हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

LiveLaw News Network

15 March 2021 2:23 PM IST

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    08 2021 से 13 मार्च 2021 तक हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    'अगर रिटर्निंग आफिसर के त्रुटिपूर्ण आदेश से चुनाव में बाधा उत्पन्न नहीं होती है तो कोर्ट को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए': कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने कहा कि अगर रिटर्निंग ऑफिसर के त्रुटिपूर्ण कार्यवाही से संचलित चुनाव प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है तो अदालतें रिट क्षेत्राधिकार के तहत जांच करने के लिए उत्तरदायी हैं। मुख्य न्यायाधीश थोथाथिल बी. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध रॉय की खंडपीठ ने कहा कि, "रिटर्निंग ऑफिसर की संभावित त्रुटिपूर्ण कार्यवाही, जिन्हें रिट क्षेत्राधिकार के तहत केवल ऐसी त्रुटियों को सुधार के लिए उत्तरदायी माना जा सकता है, जिस त्रुटि का संचलित चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से चुनाव में बाधा उत्पन्न होती है।"

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    40 साल से हिरासत में बंद नेपाली व्यक्ति का मामला : स्वतः संज्ञान लेकर क्या अभियोजन समाप्त किया जा सकता है? कलकत्ता हाईकोर्ट करेगा जांच

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा की वह इस बात की जांच करेगा कि 40 साल से जेल में बंद एक नेपाली मूल के व्यक्ति के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए उसके खिलाफ अभियोजन को समाप्त किया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश थोथाथिल बी. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध रॉय की पीठ नेपाली मूल के आरोपी दीपक जोशी के मामले की सुनवाई कर रही थी। दीपक को 12 मई 1980 को गिरफ्तार किया गया था और इस प्रकार वह पहले ही 40 से अधिक वर्षों की हिरासत में बंद रह चुका है।

    केस का शीर्षक - कोर्ट ऑन द मोशन: री: यूटीपी दीपक जोशी, दमदम सेंट्रल करेक्शनल होम में दर्ज [W.P.A. (पी) 27 ऑफ 2021]

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    ''समाज में नैतिक रूप से स्वीकार नहीं किया जा सकता'': पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने ''कॉन्ट्रेक्टचुअल लिव-इन-रिलेशनशिप'' में रहने वाले कपल को संरक्षण देने से इनकार किया

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार (10 मार्च) को एक डीड द्वारा समर्थित 'संविदात्मक(कॉन्ट्रेक्टचुअल) लिव-इन-रिलेशन की नई अवधारणा' पर अपनी अस्वीकृति दर्ज की, जिसमें पक्षकारों ने कहा था कि उनका लिव-इन-रिलेशनशिप 'वैवाहिक संबंध' नहीं है। न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान की खंडपीठ ने कहा कि ''विशेष रूप से (विलेख/डीड में) यह कहते हुए कि यह 'वैवाहिक संबंध नहीं है',कुछ और नहीं बल्कि कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है, क्योंकि इसे नैतिक रूप से समाज में स्वीकार नहीं किया जा सकता है।''

    केस का शीर्षक -मोयना खातुन व अन्य बनाम पंजाब राज्य व अन्य, सीआरडब्ल्यूपी-2421-2021

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    एडवोकेट महमूद प्राचा के ऑफिस पर रेड : दिल्ली कोर्ट ने पुलिस को डेटा लेते समय वकील-क्लाइंट विशेषाधिकार का ध्यान रखने को कहा

    दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ को पेन ड्राइव के माध्यम से डेटा देने के लिए एडवोकेट महमूद प्राचा द्वारा दी गई सहमति को देखते हुए, दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को जांच अधिकारी से 19 मार्च 2021 तक जवाब मांगा कि वह पेन ड्राइव के "टारगेट डेटा" को प्राचा के क्लाइंट से संबंधित किसी भी जानकारी में परिवर्तन या प्रकटीकरण के बिना ड्राइव से "टारगेट डेटा" कैसे प्राप्त करना चाहते हैं।

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    [जावेद अख्तर मानहानि केस] - अभिनेत्री कंगना रनौत ने मजिस्ट्रेट द्वारा जारी प्रक्रिया शुरू करने के आदेश को सत्र न्यायालय में चुनौती दी

    जावेद अख़्तर मानहानि केस में अभिनेत्री कंगना रनौत ने अपने खिलाफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा प्रक्रिया शुरू करने को डिंडोशी में सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट में चुनौती दी है। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने यह प्रक्रिया गीतकार जावेद अख्तर द्वारा कंगना रनौत के खिलाफ दायर मानहानि मामले में शुरू करने को कहा था। गीतकार जावेद अख्तर ने यह मामला कंगना रनौत के खिलाफ अर्नब गोस्वामी के साथ कंगना रनौत के एक इंटरव्यू में उनके खिलाफ कही गई बातों को लेकर दायर किया है।

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    बॉम्बे हाईकोर्ट ने बलात्कार के मामले में 'महिलाओं के प्रति अपमानजनक' शब्द का प्रयोग करने वाले अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश को फटकार लगाई

    बॉम्बे हाईकोर्ट (औरंगाबाद बेंच) ने हाल ही में एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की खिंचाई करते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की, क्योंकि न्यायाधीश ने बलात्कार की पीड़िता की गवाही दर्ज करते समय और बाद में अपने फैसले में 'महिलाओं के प्रति पूरी तरह से अपमानजनक' मानी जाने वाली अशिष्ट भाषा और अश्लील शब्दों का इस्तेमाल किया था। न्यायमूर्ति रविंद्र वी घुगे और न्यायमूर्ति बी यू देबदवार की खंडपीठ ने कड़ाई के साथ कहा कि,

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    वकालत एक महान पेशा है, जब वकील को पैरवी की जिम्मेदारी सौंपी जाती है, तो वकील को अपने क्लाइंट के हितों की रक्षा करने की कोशिश करनी चाहिए: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने (बुधवार) वकीलों की प्रतिष्ठा और मुवक्किल (क्लाइंट) और सामान्य रूप से न्याय के प्रशासन के प्रति उनके कर्तव्यों पर महत्वपूर्ण बातें कही हैं। न्यायमूर्ति आर नारायण पिशराडी ने कहा कि, "जब एक वकील को पैरवी की जिम्मेदारी सौंपी जाती है, तो उससे अपेक्षा की जाती है कि वह पेशेवर नैतिकता के मानदंडों का पालन करे और अपने मुवक्किल के हितों की रक्षा करने की कोशिश करे, जिसके द्वारा उन पर विश्वास जताया गया है।"

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    टूलकिट केसः दिल्ली कोर्ट ने पर्यावरण कार्यकर्ता शुभम कर चौधरी को 15 मार्च तक अंतरिम संरक्षण दिया

    दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने टूलकिट केस में पर्यावरण कार्यकर्ता शुभम कर चौधरी को टूलकिट मामले में 15 मार्च तक अंतरिम संरक्षण दिया। राज्य ने इस तरह के अंतरिम संरक्षण की अवधि बढ़ाने पर कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई। सहायक लोक अभियोजक इरफान अहमद ने प्रस्तुत किया कि एक सह-आरोपी व्यक्ति का आवेदन 15 मार्च को सुनवाई के लिए प्रस्तुत होगा और उसे अंतरिम संरक्षण के विस्तार से कोई आपत्ति नहीं है। चौधरी को इस महीने की शुरुआत में बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रांजिट जमानत दी थी।

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    कर्नाटक हाईकोर्ट ने सीबीएसई, आईसीएसई स्कूलों को 70% से अधिक फीस लेने पर सरकार के आदेश के तहत कठोर कार्रवाई से संरक्षण दिया

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य प्राधिकरणों को निर्देश दिया है कि सरकारी आदेश के किसी भी उल्लंघन पर सीबीएसई और आईसीएसई से संबद्ध एसोसिएशन ऑफ इंडिया स्कूलों के सदस्यों के खिलाफ कोई भी कठोर कदम न उठाएं। हाईकोर्ट ने यह केवल शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए कहा। वहीं शैक्षणिक वर्ष 2019-20 के लिए अभिभावकों से केवल 70% ट्यूशन फीस के लिए और अन्य शुल्क नहीं वसूले जाएंगे। हाईकोर्ट ने आईसीएसई और सीबीएसई बोर्ड और याचिकाकर्ताओं की एसोसिएशन से जुड़े संस्थानों के प्रबंधन को अपने नोटिस बोर्डों में स्वेच्छा से सार्वजनिक नोटिस देने का निर्देश दिया कि वे माता-पिता की व्यक्तिगत शिकायतों पर विचार करेंगे और संस्थान भुगतान के लिए जोर नहीं देगा। अभिभावकों द्वारा की गई वास्तविक शिकायतों के तहत स्कूल की पूरी फीस नहीं ली जाएगी।

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    अब एक पक्ष पर श‌िकायत वापस लेने के लिए दबाव बनाने या डराने के लिए यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराना ट्रेंड बनता जा रहा हैः दिल्ली हाईकोर्ट

    यह कहते हुए कि उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का समय आ गया है, जो धारा 354, 354A, 354B, 354C, 354D IPC आदि के तहत भ्रामक शिकायत दर्ज करते हैं, दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में याचिकाकर्ताओं पर 30,000 रूपए का जुर्माना लगाया, साथ ही उन्हें झूठे और ओछे मामलों को दर्ज न कराने की चेतावनी दी है। जस्टिस सुब्रमणियम प्रसाद की खंडपीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अब धारा 354, 354A, 354B, 354C, 354D IPC के तहत अपराध दर्ज कराने के लिए एफआईआर दर्ज कराने का चलन बन गया है या यह या तो किसी पक्ष को उनके खिलाफ शुरू की गई शिकायत को वापस लेने के लिए मजबूर करने या पक्ष को डराने के लिए‌ किया जा रहा है।

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    भागकर शादी करने वाले/इंटर-फेथ जोड़ों का संरक्षणः पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कार्यकारी स्तर पर कदम उठाने का सुझाव दिया

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार को घर से भागने वाले और इंटर-फेथ जोड़ों की तरफ से बड़ी संख्या में दायर की जा रही संरक्षण याचिकाओं पर चिंता व्यक्त की। न्यायमूर्ति अवनीश झिंगन की एकल पीठ ने कहा कि प्रतिदिन दायर किए जा रहे इस तरह के काफी सारे मामलों के बीच खतरे के वास्तविक मामलों की अक्सर अनदेखी हो जाती है। इसलिए कोर्ट ने कई कदमों का सुझाव दिया है जो ऐसे जोड़ों के जीवन को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कार्यकारी को जिम्मेदार बनाते हैं ताकि कोर्ट पर बोझ कम हो सके।

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    पटना हाईकोर्ट ने ओबीसी श्रेणी में नियमित आधार पर ट्रांसजेंडर समुदाय को आरक्षण देने का सुझाव दिया, राज्य सरकार से फैसला लेने को कहा

    पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि, "हो सकता है कि ट्रांसजेंडरों को ओबीसी श्रेणी के तहत नियमित आधार पर आरक्षण दिया जा सकता है।" मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस. कुमार की एक खंडपीठ ने देखा, "सकारात्मक दृष्टि से लिया गया एक निर्णय न केवल ट्रांसजेंडरों की जीवन शैली और शिक्षा का उत्थान करेगा, बल्कि उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए एक अहम कदम भी साबित होगा।" यह टिप्पणी बिहार राज्य में ट्रांसजेंडर समुदाय की दयनीय स्थिति के खिलाफ दायर रिट याचिका पर की गई है।

    केस का शीर्षक: वीरा यादव बनाम बिहार राज्य सरकार।

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    इच्छुक गवाहों के साक्ष्य को सावधानीपूर्वक जांच के साथ स्वीकार किया जाना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने माना है कि इच्छुक गवाह की गवाही, हालांकि स्वीकार्य है, लेकिन अदालत द्वारा रिकॉर्ड पर रखी गई अन्य सामग्रियों के साथ सावधानीपूर्वक जांच और पुष्टि के बाद स्वीकार किया जाना चाहिए। जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह की डिवीजन बेंच ने कहा, "किसी भी ठोस निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले एक इच्छुक गवाह को अधिक सावधानी से जांचना चाहिए।" इस संदर्भ में, बेंच ने जलपत राय बनाम हरियाणा राज्य, 2011 (14) SCC 208, के फैसले का उल्लेख किया, जिसमें यह कहा गया है, "आवश्यक यह है कि इच्छुक गवाहों के साक्ष्य की सावधानीपूर्वक जांच की जानी चाहिए और सावधानी के साथ स्वीकार किया जाना चाहिए। यदि इस तरह की जांच की जाती है, और इच्छुक गवाही आंतरिक रूप से विश्वसनीय या स्वाभाविक रूप से संभावित पाई जाती है, यह स्वयं, पर्याप्त हो सकती है, विशेष मामले की परिस्थितियों में, एक दोषी का आधार बनाने के लिए। "

    केस टा‌‌इटिल: रामपाल सिंह एंड अन्य उत्तर प्रदेश राज्य

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    अनुच्छेद 12 के तहत आरबीआई एक "राज्य" है : निजी बैंक भी सार्वजनिक कर्तव्यों के निर्वहन के कारण रिट- क्षेत्राधिकार के दायरे में : कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता उच्च न्यायालय ने माना है कि भारतीय रिज़र्व बैंक ( आरबीआई) संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत "राज्य" है और इस प्रकार, इसके खिलाफ एक रिट याचिका सुनवाई योग्य है। न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य की एकल पीठ द्वारा दिए गए फैसले में कहा गया है कि निजी बैंक भी अपने खिलाफ रिट याचिका दाखिल करने को सुनवाई योग्य होने के लिए चुनौती देने के लिए गैर-राज्य अभिकर्ता होने की शरण नहीं ले सकते हैं, क्योंकि उनके कार्य सार्वजनिक कर्तव्यों के निर्वहन से संबंधित हैं।

    केस: मैसर्स पियर्सन ड्रम एंड बैरल प्राइवेट लिमिटेड बनाम महाप्रबंधक, उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण प्रकोष्ठ, भारतीय रिज़र्व बैंक और अन्य।

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    शिप का कैप्टन अंत में जाता है': बॉम्बे हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश ने कानूनी बिरादरी के टीकाकरण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान 'टाइटैनिक' का हवाला दिया

    बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता ने उस जनहित याचिका पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए प्रतिष्ठित अमेरिकी महाकाव्य - टाइटैनिक का हवाला दिया,जिसमें न्यायाधीशों सहित कानूनी बिरादरी के सदस्यों को अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के रूप में घोषित करने और प्राथमिकता के आधार पर उनका सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम(एसएआरएस) कोरोनोवायरस के लिए टीकाकरण करने की मांग की गई थी।

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    दिल्ली हाईकोर्ट ने समलैंगिक महिला को उसकी मर्ज़ी के खिलाफ शादी करवाने पर दिया संरक्षण, विवाह खत्म करने के कदम उठाने का निर्देश

    दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ ने बुधवार को एक समलैंगिक महिला को उसके परिवार की पसंद के एक व्यक्ति से उस महिला की इच्छा के विरुद्ध शादी करने पर महिला की याचिका पर नोटिस जारी किया और दिल्ली पुलिस को महिला की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। विशेष रूप से, इस मामले पर एक प्रगतिशील रुख अपनाते हुए अदालत ने महिला और उसके पति के साथ भी बातचीत की और निर्देश दिया कि विवाह के विघटन (ख़त्म करना) के लिए जल्द से जल्द कदम उठाए जा सकते हैं।

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    दिल्ली हाईकोर्ट ने "हवाई यात्रा के दौरान सही तरीके से मास्क न पहनने" की शिकायत पर स्वतः संज्ञान लेते हुए दिशानिर्देश जारी किए

    दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने 5 मार्च को कोलकाता से दिल्ली की ओर जाने वाली एयर इंडिया की उड़ान पर "खतरनाक स्थिति" के रूप में वर्णित कर स्वतः संज्ञान लेते हुए नागरिक उड्डयन (डीजीसीए) और देश में वाणिज्यिक एयरलाइन इन-फ्लाइट महानिदेशालय को COVID-19 प्रोटोकॉल के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए। सोमवार को पारित एक आदेश में उन्होंने नोट किया कि, "हालांकि सभी यात्रियों ने मास्क पहन रखे थे, कई यात्रियों ने अपनी ठुड्डी के नीचे मास्क पहन रखा था और अपने मास्क ठीक से पहनने के लिए जिद्दी हिचक दिखा रहे थे।"

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    केरल हाईकोर्ट ने लाइव लॉ की आईटी नियमों की चुनौती वाली याचिका पर नोटिस जारी किया, कठोर कार्रवाई पर रोक लगाई

    केरल हाईकोर्ट ने (बुधवार) केंद्र सरकार को सूचना प्रौद्योगिकी के (इंटरमीडियरी और डिजिटल मीडिया आचार संहिता के लिए दिशानिर्देश) नियम [ Information Technology (Guidelines For Intermediaries And Digital Media Ethics Code)], 2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली लाइव लॉ (LiveLaw) की याचिका पर नोटिस जारी किया। याचिका में इस नए आईटी नियम, जिसे 25 फरवरी को केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया था, के माध्यम से डिजिटल न्यूज मीडिया और सोशल मीडिया इंटरमीडियरी पर "मनमाना, अस्पष्ट, असंगत और अनुचित रूप से लगाए गए प्रतिबंध को हटाने की मांग की गई।

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