एक मामले में हिरासत में रह रहा आरोपी दूसरे मामले में अग्रिम जमानत मांग सकता है: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2024-05-07 05:06 GMT

सुप्रीम कोर्ट इस कानूनी सवाल पर विचार करने के लिए सहमत हो गया कि क्या किसी अन्य मामले में आरोपी की गिरफ्तारी पर अग्रिम जमानत दी जा सकती है।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने आपराधिक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कानून का संक्षिप्त प्रश्न यह है कि क्या जो व्यक्ति पहले से ही एक मामले में आपराधिक आरोपों के सेट के तहत गिरफ्तार किया गया है, उसे दूसरे मामले में अग्रिम जमानत दी जा सकती है।

पक्षकार की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने कहा कि सवाल सिर्फ ऐसे परिदृश्य में अग्रिम जमानत देने का नहीं है, बल्कि अग्रिम जमानत के लिए ऐसी याचिका की सुनवाई योग्यता का भी है।

सीजेआई ने कहा कि प्रथम दृष्टया एक मामले में अग्रिम जमानत की अनुमति नहीं देना, जबकि दूसरे मामले में गिरफ्तार किया जाना अग्रिम जमानत देने से संबंधित आपराधिक प्रावधान के सार और उद्देश्य को प्रतिबंधित करेगा।

सीजेआई ने कहा,

"हम प्रथम दृष्टया यह मानने को इच्छुक हैं कि आप सीआरपीसी की धारा 438 को इस तरह से अपमानित नहीं कर सकते। यदि कोई व्यक्ति किसी अपराध के लिए गिरफ्तार है तो उसे उस मामले में अग्रिम जमानत नहीं मिल सकती है। मुझे यकीन है। वह अन्य मामले में अग्रिम जमानत पाने का हकदार है, जिस पर सुनवाई की जा रही है।"

पीठ इस मुद्दे पर अंतिम दलीलें बुधवार (8 मई) को सुनेगी।

केस टाइटल: धनराज आसवानी बनाम अमर एस. मुलचंदानी और अन्य, डायरी नं. - 51276/2023

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