पति की प्रेमिका या रोमांटिक पार्टनर को धारा 498A IPC मामले में आरोपी नहीं बनाया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498ए के तहत क्रूरता का आपराधिक मामला उस महिला के खिलाफ नहीं चलाया जा सकता, जिसके साथ पति का विवाहेतर संबंध था। ऐसी महिला धारा 498ए IPC के तहत "रिश्तेदार" शब्द के दायरे में नहीं आती।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने ऐसा मानते हुए एक महिला के खिलाफ आपराधिक मामला खारिज किया, जिसे इस आरोप पर आरोपी बनाया गया था कि वह शिकायतकर्ता-पत्नी के पति की रोमांटिक पार्टनर थी।
खंडपीठ ने कहा,
"एक प्रेमिका या यहां तक कि महिला, जिसके साथ एक पुरुष ने विवाह के बाहर रोमांटिक या यौन संबंध बनाए हैं, उसे रिश्तेदार नहीं माना जा सकता।"
यू. सुवेता बनाम राज्य पुलिस निरीक्षक एवं अन्य (2009) 6 एससीसी 757 के निर्णय पर भरोसा किया गया, जिसमें कहा गया कि केवल वह व्यक्ति जो पति से रक्त या गोद लेने के माध्यम से संबंधित था, उसे "रिश्तेदार" माना जा सकता है।
इसके अलावा, न्यायालय ने कहा कि यह दिखाने के लिए कोई सामग्री नहीं थी कि अपीलकर्ता-महिला ने पत्नी को कोई उत्पीड़न किया।
केस टाइटल: देचम्मा आईएम @ देचम्मा कौशिक बनाम कर्नाटक राज्य