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विधानसभा स्पीकर के फैसले के खिलाफ Shivsena (UTB) और शरद पवार-NCP की याचिकाओं पर 7 अगस्त को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
विधानसभा स्पीकर के फैसले के खिलाफ Shivsena (UTB) और शरद पवार-NCP की याचिकाओं पर 7 अगस्त को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

Shivsena-UTB (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) गुट द्वारा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट के विधायकों के खिलाफ दायर चुनाव अयोग्यता याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 7 अगस्त को सुनवाई तय की है।UTB सदस्य सुनील प्रभु ने अनुच्छेद 136 के तहत विशेष अनुमति याचिका दायर की है, जिसमें महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर द्वारा 10.01.2024 को पारित आदेश को चुनौती दी गई। उक्त आदेश में शिंदे गुट के विधायकों के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट द्वारा दायर अयोग्यता याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था।सुनील प्रभु की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने...

सुप्रीम कोर्ट ने पीजी मेडिकल प्रवेश में 50% से अधिक संस्थागत वरीयता कोटे को चुनौती देने वाली याचिका पर संघ और एम्स से जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने पीजी मेडिकल प्रवेश में 50% से अधिक 'संस्थागत वरीयता' कोटे को चुनौती देने वाली याचिका पर संघ और एम्स से जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (29 जुलाई) को संघ और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से स्नातकोत्तर प्रवेश में 50% से अधिक "संस्थागत वरीयता" के लिए आरक्षण कोटा को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब मांगा।याचिकाकर्ता ने स्नातकोत्तर प्रवेश में 'संस्थागत वरीयता' के तहत सीटों के अत्यधिक आरक्षण या 'सुपर आरक्षण' को संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 (1)(जी) का उल्लंघन बताते हुए चुनौती दी है। संस्थागत वरीयता कोटा अनिवार्य रूप से एक आंतरिक आरक्षण प्रणाली है, जहां स्नातकोत्तर प्रवेश सीटों का एक प्रतिशत एम्स में...

WB Teacher Recruitment Case: सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्य उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिकाओं को मुख्य याचिकाओं के साथ पोस्ट किया
WB Teacher Recruitment Case: सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्य उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिकाओं को मुख्य याचिकाओं के साथ पोस्ट किया

सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया कि कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए अयोग्य उम्मीदवारों द्वारा याचिकाओं का नया बैच दायर किया गया, जिसमें पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WB SSC) द्वारा 25,0000 स्कूल शिक्षकों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था।याचिकाकर्ताओं के वकील ने प्रस्तुत किया कि वर्तमान याचिका उन लोगों द्वारा दायर की गई, जिन्हें न तो चयन प्रक्रिया में प्रतीक्षा सूची में रखा गया और न ही WBSSC द्वारा योग्य माना गया। याचिकाओं के नए बैच में नियुक्तियों को चुनौती देने और एक नया चयन...

क्या यह देश का कानून है? - सुप्रीम कोर्ट ने बिना मुआवजे के निजी संपत्ति पर सड़क निर्माण की अनुमति देने वाले तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश पर सवाल उठाया
क्या यह देश का कानून है? - सुप्रीम कोर्ट ने बिना मुआवजे के निजी संपत्ति पर सड़क निर्माण की अनुमति देने वाले तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश पर सवाल उठाया

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (29 जुलाई) को तेलंगाना हाईकोर्ट के उस आदेश पर सवाल उठाया, जिसमें बिना मुआवजे के निजी संपत्ति पर सड़क निर्माण की अनुमति दी गई। कोर्ट ने कहा कि यह पूरी तरह से कानून का उल्लंघन है।जस्टिस अभय ओका ने सवाल किया,"क्या यह देश का कानून है?"जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ तेलंगाना हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली एसएलपी पर विचार कर रही थी, जिसमें अपीलकर्ताओं ने तेलंगाना स्टेट इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन (TSIIC) द्वारा संबंधित संपत्ति के लिए...

BREAKING| बार काउंसिल एनरॉलमेंट फीस के रूप में एडवोकेट एक्ट की धारा 24 के तहत निर्दिष्ट राशि से अधिक नहीं ले सकते : सुप्रीम कोर्ट
BREAKING| बार काउंसिल एनरॉलमेंट फीस के रूप में एडवोकेट एक्ट की धारा 24 के तहत निर्दिष्ट राशि से अधिक नहीं ले सकते : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (30 जुलाई) को कहा कि सामान्य श्रेणी के वकीलों के लिए एनरॉलमेंट फीस 750 रुपये से अधिक नहीं हो सकता तथा अनुसूचित जाति/जनजाति श्रेणी के वकीलों के लिए 125 रुपये से अधिक नहीं हो सकता।कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य बार काउंसिल "विविध फीस" या अन्य फीस के मद में ऊपर निर्दिष्ट राशि से अधिक कोई राशि नहीं ले सकते। राज्य बार काउंसिल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) एडवोकेट एक्ट (Advocate Act) की धारा 24(1)(एफ) के तहत निर्दिष्ट राशि से अधिक वकीलों को रोल में शामिल करने के लिए कोई...

सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दिए जाने के पीछे भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाली रिपोर्ट को लेकर मीडिया के खिलाफ पूर्व जज की मानहानि याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दिए जाने के पीछे भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाली रिपोर्ट को लेकर मीडिया के खिलाफ पूर्व जज की मानहानि याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व यूपी जज की मीडिया के खिलाफ मानहानि याचिका खारिज की, जिसमें राजनेता को दी गई जमानत के पीछे भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाली रिपोर्ट्स को लेकर सवाल उठाए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पूर्व जिला जज द्वारा मीडिया आउटलेट्स और वरिष्ठ पत्रकारों के खिलाफ 2017 में समाचार रिपोर्टों के प्रकाशन को लेकर दायर की गई याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें उनके खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोप लगाए गए।जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ के समक्ष...

क्या अनुच्छेद 227 के तहत पारित एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ लेटर्स पेटेंट अपील स्वीकार्य है? सुप्रीम कोर्ट करेगा जांच
क्या अनुच्छेद 227 के तहत पारित एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ लेटर्स पेटेंट अपील स्वीकार्य है? सुप्रीम कोर्ट करेगा जांच

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की खंडपीठ के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका में अनुमति प्रदान की, जिसने संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत पर्यवेक्षी शक्तियों का प्रयोग करते हुए एकल पीठ के निर्णय में हस्तक्षेप किया था।न्यायालय के विचारण के लिए जो प्रश्न आया, वह यह है कि क्या खंडपीठ के पास संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत पर्यवेक्षी अधिकार क्षेत्र के प्रयोग में पारित एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने का वैध अधिकार है।वर्तमान मामला प्रतिवादी/शिक्षक की बर्खास्तगी से संबंधित है, जहां हाईकोर्ट की एकल पीठ...

वकील का फ्रीलांस जर्नालिस्ट के रूप में काम करना पेशेवर कदाचार? सुप्रीम कोर्ट ने BCI से जांच करने को कहा
वकील का फ्रीलांस जर्नालिस्ट के रूप में काम करना पेशेवर कदाचार? सुप्रीम कोर्ट ने BCI से जांच करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (29 जुलाई) को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) और बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को निर्देश दिया कि वे वकील मोहम्मद कामरान के आचरण की जांच करें, जिन्होंने पूर्व भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया। कोर्ट ने बार काउंसिल से कहा कि वे कामरान के स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम करने और साथ ही साथ वकालत करने के मामले में आवश्यक कार्रवाई करें।कोर्ट ने कहा,“हमने याचिकाकर्ता द्वारा दायर शिकायत का अवलोकन किया। याचिकाकर्ता ने कई जगहों पर दावा...

दिल्ली के महरौली में स्मारकों की सुरक्षा के लिए याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने ASI और NMA से रिपोर्ट मांगी
दिल्ली के महरौली में स्मारकों की सुरक्षा के लिए याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने ASI और NMA से रिपोर्ट मांगी

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के महरौली पुरातत्व पार्क के अंदर सदियों पुरानी धार्मिक संरचनाओं की सुरक्षा की मांग करने वाली याचिका में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पक्षकार बनाया, जिसमें 13वीं सदी की आशिक अल्लाह दरगाह (1317 ई.) और बाबा फ़रीद की चिल्लागाह शामिल हैं।कोर्ट ने ASI और राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (NMA) से स्टेटस रिपोर्ट मांगी।जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ एसएलपी पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें संरचनाओं की सुरक्षा के लिए विशिष्ट निर्देश...

MCD सदस्यों को नामित करने के Delhi LG के अधिकार पर फैसला इस सप्ताह आने की संभावना : सुप्रीम कोर्ट ने मेयर शेली ओबेरॉय से कहा
MCD सदस्यों को नामित करने के Delhi LG के अधिकार पर फैसला इस सप्ताह आने की संभावना : सुप्रीम कोर्ट ने मेयर शेली ओबेरॉय से कहा

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (MCD) मेयर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई अगले सोमवार तक के लिए स्थगित की, जिसमें निगम को स्थायी समिति के कार्य करने की अनुमति देने की मांग की गई थी।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि MCD काउंसिल में सदस्यों के एकतरफा नामांकन के लिए उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली सरकार की चुनौती पर फैसला शुक्रवार को आने की संभावना है।सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने मेयर शेली ओबेरॉय का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर एडवोकेट एएम सिंघवी से कहा :"डॉ. सिंघवी, कृपया शुक्रवार तक...

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर द्वारा अजित पवार गुट को अयोग्य ठहराने से इनकार करने के खिलाफ शरद पवार गुट की याचिका पर नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर द्वारा अजित पवार गुट को अयोग्य ठहराने से इनकार करने के खिलाफ शरद पवार गुट की याचिका पर नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (29 जुलाई) को शरद पवार के NCP गुट द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर द्वारा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अजित पवार गुट के सदस्यों को अयोग्य ठहराने से इनकार करने को चुनौती दी गई।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने स्पष्ट किया कि याचिका की स्वीकार्यता के बारे में तर्कों पर मामले के अंतिम निपटान के चरण में गुण-दोष के साथ निर्णय लिया जाएगा।कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया...

BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने हेमंत सोरेन की जमानत के खिलाफ ED की याचिका खारिज की, कहा- बहुत ही तर्कसंगत निर्णय
BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने हेमंत सोरेन की जमानत के खिलाफ ED की याचिका खारिज की, कहा- बहुत ही तर्कसंगत निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (जुलाई) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें झारखंड हाईकोर्ट के 28 जून के फैसले को चुनौती दी गई। उक्त फैसले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कथित भूमि घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दी गई थी।जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला- जिसमें प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि सोरेन मनी लॉन्ड्रिंग के दोषी नहीं हैं - "बहुत ही तर्कसंगत" है।एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने हाईकोर्ट द्वारा मनी...

प्रासंगिक नियमों के तहत स्वीकार्य होने पर ही पेंशन का दावा किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट
प्रासंगिक नियमों के तहत स्वीकार्य होने पर ही पेंशन का दावा किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट

उत्तर प्रदेश रोडवेज के पूर्व कर्मचारियों द्वारा पेंशन लाभ की मांग करते हुए दायर की गई सिविल अपीलों के एक समूह से निपटते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में माना है कि पेंशन का दावा केवल प्रासंगिक नियमों या योजना के तहत किया जा सकता है। यदि कोई कर्मचारी भविष्य निधि योजना के अंतर्गत आता है और पेंशन योग्य पद पर नहीं है, तो वह पेंशन का दावा नहीं कर सकता।जस्टिस हृषिकेश रॉय और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा, "पेंशन एक अधिकार है, न कि पुरस्कार। यह एक संवैधानिक अधिकार है जिसका कर्मचारी अपनी...

अवमानना ​​की धमकी के तहत आदेश का अनुपालन पक्षकार के उस आदेश को चुनौती देने के अधिकार को नहीं छीन सकता: सुप्रीम कोर्ट
अवमानना ​​की धमकी के तहत आदेश का अनुपालन पक्षकार के उस आदेश को चुनौती देने के अधिकार को नहीं छीन सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई के अपने आदेश के माध्यम से दोहराया कि अवमानना ​​की धमकी के तहत आदेश का अनुपालन पक्षकार के उसी आदेश को चुनौती देने के अधिकार को नहीं छीन सकता।कोर्ट ने कहा,“इस न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि धमकी के तहत आदेश का अनुपालन पक्षकार के उस अधिकार को नहीं छीन सकता, जो उसे कानून के तहत चुनौती देने के लिए उपलब्ध है (सुबोध कुमार जायसवाल एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य [(2008) 11 एससीसी 139] में इस न्यायालय का निर्णय देखें)।”जस्टिस सी.टी. रविकुमार और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की...