हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

4 Dec 2022 4:30 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (28 नवंबर, 2022 से 2 दिसंबर, 2022) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    "तमाशा बनाया दिया, किसी का भी घर बुलडोजर से तोड़ देंगे?": पटना हाईकोर्ट ने महिला का घर तोड़ने पर बिहार पुलिस को फटकार लगाई

    पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महिला के घर को कथित रूप से गिराने के लिए बिहार पुलिस को फटकार लगाते हुए टिप्पणी की, "क्या यहां भी बुलडोजर चलने लगा? आप किसका प्रतिनिधित्व करते हैं, राज्य या किसी निजी व्यक्ति का? तमाशा बना दिया। किसी का भी घर बुलडोजर से तोड़ देंगे।"

    इस मामले में थाना प्रभारी के जवाबी हलफनामे पर विचार करते हुए अदालत ने प्रथम दृष्टया यह पाया कि राज्य पुलिस द्वारा कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना घर को अवैध रूप से ध्वस्त कर दिया गया।

    केस टाइटल- सजोगा देवी बनाम बिहार राज्य

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    प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए कर्मचारी के वेतन का भुगतान करने के लिए आदाता विभाग उत्तरदायी: जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट

    जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दोहराया कि प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए कर्मचारी के वेतन का भुगतान करने के लिए आदाता विभाग (Borrowing Department) उत्तरदायी है।

    जस्टिस संजय धर ने याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसके संदर्भ में याचिकाकर्ता ने प्रतिवादियों के खिलाफ 01.06.2015 से 29.12.2016 तक की अवधि के लिए एक अतिरिक्त ब्याज के साथ उनका वेतन जारी करने के लिए परमादेश की मांग की थी जिस अवधि के दौरान उनका वेतन रोका गया था, उस अवधि के लिए प्रति माह 74,000 रुपये का मुआवजा।

    केस टाइटल : अब्बास अली बनाम जम्मू-कश्मीर राज्य व अन्य।

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    ज्ञानवापी | "बिना किसी नुकसान के 'शिव लिंग' की आयु निर्धारित करने का तरीका बताने के लिए तीन महीने का समय चाहिए": इलाहाबाद हाईकोर्ट से एएसआई ने कहा

    भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर को बिना कोई नुकसान पहुंचाए बिना उसके अंदर पाए गए कथित 'शिव लिंग' की आयु निर्धारित करने के लिए किसी भी प्रकार की जांच करने की व्यवहार्यता पर रिपोर्ट करने के लिए उसे 3 महीने का समय चाहिए।

    एएसआई ने यह प्रस्तुति जस्टिस जेजे मुनीर की पीठ के समक्ष की, जो वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कथित रूप से पाए गए 'शिव लिंग' की वैज्ञानिक जांच करने के लिए हिंदू उपासकों की याचिका को खारिज करने वाले वाराणसी कोर्ट के 14 अक्टूबर के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है।

    केस टाइटल- लक्ष्मी देवी व 3 अन्य बनाम स्टेट ऑफ यूपी थ्रू प्रिंसिपल सेक्रेटरी। (सिविल सेक्रेटरी) लखनऊ। और 5 अन्य [सिविल रीविजन नंबर 114 ऑपॅ 2022 ]

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    सरकारी आदेश के पूर्वव्यापी संचालन की अनुमति नहीं दी जा सकती है, विशेष रूप से जहां यह केवल एक कार्यकारी आदेश है और कानून नहीं है: जेएंडकेएंडएल हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक फैसले में कहा कि सरकारी आदेश के पूर्वव्यापी संचालन की अनुमति नहीं दी जा सकती है, विशेष रूप से जहां यह केवल एक कार्यकारी आदेश है, न कि कानून।

    जस्टिस वसीम सादिक नर्गल की पीठ ने कहा, "जैसा कि नीति के आधार पर प्रत्येक सरकार/कार्यकारी आदेश का भावी संचालन होता है, इसे किसी भी तरह से पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं किया जा सकता है....."।

    केस टाइटल: मेसर्स श्री गुरु कृपा एलॉयज प्रा. लिमिटेड बनाम जम्मू और कश्मीर राज्य

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    [धारा 498-ए आईपीसी] मृत्युकालिक बयानों में विरोधाभास के बाद भी अगर दुर्व्यवहार की बात लगातार कही गई है, तो उस पर ध्यान दिया जाएगा: तेलंगाना हाईकोर्ट

    तेलंगाना हाईकोर्ट ने हाल ही के एक फैसले में मरने से पहले दिए गए बयानों में विरोधाभास होने के बावजूद भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए के तहत एक पति की दोषसिद्धि को बरकरार रखा, क्योंकि पत्नी ने मरने से पहले दिए गए सभी बयानों में अपने साथ दुर्व्यवहार और क्रूरता के बारे में लगातार बयान दिए थे।

    केस टाइटल: के.राजकुमार बनाम आंध्र प्रदेश राज्य

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    [धारा 19 पीसी एक्ट] अगर सीबीआई संवैधानिक अदालत के आदेश पर मामले की जांच करती है तो लोक सेवक के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी की जरूरत नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि संवैधानिक न्यायालय जब सीबीआई को किसी मामले की जांच सौंपता है, और ऐसे अपराध में लोकसेवक आरोपी के रूप में सामने आता है तो धारा 19 पीसी एक्ट के तहत लोकसेवक के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए किसी पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।

    जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की बेंच ने कहा है कि अगर सीबीआई ने हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर किसी मामले की जांच की है और किसी सरकारी/लोक सेवक के खिलाफ चार्जशीट दायर की है तो ऐसे सरकारी/लोक सेवक (सेवारत या सेवानिवृत्त) पर मुकदमा चलाने के लिए सक्षम प्राधिकारी से भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 के तहत मंजूरी प्राप्त करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

    केस टाइटलः डॉ सैयद फरीद हैदर रिजवी @ डॉ एसएफएच रिजवी बनाम एसपी/एसीबी लखनऊ के माध्यम से सीबीआई [APPLICATION U/S 482 NO. - 8292 OF 2018]

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    "अनुसूचित अपराध" के नियमित मामला रद्द करने से PMLA के तहत बाद में दर्ज मामला स्वत: समाप्त हो जाएगा: कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि एक बार "अनुसूचित अपराध" के नियमित मामला रद्द कर दिया जाता है तो बाद में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत दर्ज कोई भी मामला स्वतः ही रद्द हो जाएगा।

    पीएमएलए कार्यवाही के खिलाफ आपराधिक पुनर्विचार आवेदन पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की गई। पीएमएलए की धारा 13 के सपठित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी/420/409 के तहत तत्काल आवेदकों के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज की गई, जिसके आधार पर प्रवर्तन निदेशक, प्रतिवादी नंबर 1 ने पीएमएलए के प्रावधानों के तहत जांच शुरू की।

    केस टाइटल: मैसर्स निक निश रिटेल लिमिटेड और अन्य बनाम सहायक निदेशक, प्रवर्तन निदेशालय, भारत सरकार और अन्य, सीआरआर नंबर 2752/2018

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    अगर निष्पक्ष ट्रायल के लिए जरूरी हो तो अभियोजन पक्ष को अंतिम रिपोर्ट के साथ पेश सामग्री के अलावा भी साक्ष्य पेश करने की अनुमति दी जा सकती है: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने कहा कि न्यायालय अभियोजन पक्ष को ऐसे साक्ष्य प्रस्तुत करने की अनुमति दे सकता है जो मुकदमे के शुरू होने के बाद भी मामले को उचित तरीके से तय करने के लिए आवश्यक प्रतीत होते हैं।

    जस्टिस ए बदरुद्दीन ने कहा, यह सच है कि अभियोजन पक्ष अंतिम रिपोर्ट के साथ सभी साक्ष्यों को प्रस्तुत करने के लिए बाध्य है और सेशन ट्रायल में धारा 208 सीआरपीसी के तहत अनिवार्य रूप से उसकी प्रतियां अभियुक्त को प्रस्तुत की जाएंगी।

    केस टाइटल: हुसैन वी. केरल राज्य और अन्य

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    [धारा 14 सरफेसी एक्‍ट] सीएमएम/डीएम को सुरक्षित संपत्ति का कब्जा लेने से पहले उधारकर्ता को नोटिस देने की आवश्यकता नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि सरफेसी एक्ट, 2002 की धारा 14 के तहत कार्य कर रहे मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट या जिला मजिस्ट्रेट को सुरक्षित संपत्ति का कब्जा लेने से संबंधित निर्णय लेने या आदेश पारित करने के चरण में उधारकर्ता को नोटिस देने की आवश्यकता नहीं है।

    जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस विपिन चंद्र दीक्षित की पीठ ने कहा कि चूंकि अधिनियम की धारा 14 के तहत सीएमएम/डीएम के समक्ष कार्यवाही मजिस्ट्रेट की प्रकृति की है, इसलिए इस स्तर पर उधारकर्ता को सुनवाई का कोई अवसर देने की आवश्यकता नहीं है।

    केस टाइटलः शिप्रा होटल्स लिमिटेड व अन्थर बनाम यूपी राज्य और 3 अन्य और अन्य संबंधित मामले

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    15 साल की उम्र पूरी होने के बाद मुस्लिम महिला अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी कर सकती है: झारखंड हाईकोर्ट ने दोहराया

    झारखंड हाईकोर्ट ने माना कि मुस्लिम कानून के तहत धारणा है कि लोग '15 वर्ष' की उम्र में यौवन (Puberty) प्राप्त कर लेते हैं और इसे प्राप्त करने पर वे अपने अभिभावकों के हस्तक्षेप के बिना अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने के लिए स्वतंत्र हैं।

    जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की एकल पीठ ने 15 साल की लड़की से शादी करने के लिए व्यक्ति के खिलाफ लंबित आपराधिक कार्यवाही रद्द करते हुए कहा, "...यह स्पष्ट है कि मुस्लिम लड़की का विवाह मुस्लिम पर्सनल लॉ द्वारा शासित होता है। 'सर दिनशाह फरदूनजी मुल्ला' की किताब 'प्रिंसिपल्स ऑफ मुस्लिम लॉ' के अनुच्छेद 195 के अनुसार, विपरीत पक्ष नंबर 2 लगभग 15 साल उम्र की लड़की है, तो वह अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ विवाह करने के लिए सक्षम है।"

    केस टाइटल: मो. सोनू @ सोनू बनाम झारखंड राज्य व अन्य।

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    लोक प्रशासन में मास्टर डिग्री वाले उम्मीदवार राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री वाले उम्मीदवार के बराबर: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा 'सहायक प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान' के पद पर नियुक्ति से इनकार करने वाले लोक प्रशासन में मास्टर डिग्री धारक उम्मीदवार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस जगमोहन की खंडपीठ बंसल ने कहा कि अब किसी पद पर नियुक्ति के प्रयोजनों के लिए लोक प्रशासन में मास्टर डिग्री वाले उम्मीदवार राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री वाले उम्मीदवार के बराबर है, अन्यथा किसी दिए गए विश्वविद्यालय के विशेषाधिकार के अधीन।

    केस टाइटल: युद्धवीर बनाम रीना और अन्य

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    धोखाधड़ी रोकने के लिए नॉन-बेस ब्रांच में सीलिंग लिमिट लागू करने वाले बैंक बैंकिंग विनियम अधिनियम या एनआई अधिनियम का उल्लंघन नहीं करते: मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में देखा कि नॉन-बेस ब्रांच में भारतीय रिज़र्व बैंक के सर्कुलर के आधार पर हाई लिमिट निर्धारित करने वाले बैंक बैंकिंग विनियमन अधिनियम का उल्लंघन नहीं करते। जस्टिस एन सतीश कुमार ने आगे कहा कि जब अकाउंट होल्डर ने नॉन-बेस ब्रांच पर लगाए गए सभी प्रतिबंधों को जानते हुए खुद बैंक अकाउंट खोला तो वह बाद में यह शिकायत नहीं कर सकता कि यह उसके संपत्ति के अधिकार का उल्लंघन है।

    जब अकाउंट होल्डर ने नॉन-बेस ब्रांच में चेक का भुगतान करने में सभी प्रतिबंधों के साथ सचेत रूप से अकाउंट खोला तो वह शिकायत नहीं कर सकता कि यह संपत्ति के अधिकार का उल्लंघन है। जब रिज़र्व बैंक के पास कानून के तहत आवश्यक दिशानिर्देश तैयार करने की शक्ति है और बैंकों ने भी धोखाधड़ी को रोकने के लिए अपनी नीति बनाई है तो यह नहीं कहा जा सकता कि इस तरह के प्रतिबंध वास्तव में रिट याचिकाकर्ताओं के संपत्ति के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।

    केस टाइटल: जी दीपा व अन्य बनाम महाप्रबंधक व अन्य

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    यदि चेक बिना लाइसेंस वाले साहूकार के कर्ज की जमानत के रूप में दिया गया है तो धारा 138 एनआई एक्ट के तहत अपराध आकर्षित नहीं होगाः बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत दर्ज एक शिकायत में दायर आपराधिक संशोधन आवेदन को यह देखते हुए खारिज कर दिया कि यदि बिना लाइसेंस वाले साहूकार से कर्ज के लिए जमानत के रूप में दिया गए चेक के मामले में धारा 138 को आकर्षित नहीं किया जा सकता है।

    जस्टिस प्रकाश नाइक ने आदेश में कहा, "बिना लाइसेंस के साहूकारी कारोबार के मामलों में निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के प्रावधानों को आकर्षित नहीं होते हैं।"

    केस नंबरः क्रिमिनल रिवीजन एप्लीकेशन नंबर 394 ऑफ 2015

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    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एएसआई सर्वेक्षण के वाराणसी कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

    काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद (Gyanvapi Case) को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में चल रहे मामले की सुनवाई कल पूरी हो गई और अब कोर्ट ने इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।

    जस्टिस प्रकाश पाडिया की पीठ ने काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण करने के वाराणसी न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली अंजुमन मस्जिद समिति (जो ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करती है) की ओर से दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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    20 हजार रुपये से अधिक नकद लेनदेन धारा 138 एनआई एक्ट मामले में लेन-देन को रद्द नहीं करता: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना कि आयकर अधिनियम की धारा 269 एसएस का उल्लंघन लेनदेन को शून्य नहीं बनाता है और यह कानूनी रूप से रिकवरी योग्य ऋण कहा जा सकता है। आयकर अधिनियम की धारा 269 एसएस यह निर्धारित करती है कि यदि लेनदेन राशि 20,000 रुपये से अधिक है, तो ऐसा लेनदेन चेक या डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से किया जाएगा।

    अभियुक्त गजानन ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, बेलगाम के फैसले को रद्द करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिन्होंने मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा पारित सजा के आदेश की पुष्टि की थी।

    केस टाइटल: गजानन बनाम अप्पासाहेब सिद्दामल्लप्पा कावेरी।

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    भगोड़ा/घोषित अपराधी अग्रिम जमानत का हकदार नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 82 के संदर्भ में एक भगोड़ा/घोषित अपराधी अग्रिम जमानत की राहत का हकदार नहीं है। जस्टिस सुरेश कुमार गुप्ता की पीठ ने इस प्रकार एक अर्चना गुप्ता की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया , जिस पर जाली और काल्पनिक बिक्री के आधार पर शिकायतकर्ता की संपत्ति का एक टुकड़ा हड़पने का आरोप लगाया गया है।

    केस टाइटल - डॉ. अर्चना गुप्ता बनाम यूपी राज्य [आपराधिक विविध सीआरपीसी की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत आवेदन नंबर - 9023/2022]

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    एनडीपीएस एक्ट | धारा 41 का पालन न होना, जमानत का आधार नहीं; धारा 37 की कठोरता फिर भी पूरी होनी चाहिए: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि यह सवाल कि गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती की प्रक्रिया में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 की धारा 41 का पालन न होना, ट्रायल को निष्प्रभावी कर देता है, यह ट्रायल के चरण देखा जाएगा, और इसका जमानत देने पर कोई असर नहीं होगा।

    अदालत ने कहा कि हालांकि अधिकारी प्रावधानों की वैधानिक कठोरता को नजरअंदाज नहीं कर सकते, खासकर जब यह अभियुक्तों के लिए गंभीर पूर्वाग्रह का कारण बनता है, शीर्ष अदालत ने करनैल सिंह बनाम हरियाणा राज्य में कहा है कि धारा 41 का प्रावधान एक विवेकाधीन उपाय है।

    केस टाइटल: हरदीप सिंह बनाम राज्य

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    भले ही आरोपी को गिरफ्तार न किया गया हो और केवल पुलिस द्वारा पूछताछ की गई हो, तब भी साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 लागू होती है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि भले ही आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया हो, लेकिन पुलिस पूछताछ के दौरान आरोपी से मिली जानकारी के अनुसार यदि एक शव बरामद किया जाता है, तो यह साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के तहत स्वीकार्य होगा।

    जस्टिस अरविंद कुमार मिश्रा- I और जस्टिस मयंक कुमार जैन की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 'संगम लाल बनाम उत्तर प्रदेश सरकार 2002 (44) एसीसी 288' के मामले में दिये गये फैसले पर भरोसा करते हुए यह बात कही।

    केस टाइटल - विद्या देवी व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार [आपराधिक अपील संख्या – 3333/1984]

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    आपराधिक कार्यवाही के विपरीत दुर्भावनापूर्ण अभियोजन पर सिविल कार्यवाही के खिलाफ आम तौर पर कार्रवाई नहीं होती: जेकेएल हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा कि आपराधिक कार्यवाही से संबंधित द्वेषपूर्ण अभियोजन के मामलों के विपरीत दीवानी कार्यवाही के मामलों में सामान्य नियम के रूप में कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती, भले ही वे द्वेषपूर्ण हों और बिना किसी उचित कारण के लाई गई हों।

    जस्टिस संजय धर ने कहा, "यह केवल असाधारण परिस्थितियों में है कि दीवानी कार्यवाही में दुर्भावनापूर्ण अभियोजन पक्ष के नुकसान के लिए मुकदमा कायम रखा जा सकता है।"

    केस टाइटल: जगदीश गिरी बनाम तालिब हुसैन।

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