पटना हाईकोर्ट ने ओबीसी श्रेणी में नियमित आधार पर ट्रांसजेंडर समुदाय को आरक्षण देने का सुझाव दिया, राज्य सरकार से फैसला लेने को कहा
LiveLaw News Network
11 March 2021 2:35 PM IST
पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि, "हो सकता है कि ट्रांसजेंडरों को ओबीसी श्रेणी के तहत नियमित आधार पर आरक्षण दिया जा सकता है।"
मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस. कुमार की एक खंडपीठ ने देखा,
"सकारात्मक दृष्टि से लिया गया एक निर्णय न केवल ट्रांसजेंडरों की जीवन शैली और शिक्षा का उत्थान करेगा, बल्कि उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए एक अहम कदम भी साबित होगा।"
यह टिप्पणी बिहार राज्य में ट्रांसजेंडर समुदाय की दयनीय स्थिति के खिलाफ दायर रिट याचिका पर की गई है।
कोरोना वायरस महामारी के दौरान वीरा यादव द्वारा दायर जनहित याचिका ने बिहार में ट्रांसजेंडर समुदाय की अमानवीय जीवन स्थितियों को उजागर किया था, जो लॉकडाउन के कारण भोजन तक पहुंच से भी वंचित हो गई थी।
इस मामले का संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने समुदाय द्वारा सामना की जा रही विभिन्न समस्याओं का समाधान करने का फैसला किया है।
ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की शिक्षा और रोजगार के ऐसे ही एक मुद्दे को संबोधित करते हुए बेंच ने राज्य सरकार से कहा था कि वह ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों को आरक्षण देने के लिए उसके द्वारा उठाए जा रहे कदमों को स्पष्ट करे।
इसके बाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय चयन बोर्ड के कांस्टेबल द्वारा जारी एक विज्ञापन पर आपत्ति जताई थी और राज्य के अधिकारियों से कहा था कि वे ट्रांसजेंडर समुदाय को इस पद के लिए आवेदन करने में सक्षम करें, जिसके बाद बिहार सरकार ने कांस्टेबलों / उप-निरीक्षक के पद के लिए नियुक्ति में उक्त समुदाय को आरक्षण देने का निर्णय लिया।
सरकार ने हाईकोर्ट को यह भी बताया कि वह जिला स्तर पर विशेष इकाई (ट्रांसजेंडर) नाम से ट्रांसजेंडर पुलिस कार्मिक की एक अलग इकाई बनाने जा रही है।
इस मामले को सुनवाई के लिए जब मंगलवार को उठाया गया, तो डिवीजन बेंच ने कहा कि बिहार में ट्रांसजेंडर समुदाय की कुल आबादी (लगभग 39,000) को देखते हुए सरकार को अन्य विभागों के संबंध में भी इसी तरह के निर्णयों पर विचार करना चाहिए।
यह देखा गया,
"शायद, इस समय बहुत से लोग आवेदन करने के पात्र नहीं भी हो सकते हैं। लेकिन फिर भी, इस तरह के लाभ से ऐसे समुदाय के लोगों को शिक्षा लेने और ऐसे पदों पर नियुक्ति के लिए पात्र बनने के लिए प्रेरित किया जाएगा।"
यह मामला अब 13 अप्रैल को अगली सुनावई के लिए निर्धारित किया गया है। इस समय तक राज्य सरकार को अन्य विभागों में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण के संबंध में अंतिम निर्णय लेने के लिए कहा गया है।
हाल ही में, कर्नाटक सरकार ने कहा कि वह कर्नाटक राज्य आयोग के पिछड़े वर्गों के लिए राय प्राप्त करने के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग की श्रेणियों में से एक के तहत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आरक्षण दिए जाने पर विचार करने को तैयार है।
संबंधित रिपोर्ट:
कलकत्ता हाईकोर्ट ने केंद्र को कहा कि संयुक्त सीएसआईआर-यूजीसी नेट सर्वे में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आरक्षण सहित अन्य लाभ दिए जाए।
ट्रांसजेंडर व्यक्तियों ने एफडीए / एसडीए में जिला न्यायालयों में आरक्षण के लिए ट्रिब्यूनल का रुख किया।
केस का शीर्षक: वीरा यादव बनाम बिहार राज्य सरकार।
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