हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

LiveLaw News Network

5 Jun 2021 9:51 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    31 मई 2021 से 5 जून 2021 तक हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    याचिका दोषपूर्ण,': दिल्ली हाईकोर्ट ने 5G ट्रायल के खिलाफ दायर अभिनेत्री जूही चावला की याचिका खारिज की, 20 लाख रूपए का जुर्माना लगाया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 5G ट्रायल के खिलाफ दायर अभिनेत्री जूही चावला की याचिका को 'दोषपूर्ण और सुने जाने योग्य नहीं' कहते हुए खारिज कर दिया। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं पर 20 लाख रूपये का जुर्माना लगाया। न्यायमूर्ति जीआर मिधा की एकल पीठ ने आदेश में कहा, "याचिका में परेशान करने वाले आरोप लगाए गए हैं।" कोर्ट ने आदेश में कहा, "ऐसा लगता है कि मुकदमा प्रचार के मकसद से दायर किया गया था। जूही चावला ने सोशल मीडिया पर सुनवाई का लिंक प्रसारित किया।"

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    किसी भी धर्म को दूसरे धर्मों को नीचा दिखाने का कोई मौलिक अधिकार नहीं दिया गया हैः कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी धर्म को दूसरे धर्मों को नीचा दिखाने का कोई मौलिक अधिकार नहीं दिया गया है। जस्टिस एचपी संदेश ने कहा कि किसी भी धर्म को मानते हुए, धार्मिक प्रमुखों या किसी भी व्यक्ति द्वारा मानने से दूसरे धर्म का अपमान नहीं होना चाहिए। जस्टिस एचपी संदेश ने उक्त टिप्पणी आरोपी द्वारा धर्म के अपमान का आरोप लगाने वाली एक आपराधिक शिकायत को खारिज करने से इनकार करते हुए कहा। एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी कि आरोपी उसके निवास पर आया और अन्य धर्मों का अपमान करते हुए कहा कि न तो भगवद-गीता और न ही कुरान मन की शांति प्रदान करेगा, यीशु मसीह को छोड़कर कोई बचाव में नहीं आएगा। आरोपी ने शिकायत का संज्ञान लेते हुए आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। आरोपी ने तर्क दिया कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 25 का उल्लंघन करता है।

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    'न्यायिक अधिकारियों के ट्रांसफर में वकील की क्या दिलचस्पी?': केरल हाईकोर्ट ने महामारी के दौरान न्यायाधीशों के ट्रांसफर के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज की

    केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को महामारी के दौरान अधीनस्थ अदालतों के न्यायिक अधिकारियों के ट्रांसफर को चुनौती देने वाली एक वकील की तरफ से दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस ए मोहम्मद मुस्तक और जस्टिस डॉ कौसर एडप्पागथ की खंडपीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि याचिका नेक इरादों के साथ दायर की नहीं की गई है। पीठ ने कहा कि यह भारी जुर्माना लगाने के लिए एक उपयुक्त मामला था लेकिन ऐसा करने से परहेज कर रहे हैं।

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    "राज्य का प्राथमिक उद्देश्य कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों का वैक्सीनेशन सुनिश्चित करना होना चाहिए": दिल्ली हाईकोर्ट ने CO-Win App को 'यूजर फ्रेंडली' बनाने के लिए कहा

    दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को CO-Win App से संबंधित कई मुद्दों पर विचार किया। इनमें इसकी निजता नीति, एक मोबाइल फोन नंबर पंजीकृत करने की अनुमति वाले लोगों की संख्या, कैप्चा चिंताएं आदि शामिल हैं। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इन सब मुद्दों पर सरकार से प्रतिक्रिया मांगी गई है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि राज्य का प्राथमिक उद्देश्य कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा आबादी का वैक्सीनेशन सुनिश्चित करना होना चाहिए।

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    क्या दिल्ली सरकार 18-44 आयु वर्ग के सभी पात्र व्यक्तियों को उनकी पहली खुराक के 6 सप्ताह के भीतर कोवैक्सिन की दूसरी खुराक दे सकती है?: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार (2 जून) को दिल्ली सरकार से पूछा कि क्या वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में 18 से 44 आयु वर्ग के सभी इच्छुक और पात्र व्यक्तियों को कोवैक्सिन की पहली खुराक प्राप्त करने की तारीख से छह सप्ताह की अवधि के भीतर दूसरी खुराक देने की स्थिति में है? न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की खंडपीठ 18 से 44 (45 से कम) वर्ष के आयु वर्ग के लोगों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो पहले ही 'कोवैक्सिन' वैक्सीन की पहली खुराक प्राप्त कर चुकी है।

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    किशोर की जमानत याचिका पर निर्णय लेते समय सामाजिक जांच रिपोर्ट पर विचार किया जाना चाहिएः पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दोहराया है कि जेजे अधिनियम(जुवेनाइल जस्टिस एक्ट) की धारा 12 के तहत एक किशोर की जमानत अर्जी पर विचाराधीन बच्चे की सामाजिक जांच रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए फैसला किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सुवीर सहगल की एकल पीठ ने कहा, ''विश्वास के मामले (सुप्रा) में इस न्यायालय की एक समन्वय पीठ ने माना है कि अधिनियम की धारा 12 के तहत एक किशोर की सामाजिक जांच रिपोर्ट पर विचार किए बिना आवेदन पर फैसला नहीं किया जा सकता है।''

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    छात्रों को उचित समय के भीतर एलएलबी की परीक्षा देने का दूसरा मौका सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्था करें': दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी किया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार (1 जून) को दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ फैकल्टी के छात्रों द्वारा चौथे सेमेस्टर की परीक्षा रद्द करने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली विश्वविद्यालय, बार काउंसिल ऑफ इंडिया और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की खंडपीठ ने विश्वविद्यालय से उन व्यवस्थाओं के बारे में पूछा जो यह सुनिश्चित करने के लिए है कि COVID-19 प्रभावित छात्र, जो छात्र परीक्षा पास करने में असमर्थ हैं और जो अपने अंकों में सुधार करना चाहते हैं, उन्हें एक उचित समय सीमा के भीतर उक्त चौथे सेमेस्टर की परीक्षा देने का दूसरा अवसर दिया जाए।

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    '16 वर्षीय मुस्लिम लड़की की दूसरी शादी अमान्य, बाल विवाह निषेध अधिनियम लागू'' : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने लड़की को नारी निकेतन में रखने का निर्देश दिया

    कथित रूप से अपने माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध शादी करने वाले एक कपल द्वारा दायर संरक्षण की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा किः ''(चूंकि लड़की नाबालिग है इसलिए) बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 की धारा 12 में निहित निषेध लागू होता है और यह भी सही है कि मुस्लिम लड़की की दूसरी शादी अमान्य है।'' जस्टिस सुधीर मित्तल की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता नंबर 2 (मुस्लिम लड़की) की उम्र 16 साल बताई गई है और इस तरह वह नाबालिग है।

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    गैर-सहायता प्राप्त निजी शैक्षणिक संस्थान शिक्षा प्रदान करने के सार्वजनिक कर्तव्य का निर्वहन करते हैं, इसलिए रिट क्षेत्राधिकार के लिए उत्तरदायीः कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने माना है कि गैर-सहायता प्राप्त निजी शैक्षणिक संस्थान शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत सार्वजनिक कार्यों का निर्वहन करते हैं और इसलिए संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत न्यायालय के रिट क्षेत्राधिकार के लिए उत्तरदायी हैं। जस्टिस शेखर बी सराफ की एकल पीठ ने कहा, "इस प्रकार का सार्वजनिक कर्तव्य, मेरी राय में, संविधान के अनुच्छेद 21 ए के साथ-साथ आरटीई अधिनियम के संदर्भ में लागू किया गया है, जिसने मौलिक अधिकार को स्पष्ट रूप से प्रभावित किया है।" .

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    विवाहेतर संबंध इस नतीजे पर पहुंचने का आधार नहीं कि महिला अच्छी मां साबित नहीं होगी और उसे बच्चे की कस्टडी नहीं दी जा सकती : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट

    पुरुष प्रधान समाज में महिला के नैतिक चरित्र के बारे में टीका टिप्पणी करना आम बात बताते हुए तथा चार साल की बच्ची की कस्टडी मां के हक में मंजूर करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल में इस प्रकार टिप्पणी की है : "यह भी मान लेने पर कि महिला का विवाहेतर संबंध है या रहा है तो भी इससे यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि वह महिला अच्छी मां नहीं है और उसके बच्चे की कस्टडी उसे नहीं दी जानी चाहिए।'' न्यायमूर्ति अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल की एकल बेंच उस मां की ओर से दायर याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिसने अपनी नाबालिग बेटी की कस्टडी लेने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट आदेश जारी करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

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    एससी/एसटी मामले में प्रोसिक्यूटर के लिए न्यायिक अकादमी में ऑनलाइन प्रशिक्षण आयोजित करें: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कर्नाटक न्यायिक अकादमी से संपर्क करने का सुझाव दिया है, जो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत पंजीकृत मामलों में नियमित रूप से उपस्थित होने वाले अपने अभियोजकों (प्रोसिक्यूटर) के लिए ऑनलाइन पाठ्यक्रम संचालित कर सकती है। मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज की खंडपीठ ने कहा, "आदेश की प्रकृति को देखते हुए हमारा विचार है कि COVID-19 की दूसरी लहर अभियोजन निदेशक को आदेश का पालन करने से नहीं रोक सकती है। राज्य सरकार को अभियोजकों को प्रशिक्षण देने का सुझाव देने वाले पहले के आदेश का भी जवाब देना चाहिए। अभियोजकों के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित करने के लिए राज्य सरकार हमेशा कर्नाटक न्यायिक अकादमी से संपर्क कर सकती है।"

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    कोर्ट ऑफ रिकॉर्ड होने के नाते, हाईकोर्ट संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत खुद के फैसले पर पुनर्विचार कर सकता हैः केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दोहराया कि हाईकोर्ट, कोर्ट ऑफ रिकॉर्ड के रूप में खुद के आदेशों पर पुनर्विचार कर सकते हैं। चीफ जस्टिस एस मणिकुमार और जस्टिस शाजी पी चाली की खंडपीठ ने पुनर्विचार याचिका के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। अपीलकर्ता, जो मूल रिट याचिकाकर्ता था, भूमि कर भुगतान से संबंधित विवाद में अपने पक्ष में निर्णय प्राप्त किया था। इसके बाद प्रतिवादियों ने सिंगल जज के समक्ष एक पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिन्होंने फैसले को पलट दिया था। सिंगल जज ने कहा कि अपीलकर्ता (रिट याचिकाकर्ता) ने न्यायालय से भौतिक तथ्यों को छुपाया था।

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