वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ DMK भी पहुंची सुप्रीम कोर्ट, कहा- इससे करीब 20 करोड़ मुसलमानों के अधिकार प्रभावित होंगे

Update: 2025-04-07 13:11 GMT
वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ DMK भी पहुंची सुप्रीम कोर्ट, कहा- इससे करीब 20 करोड़ मुसलमानों के अधिकार प्रभावित होंगे

तमिलनाडु राज्य में सत्ताधारी राजनीतिक दल द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की।

यह याचिका DMK के उप महासचिव ए. राजा, लोकसभा सांसद के माध्यम से दायर की गई, जो वक्फ विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य भी थे। रिट याचिका का निपटारा सीनियर एडवोकेट पी विल्सन ने किया, जो DMK से संबंधित राज्यसभा सांसद भी हैं।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि संशोधन अधिनियम तमिलनाडु में लगभग 50 लाख मुसलमानों और देश के अन्य हिस्सों में 20 करोड़ मुसलमानों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। 27 मार्च को तमिलनाडु विधानसभा ने केंद्र सरकार से वक्फ संशोधन विधेयक को वापस लेने का आग्रह करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था।

पार्टी ने तर्क दिया कि जेपीसी और संसद में चर्चा के दौरान उसके सदस्यों द्वारा उठाई गई गंभीर आपत्तियों पर विचार किए बिना ही अधिनियम पारित कर दिया गया।

इस अधिनियम को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में पहले ही कई याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं, जिन्हें शनिवार (5 अप्रैल) को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई।

आज यानी सोमवार को याचिकाओं को तत्काल सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) के समक्ष प्रस्तुत किया गया। सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि वह अनुरोध पर विचार करेंगे।

AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, दिल्ली आप विधायक अमानतुल्लाह खान, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स आदि याचिकाकर्ताओं में शामिल हैं।

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