक्षिक संस्थानों से अलग रखा जा सकता है या नहीं और कहीं यह मनमाना भेदभाव और स्वाभाविक न्याय के ख़िलाफ़ तो नहीं है।

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    दिवालिया घोषित करने वाली कंपनी के ख़िलाफ़ NI एक्ट की धारा 138 के तहत कार्रवाई पर रोक लगाई जा सकती है?

    सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने अटर्नी जनरल को उस याचिका पर नोटिस भेजा है जिसमें नेगोशिएबल इंस्ट्रुमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत ख़ुद को दिवालिया घोषित करने वाली कंपनी के ख़िलाफ़ कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई है।

    बीएसआई लिमिटेड एवं अन्य बनाम गिफ़्ट होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड एवं अन्य के मामले पर भरोसा करते हुए याचिकाकर्ता कंपनी के वक़ील ने कहा कि चूंकि, राष्ट्रीय कंपनी क़ानून अधिकरण (एनसीएलटी) की चेन्नई की एक खंडपीठ ने 10 जुलाई 2017 को एक आदेश के द्वारा रोक लगा दी थी इसलिए धारा 138 के तहत जारी वैधानिक नोटिस पर रोक लग जाती है।

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    सुप्रीम कोर्ट ने आयुष स्नातक कोर्स में नीट को लागू करने को सही ठहराया

    सुप्रीम कोर्ट ने आयुष के अंडर ग्रेजुएट कोर्स जैसे बीएएमएस, बीयूएमएस, बीएसएमएस और बीएचएमएस में प्रवेश के लिए अखिल भारतीय राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET)को सही ठहराया है।

    न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा है कि आयुष पाठ्यक्रमों के लिए भी न्यूनतम स्तर को नीचा नहीं किया जा सकता। भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (भारतीय चिकित्सा शिक्षा में न्यूनतम मानदंड) विनियमन, 1986 को 2018 में संशोधित किया गया। विनियमन 2(d), 2018 यह कहता है कि सभी चिकित्सा संस्थानों में स्नातक कोर्स में प्रवेश के लिए हर अकादमिक वर्ष में समान प्रवेश परीक्षा जैसे राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (नीट) होगी और नीट परीक्षा का आयोजन केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत एजेंसी आयोजित करेगी।

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    ज़मानत आवेदनों को तेजी से निपटाना चाहिए, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट में ज़मानत आवेदनों के लंबे समय से लंबित रहने पर नाराज़गी जताई

    कलकत्ता हाईकोर्ट के समक्ष अगस्त 2018 में दायर ज़मानत आवेदन के लंबित रहने के मामले में अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि ज़मानत के आवेदनों को तेजी और आखिरकार तत्परता से निपटाए जाने चाहिए। हाईकोर्ट ने एक आरोपी द्वारा दायर ज़मानत अर्जी पर फैसला करने के बजाय उस पर अंतरिम आदेश जारी कर दिए।

    अंतरिम आदेश में संशोधन के लिए उसके आवेदन की अस्वीकृति के खिलाफ दायर अपील पर विचार करते हुए न्यायामूर्ति एएम खानविलकर और न्यायामूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा, "उक्त जमानत अर्जी को तत्परता से निपटाने के बजाय, हाईकोर्ट ने उन कारणों से, जो हमारे लिए स्पष्ट नहीं हैं, अपीलार्थी के विचाराधीन 01.10.2018 के आदेश में अंतरिम राहत देने का फैसला किया और इस दिन तक उसकी सुरक्षा को जारी रखा।"

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    आठ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक घोषित करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार किया

    सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें जम्मू-कश्मीर समेत आठ राज्यों में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक के तौर पर शामिल कर नई अधिसूचना जारी करने की मांग की गई थी। गुरुवार को जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन की पीठ ने याचिकाकर्ता को संबंधित उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता दे दी। याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका को वापस ले लिया।

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    सुप्रीम कोर्ट ने DGP के खिलाफ जारी NBW के कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई

    सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस उपाधीक्षक के तबादले से जुड़े एक मामले में राज्य के DGPऔर IGP के खिलाफ गैर जमानती वारंट ( NBW) जारी करने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कर्नाटक सरकार और पुलिस प्रमुख, प्रवीण सूद की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा दलीलें देने के बाद यह आदेश पारित किया। अदालत ने सूचीबद्ध मामलों की समाप्ति के बाद इस मुद्दे पर सुनवाई करने फैसला किया क्योंकि मेहता ने तत्काल सुनवाई की मांग की थी।

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    1997 उपहार त्रासदी : अंसल बंधुओं की सजा बढ़ाने की पीड़ितों की क्यूरेटिव खारिज, मामले को फिर से खोलने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार किया

    1997 उपहार त्रासदी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं को राहत देते हुए पीड़ितों की क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया है और मामले को फिर से खोलने से इनकार कर दिया है।

    मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, जस्टिस एन वी रमना और जस्टिस अरुण मिश्रा ने चेंबर में विचार कर सुशील अंसल और गोपाल अंसल की जेल की सजा बढ़ाने की मांग भी ठुकरा दी। 13 फरवरी को दिए गए इस क्यूरेटिव याचिका के फैसले में खुली अदालत में मांग भी ठुकरा दी गई है। फैसले में कहा गया है कि इस याचिका में कोई मेरिट नहीं है।

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    बार में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता न्यायिक शाखा में ताजा दृष्टिकोण लाते हैं : सुप्रीम कोर्ट

    न्यायिक अधिकारियों पर यह निर्णय देते हुए कि वो जिला जजों के पद पर सीधी भर्ती के लिए आवेदन करने के लिए योग्य नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बार में एक सफल वकील के अनुभव को न्यायिक अधिकारियों से कम महत्वपूर्ण नहीं माना जा सकता है।

    पी रामकृष्णम राजू बनाम भारत संघ और अन्य (2014) में SC के फैसले का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि "बार में एक सफल वकील द्वारा प्राप्त अनुभव और ज्ञान को कभी भी किसी भी दृष्टिकोण से एक न्यायिक अधिकारी द्वारा प्राप्त अनुभव को देखते हुए कम महत्वपूर्ण नहीं माना जा सकता है।"

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    अवैध रेत खनन : राजस्थान में अवैध रेत खनन गतिविधियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिए जांच के निर्देश

    मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबड़े के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने बुधवार को राजस्थान में अवैध रेत खनन के मामले में कड़ी नाराजगी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सशक्तिकरण समिति (सीईसी) को निर्देश दिया है कि वह राजस्थान राज्य में अवैध रेत खनन गतिविधियों की जांच करे और 6 सप्ताह के भीतर अपनी सिफारिशों के साथ एक रिपोर्ट प्रस्तुत करे।

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    तथ्यों के विवादित प्रश्न होने पर भी हाईकोर्ट को रिट याचिकाएं सुनने से मनाही नहीं : सु्प्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिका सुनने से मनाही नहीं है, भले ही तथ्यों के विवादित प्रश्न विचार के लिए क्यों न हों, लेकिन यदि उन्हें निष्कर्ष के लिए व्यापक साक्ष्य की आवश्यकता नहीं है।

    मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें एक रिट याचिका को इस आधार पर सुनने से इन्कार कर दिया गया था कि उसमें तथ्यों का सवाल शामिल था।

    रिट याचिकाकर्ता का मामला यह था कि सबसे बड़ी बोली लगाने वाला होने और नीलामी की सम्पूर्ण राशि जमा कराने के बावजूद उसे सैंड ब्लॉक (रेत ब्लॉक) का कब्जा नहीं दिया गया था और इसके लिए कोई कारण भी उसे नहीं बताया गया था, जिसके कारण वह रेत की खुदाई नहीं कर सका था। इस प्रकार वह अपनी राशि वापस लेने का हकदार था। इस रकम वापसी के लिए उसने संबंधित अधिकारी से अनुरोध किया था।

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    (मेघालय): जिला परिषद न्यायालयों के पास उन आपराधिक मामलों की सुनवाई करने का अधिकार, जिसमें पीड़ित और आरोपी दोनों अनुसूचित जनजाति के हों : SC

    सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि मेघालय में जिला परिषद न्यायालयों के पास उन आपराधिक मामलों की सुनवाई करने का अधिकारक्षेत्र है जिसमें पीड़ित और आरोपी दोनों अनुसूचित जनजाति के हों। अदालत मेघालय उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ राज्य द्वारा दायर अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें सत्र न्यायाधीश, नोंगस्टोइन, पश्चिम खासी हिल्स डिस्ट्रिक्ट ऑफ जज से शिलांग स्थित खासी हिल्स स्वायत्त जिला परिषद के न्यायालय में अभियुक्त के खिलाफ एक आपराधिक मामला स्थानांतरित किया गया था।

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    शादी टूटने से बच्चे के प्रति माता पिता की ज़िम्मेदारी समाप्त नहीं हो जाती : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शादी टूटने के बाद भी किसी दंपति की पैतृक जिम्मेदारी समाप्त नहीं होती है। बच्चे की कस्टडी के मामलों में चाहे कोई भी अभिभावक जीते, लेकिन बच्चा हमेशा हारता है।

    ये बच्चे ही हैं जो इस लड़ाई में सबसे भारी कीमत चुकाते हैं ,क्योंकि वे उस समय टूट जाते हैं जब न्यायिक प्रक्रिया द्वारा न्यायालय उन्हें माता-पिता में से जिसे न्यायालय उचित समझता है, उसके साथ जाने के लिए कहता है। एक वैवाहिक विवाद के मामले में दायर सिविल अपील पर विचार करते हुए जस्टिस ए.एम खानविल्कर और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने यह टिप्पणी की।

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    रोटावैक टीके के 6799 शिशुओं पर क्लिनिकल ट्रायल के परिणाम के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

    सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से 6799 शिशुओं को शामिल कर रोटावैक क्लिनिकल परीक्षण (चरण III) के अलग-अलग आंकड़ों (परिणाम) को सार्वजनिक करने के लिए निर्देश देने की याचिका पर सुनवाई की।

    ये परीक्षण दिल्ली, पुणे और वेल्लौर के तीन केंद्रों पर आयोजित किए गए थे। यह याचिका एस श्रीनिवासन की ओर से दायर की गई है जो "लो कॉस्ट स्टैंडर्ड थैरेप्यूटिक्स" के प्रबंध ट्रस्टी हैं। वह आईआईटी खड़गपुर और आईआईएम बैंगलोर के ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट हैं और उन्होंने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में अन्य बातों के साथ-साथ तर्कहीन दवाओं, दवा मूल्य निर्धारण नीति, वैक्सीन पीएसयू के बंद होने और एचपीवी वैक्सीन से संबंधित मौतों के लिए याचिका दायर की है।

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    पश्चिम बंगाल में पेड़ों की कटाई : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ग्रीन कवर को संरक्षित करना जरूरी, विकल्प तलाशने की जरूरत

    पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर रेलवे ओवर ब्रिज ( RoB) के निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई के मामले में सुनवाई के दौरान देश के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा कि ग्रीन कवर को संरक्षित किया जाना चाहिए। ये गिरावट इतनी तेजी से हो रही है कि किसी को भी पता चलने से पहले कई चीजें स्थायी रूप से चली जाएंगी।

    मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने कहा, " लोग विकल्प तलाशने को तैयार नहीं हैं। पेड़ों को काटे बिना रास्ता बनाने का कोई तरीका हो सकता है।" दरअसल यहां मुद्दा यह है कि रेलवे लाइनों के पास लगभग 800 मौतें हुईं। सरकार ने 4 किमी फुट ओवरब्रिज के निर्माण का निर्णय लिया, जिसके लिए कई पेड़ों को काटने की आवश्यकता है।

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    शाहीन बाग धरना : सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े को मध्यस्थ बनाकर प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटने की बातचीत करने को कहा

    शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन के कारण सड़क नाकाबंदी के समाधान की खोज के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े की अध्यक्षता में मध्यस्थता टीम का गठन किया है जो प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत करेगी। जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की बेंच ने स्पष्ट किया कि हेगड़े टीम में अन्य दो व्यक्तियों को चुन सकते हैं। संजय हेगड़े ने वकील साधना रामचंद्रन और पूर्व सीआईसी वजाहत हबीबुल्ला के नामों का प्रस्ताव किया है, जिन्होंने मामले में हस्तक्षेप करने वाला आवेदन दायर किया है।

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