सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

9 April 2023 6:30 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (03 अप्रैल, 2023 से 07 अप्रैल, 2023 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    ‘अनावश्यक गर्भाशय निकालने’ के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

    ‘अनावश्यक रूप से गर्भाशय निकालने’ के मामलों से जुड़ी एक PIL सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। याचिका में कहा गया कि इस तरह के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इस पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी परदीवाला की बेंच ने याचिका पर सुनवाई की। और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे ‘अनावश्यक रूप से गर्भाशय निकालने’ के मामलों पर रोक लगाने के लिए केंद्र के दिशानिर्देशों को तीन महीने के भीतर लागू करें।

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    पार्टिशन सूट में सेटलमेंट डीड में सभी पक्षकारों की लिखित सहमति शामिल होनी चाहिए; केवल कुछ पक्षों के बीच सहमति का फैसला कायम नहीं रखा जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस ए.एस. बोपन्ना और जस्टिस जेबी परदीवाला की खंडपीठ ने प्रशांत कुमार साहू और अन्य बनाम चारुलता साहू और अन्य में दायर अपील पर फैसला सुनाते हुए माना कि संयुक्त संपत्ति के बंटवारे के मुकदमे में केवल कुछ पक्षों के बीच सहमति से डिक्री को बनाए नहीं रखा जा सकता, जब संयुक्त संपत्ति के संबंध में सेटलमेंट डीड निष्पादित किया गया तो इस तरह के समझौते को वैधता प्राप्त करने के लिए लिखित सहमति और 'सभी' पक्षकारों के हस्ताक्षर रिकॉर्ड करना चाहिए।

    केस टाइटल: प्रशांत कुमार साहू व अन्य बनाम चारुलता साहू व अन्य।

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    ज्ञानवापी मस्जिद केस| मस्जिद समिति ने रमजान के मद्देनजर तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की; सुप्रीम कोर्ट 14 अप्रैल को सूचीबद्ध किया

    सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद विवाद संबंधित याचिकाओं को 14 अप्रैल 2023 को सूचीबद्ध किया है। गुरुवार को सीनियर एडवोकेट हुजेफा अहमदी ने मामले को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया। अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद की प्रबंधन समिति की ओर से पेश अहमदी ने अनुरोध किया कि रमजान के महीने को देखते हुए मामले को जल्द से जल्द उठाया जाए।

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    [आदेश 17 नियम 3] : अगर कोई सामग्री हो तो मेरिट के आधार पर किसी वाद का फैसला हो सकता है, भले ही सामग्री 'पूर्णत:' साक्ष्य ना हो : सुप्रीम कोर्ट

    हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 17 नियम 3 के तहत मेरिट के आधार पर एक वाद का फैसला कर सकता है, अगर मेरिट पर निर्णय लेने के लिए कुछ सामग्री है, भले ही सामग्री को तकनीकी रूप से साक्ष्य के रूप में नहीं समझा जा सकता है। इसने स्पष्ट किया कि ये निर्णय दलीलों, दस्तावेजों और सबूत के बोझ पर आधारित हो सकता है। हालांकि, यह कहा गया कि न्यायालय को यह बताना चाहिए कि निर्णय मेरिट पर है या डिफ़ॉल्ट पर।

    केस विवरण- प्रेम किशोर व अन्य बनाम ब्रह्म प्रकाश और अन्य।। 2023 लाइवलॉ (SC) 266 |2013 की सिविल अपील संख्या 1948 | 29 मार्च, 2023| जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जेबी पारदीवाला

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    केस ट्रांसफर की शक्ति का संयम से प्रयोग किया जाना चाहिए; ये राज्य न्यायपालिका और अभियोजन एजेंसी पर अनावश्यक आक्षेप लगा सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट

    आपराधिक ट्रायल को ट्रांसफर करने की याचिका पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ट्रांसफर के लिए पूर्व-आवश्यक शर्तों को दोहराया। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 406 के तहत ट्रांसफर की शक्ति का संयम से प्रयोग किया जाना चाहिए और केवल तब करना चाहिए जब न्याय स्पष्ट रूप से गंभीर संकट में हो।

    "इस अदालत ने इस तथ्य पर विचार करते हुए केवल असाधारण मामलों में ट्रांसफरकी अनुमति दी है कि ट्रांसफर राज्य न्यायपालिका और अभियोजन एजेंसी पर अनावश्यक आक्षेप लगा सकते हैं। इस प्रकार, वर्षों से, इस न्यायालय ने कुछ दिशानिर्देश और स्थितियां निर्धारित की हैं, जिसमें ऐसी शक्ति का न्यायोचित रूप से आह्वान किया जा सकता है।

    केस : अफजल अली शा @ अब्दुल शौकत बनाम पश्चिम बंगाल राज्य व अन्य | ट्रांसफर याचिका (आपराधिक) संख्या 409/2021

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    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा CBI और ED के 'दुरुपयोग' के खिलाफ 14 विपक्षी दलों द्वारा दायर याचिका खारिज की; कहा- सामान्य दिशानिर्देश जारी नहीं कर सकते

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चौदह राजनीतिक दलों की ओर से दायर एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि केंद्रीय जांच एजेंसियों जैसे कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का केंद्र सरकार असहमतियों को दबाने के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है। चीफ ज‌स्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने यह कहकर याचिका पर विचार करने से इनकार किया कि वह बिना तथ्यात्मक संदर्भ के सामान्य निर्देश जारी नहीं कर सकता।

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    "सील कवर प्रक्रिया खुले न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है " : सुप्रीम कोर्ट ने वैकल्पिक तौर पर ' जनहित इम्यूनिटी दावा प्रक्रिया' जारी की

    सुप्रीम कोर्ट ने मलयालम समाचार चैनल मीडिया वन की केंद्र सरकार द्वारा उस पर लगाए गए प्रसारण प्रतिबंध के खिलाफ याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि सीलबंद कवर प्रक्रिया प्राकृतिक न्याय और खुले न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है।

    इस मामले में, सुरक्षा मंज़ूरी रोकने के कारणों के बारे में चैनल को अंधेरे में रखा गया था, जिसकी जानकारी गृह मंत्रालय द्वारा सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत दस्तावेजों के माध्यम से हाईकोर्ट को दी गई थी। हाईकोर्ट के दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीलबंद कवर प्रक्रिया ने अपीलकर्ता के उपायों को अर्थहीन बना दिया।

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    प्रेस का कर्तव्य है कि वह सत्ता से सच बोले, सरकार की नीतियों पर आलोचनात्मक विचारों को स्थापना विरोधी नहीं कहा जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने प्रेस की स्वतंत्रता और लोकतंत्र में इसके महत्व पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की खंडपीठ ने कहा कि स्वतंत्र प्रेस नागरिकों को कठिन तथ्यों के साथ पेश करता है और राज्य के कामकाज पर प्रकाश डालता है। न्यायालय केंद्र सरकार द्वारा उस पर लगाए गए प्रसारण प्रतिबंध के खिलाफ मलयालम समाचार चैनल MediaOne की याचिका पर फैसला कर रहा था।

    सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने गृह मंत्रालय से सुरक्षा मंजूरी के अभाव में चैनल के प्रसारण लाइसेंस को नवीनीकृत करने से इनकार कर दिया, जिसने बदले में केरल हाईकोर्ट के समक्ष सीलबंद कवर रिपोर्ट प्रस्तुत की, जहां इस निर्णय को उचित ठहराने के लिए इस मुद्दे को पहली बार उठाया गया।

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    मोटर दुर्घटना मामले में सजा कम करने का हाईकोर्ट का आदेश रद्द, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-'आईपीसी का उद्देश्य अपराधियों को दंडित करना, इस‌लिए अनुचित सहानुभूति टिकाऊ नहीं'

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा, "भारतीय दंड संहिता दंडात्मक और निवारक है, इसका मुख्य लक्ष्य और उद्देश्य अपराधियों को अधिनियम के तहत अपराधों के लिए दंडित करना है।" कोर्ट ने यह टिप्पणी मोटर दुर्घटना मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एक फैसले को पलटते हुए की, जिसने अपने फैसले में रैश ड्राइविंग के दोषी एक व्यक्ति की सजा को कम कर दिया, जिसके कृत्य के कारण एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा, हाईकोर्ट द्वारा दिखाई गई 'अनुचित सहानुभूति', टिकाऊ नहीं थी, इसलिए उसके आदेश में हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

    केस टाइटलः पंजाब राज्य बनाम दिल बहादुर | क्रिमिनल अपील नंबर 844 ऑफ 2023

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    रेस जुडिकाटा को लागू करने के लिए पिछले वाद को गुण-दोष के आधार पर तय किया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धांतों की व्याख्या की

    सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका के रेस जुडिकाटा सिद्धांतों की व्याख्या करने वाले एक उल्लेखनीय निर्णय में माना कि किसी मामले में कार्यवाही बंद करने के आदेश को गुण-दोष के आधार पर अंतिम निर्णय के रूप में नहीं माना जा सकता, जिससे बाद के मुकदमे पर रोक लगाई जा सके। तदनुसार, न्यायालय ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले और डिक्री रद्द कर दी, जिसने बेदखली याचिका की याचिका खारिज कर दी थी, क्योंकि यह न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन था।

    केस टाइटल: प्रेम किशोर व अन्य बनाम ब्रह्म प्रकाश और अन्य।

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    क्रॉस एग्जामिनेशन में बचाव पक्ष के वकील का गवाह को दिया सुझाव, यदि दोषी ठहराए जाने वाला है तो आरोपी को बाध्य करेगा : सुप्रीम कोर्ट

    हाल ही में एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि क्रॉस एग्जामिनेशन में बचाव पक्ष के वकील द्वारा एक गवाह को दिया गया सुझाव, यदि दोषी ठहराए जाने वाला पाया जाता है, तो निश्चित रूप से अभियुक्त को बाध्य करेगा। और अभियुक्त यह कहकर बच नहीं सकता कि उसके वकील के पास अपने मुवक्किल के खिलाफ स्वीकारोक्ति की प्रकृति में सुझाव देने का कोई निहित अधिकार नहीं था। ट्रायल में इस प्रासंगिक पहलू को जस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने समझाया।

    केस टाइटल: बालू सुदाम खल्दे और दूसरा बनाम महाराष्ट्र राज्य | क्रिमिनल अपील नंबर 1910/2010

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    2015 आयकर अधिनियम की धारा 153सी में संशोधन संशोधन की तारीख से पहले की गई तला‌‌शियों पर लागू होगा: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कराधान कानून पर एक महत्वपूर्ण फैसले में गुरुवार को कहा कि वित्त अधिनियम 2015 के जर‌िए आयकर अधिनियम 1961 की धारा 153सी में किया गया संशोधन पूर्वव्यापी रूप से संशोधन की तारीख से पहले की गई तलाशियों यानी एक जून, 2015 पर लागू होगा। धारा 153 सी राजस्व विभाग को उस व्यक्ति, जिसकी तलाशी के दरमियान "अन्य व्यक्ति" के खिलाफ आपत्तिजनक वस्तुएं पाए जाती हैं, के अलावा किसी अन्य पार्टी के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति देती है। धारा 153सी में शुरू में "संबंधित/से संबंधित" शब्द का प्रयोग किया गया है।

    केस टाइटल: आयकर अधिकारी बनाम विक्रम सुजीत कुमार भाटिया और 114 जुड़े मामले।

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