तथ्यों के विवादित प्रश्न होने पर भी हाईकोर्ट को रिट याचिकाएं सुनने से मनाही नहीं : सु्प्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

19 Feb 2020 11:30 AM GMT

  • तथ्यों के विवादित प्रश्न होने पर भी हाईकोर्ट को रिट याचिकाएं सुनने से मनाही नहीं : सु्प्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिका सुनने से मनाही नहीं है, भले ही तथ्यों के विवादित प्रश्न विचार के लिए क्यों न हों, लेकिन यदि उन्हें निष्कर्ष के लिए व्यापक साक्ष्य की आवश्यकता नहीं है।

    मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें एक रिट याचिका को इस आधार पर सुनने से इन्कार कर दिया गया था कि उसमें तथ्यों का सवाल शामिल था। रिट याचिकाकर्ता का मामला यह था कि सबसे बड़ी बोली लगाने वाला होने और नीलामी की सम्पूर्ण राशि जमा कराने के बावजूद उसे सैंड ब्लॉक (रेत ब्लॉक) का कब्जा नहीं दिया गया था और इसके लिए कोई कारण भी उसे नहीं बताया गया था, जिसके कारण वह रेत की खुदाई नहीं कर सका था। इस प्रकार वह अपनी राशि वापस लेने का हकदार था। इस रकम वापसी के लिए उसने संबंधित अधिकारी से अनुरोध किया था।

    उनकी अपील पर विचार करते हुए, पीठ ने कहा कि आमतौर पर, जब एक याचिका में तथ्य और कानून के विवादित प्रश्न शामिल होते हैं, तो हाईकोर्ट भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत याचिका की सुनवाई को लेकर थोड़ा नीरस होगा, लेकिन यह आत्म संयम का नियम है, न कि कठोर नियम।

    कोर्ट ने 'एबीएल इंटरनेशनल लिमिटेड एवं अन्य बनाम एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड' के मामले का उल्लेख करते हुए आगे कहा :

    भले ही तथ्यों के विवादित प्रश्न विचार के लिए क्यों न हों, लेकिन यदि उन्हें निष्कर्ष के लिए व्यापक साक्ष्य की आवश्यकता नहीं है, तो हाईकोर्ट को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिका सुनने की मनाही नहीं है। हालांकि, असाधारण परिस्थितियों में ही हाईकोर्ट द्वारा ऐसी पूर्ण शक्ति का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट को अन्य उपलब्ध उपायों को छोड़कर इस तरह की शक्ति का इस्तेमाल करने के लिए तभी न्यायोचित ठहराया जायेगा जब यह पाया जाता है कि सरकार या उसके तंत्र की कार्रवाई मनमानी और अतार्किक तथा संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।

    बेंच ने कहा कि इस मामले में तथ्य संबंधी कोई विवादित प्रश्न नहीं है। बेंच ने रिट याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि अधिकारी खुद सैंड ब्लॉक पर कब्जा देने में असफल रहे थे, जिसके कारण अपीलकर्ता रेत की खुदाई नहीं कर सका था, इसके बावजूद अपीलकर्ता द्वारा जमा राशि वापस करने से इन्कार करके अधिकारियों ने मनमाना रवैया अपनाया था।

    केस का नाम : पोपटराव वेंकटराव पाटिल बनाम महाराष्ट्र सरकार

    केस नं. – सिविल अपील नं. 1600/2020

    कोरम : मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत


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