राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगाने वाली जमानत की शर्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2024-03-26 05:10 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि किसी राजनेता को जमानत देने की शर्त के रूप में राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने से दूर रहना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस न्यायमूर्ति संदीप मेहता की खंडपीठ ने सिबा शंकर दास बनाम ओडिशा राज्य और अन्य मामले में उड़ीसा हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत की शर्त को पलट दिया। उक्त शर्त ने राजनेता को राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने से रोक दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी शर्त अपीलकर्ता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करेगी और इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए।

नतीजतन, अदालत ने हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई शर्त रद्द कर दी। याचिकाकर्ता सिबा शंकर दास ओडिशा भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता और बेरहामपुर के पूर्व मेयर, बीजू जनता दल (BJD) से पार्टी बदलने के बाद उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले हैं।

उड़ीसा हाईकोर्ट ने अगस्त 2022 के अपने जमानत आदेश में उन्हें सार्वजनिक रूप से किसी भी तरह की गड़बड़ी पैदा करने से परहेज करने और राजनीतिक गतिविधियों में किसी भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भागीदारी से बचने का निर्देश दिया था, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त आदेश पलट दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,

"हम पाते हैं कि इस तरह की शर्त लगाने से अपीलकर्ता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा और ऐसी कोई भी शर्त नहीं लगाई जा सकती है। इसलिए हम हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई शर्त रद्द करते हैं और उस हद तक अलग रखते हैं, जैसा कि ऊपर बताया गया है।“

केस टाइटल: सिबा शंकर दास बनाम ओडिशा राज्य और अन्य

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