वकालत एक महान पेशा है, जब वकील को पैरवी की जिम्मेदारी सौंपी जाती है, तो वकील को अपने क्लाइंट के हितों की रक्षा करने की कोशिश करनी चाहिए: केरल हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

12 March 2021 5:21 AM GMT

  • वकालत एक महान पेशा है, जब वकील को पैरवी की जिम्मेदारी सौंपी जाती है, तो वकील को अपने क्लाइंट के हितों की रक्षा करने की कोशिश करनी चाहिए: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने (बुधवार) वकीलों की प्रतिष्ठा और मुवक्किल (क्लाइंट) और सामान्य रूप से न्याय के प्रशासन के प्रति उनके कर्तव्यों पर महत्वपूर्ण बातें कही हैं।

    न्यायमूर्ति आर नारायण पिशराडी ने कहा कि,

    "जब एक वकील को पैरवी की जिम्मेदारी सौंपी जाती है, तो उससे अपेक्षा की जाती है कि वह पेशेवर नैतिकता के मानदंडों का पालन करे और अपने मुवक्किल के हितों की रक्षा करने की कोशिश करे, जिसके द्वारा उन पर विश्वास जताया गया है।"

    कोर्ट ने न्यायपालिका में एक वकील की बुनियादी भूमिका की पुष्टि करते हुए कहा कि,

    "कानून और न्याय के प्रशासन में वकीलों को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होती है। वे एक तरह से अदालत के अधिकारी होते हैं और जैसे उन्हें विशेषाधिकार दिए गए हैं।"

    अदालत की यह टिप्पणी एक वकील की याचिका को खारिज करने के आदेश के रूप में आई, इस याचिका में वकील ने उसके खिलाफ आपराधिक न्यास भंग ( Criminal breach of trust) की कार्यवाही को रद्द करने की मांग की गई थी।

    वकील चेरुपुषम कुरीज़ (चिट फंड का एक प्रकार) में कानूनी अधिकारी थे और उसे उनके सदस्यों द्वारा बकाया राशि पर वसूली की कार्यवाही शुरू करने का काम सौंपा गया था। कंपनी ने आरोप लगाया कि उसने धन के दुरुपयोग के लिए मुकदमा दर्ज कराया और कंपनी को मुकदमे का झूठा नंबर प्रदान किया गया।

    कंपनी द्वारा उसके खिलाफ आपराधिक न्यास भंग की कार्यवाही को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उसे उसके क्लर्क द्वारा धोखा दिया गया था।

    याचिकाकर्ता ने जोर देकर कहा कि क्लर्क की धोखाधड़ी का पता चलने के बाद उन्होंने कार्यवाही करने का प्रयास किया।

    न्यायमूर्ति पिशराडी ने कहा कि याचिकाकर्ता की प्रस्तुतियों की जांच केवल ट्रायल में तय की जा सकती है, कार्यवाही में नहीं। कार्यवाही के लिए, एक प्रथम दृष्टया मामला प्रकट किया गया, न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला।

    कोर्ट ने चूंकि मामले में याचिकाकर्ता एक वकील है, इसलिए वकीलों का कानून और उनके मुवक्किल के प्रति कर्तव्यों के बारे में निम्नलिखित टिप्पणियां की;

    1. माणक लाल बनाम डॉ. प्रेम चंद मामले में कहा गया था कि अदालत के अधिकारियों के रूप में वकीलों के पास विशेषाधिकार हैं, जिन्हें उत्साहपूर्वक संरक्षित किया जाना चाहिए।

    2. वी.सी. रंगादुरई बनाम डी गोपालन मामले में कहा गया था कि वकालत एक महान पेशा है, संसद द्वारा कानूनी पेशे को दिया गया एकाधिकार, मुवक्किल (क्लाइंट) के प्रति एक जिम्मेदारी के साथ जोड़ा जाता है।

    3. वी.सी. रंगादुरई बनाम डी. गोपालन मामले में कहा गया था कि किसी भी वकील सदस्य को ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जिससे कि उनकी निष्ठा और ईमानदारी के प्रति जनता का विश्वास कम हो।

    कोर्ट ने इन टिप्पणियों के साथ याचिका खारिज कर दी।

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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