वकील का फ्रीलांस जर्नालिस्ट के रूप में काम करना पेशेवर कदाचार? सुप्रीम कोर्ट ने BCI से जांच करने को कहा
Shahadat
30 July 2024 10:09 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (29 जुलाई) को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) और बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को निर्देश दिया कि वे वकील मोहम्मद कामरान के आचरण की जांच करें, जिन्होंने पूर्व भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया। कोर्ट ने बार काउंसिल से कहा कि वे कामरान के स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम करने और साथ ही साथ वकालत करने के मामले में आवश्यक कार्रवाई करें।
कोर्ट ने कहा,
“हमने याचिकाकर्ता द्वारा दायर शिकायत का अवलोकन किया। याचिकाकर्ता ने कई जगहों पर दावा किया कि वह वकील है, लेकिन वह राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार है। इस पर उत्तर प्रदेश राज्य बार काउंसिल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को गौर करने की जरूरत है। रजिस्ट्री को शिकायत की कॉपी राज्य बार काउंसिल और BCI को इस आदेश की कॉपी के साथ आवश्यक कार्रवाई करने के लिए भेजनी चाहिए।”
जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा उनकी मानहानि शिकायत खारिज करने को चुनौती देने वाली कामरान की याचिका पर 9 सितंबर, 2024 को जवाब देने योग्य नोटिस भी जारी किया।
कामरान ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके बारे में अपमानजनक पत्र लिखे।
कार्यवाही के दौरान, जस्टिस ओक ने कामरान की दोहरी भूमिका पर सवाल उठाया और शिष्टाचार पर BCI नियमों के तहत निषेध की ओर इशारा किया।
जस्टिस ओक ने कहा,
"क्या आप पेशेवर कदाचार के दोषी नहीं हैं, जब आप कहते हैं कि आप वकील होने के साथ-साथ पत्रकार भी हैं? बस अध्याय II, व्यावसायिक आचरण और शिष्टाचार के मानकों को देखें। बार काउंसिल का कहना है कि वकील के कुछ और करने पर पूर्ण प्रतिबंध है... हम इस तरह के आचरण को बर्दाश्त नहीं करेंगे।"
साथ ही उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कामरान ने अपनी शिकायत में बार-बार उल्लेख किया कि वह राज्य मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं।
BCI नियमों के अध्याय II की धारा 47 - 49 में प्रावधान है कि कोई वकील व्यक्तिगत रूप से किसी व्यवसाय में संलग्न नहीं हो सकता, किसी कंपनी का प्रबंध निदेशक या सचिव नहीं हो सकता, या पूर्णकालिक वेतनभोगी रोजगार में प्रवेश नहीं कर सकता।
BCI नियमों के अध्याय II की धारा 51 का हवाला देते हुए कामरान ने बताया कि वह किसी मीडिया संगठन में काम नहीं कर रहा है या वेतन नहीं ले रहा है और वह केवल लेख लिखता है। धारा 51 के अनुसार, कोई वकील विज्ञापन और पूर्णकालिक रोजगार के विरुद्ध नियमों के अधीन प्रसारण, पत्रकारिता, व्याख्यान और शिक्षण में संलग्न हो सकता है।
जस्टिस ओक ने टिप्पणी की,
"आप वकील हैं, कृपया कुछ सहकर्मियों की सलाह लें। आपने क्या बड़ी गलती की है। कम से कम आज आप यह बयान तो दें कि आप दोनों में से एक को छोड़ देंगे।"
केस टाइटल- मोहम्मद कामरान बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य।