सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (25 मार्च, 2024 से 29 मार्च, 2024 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक की उन खदानों के सर्वेक्षण का निर्देश दिया, जिनके लिए पुनर्वास और पुनर्ग्रहण योजनाएं लागू नहीं
कर्नाटक में लौह अयस्क खनन से संबंधित जनहित याचिका (पीआईएल) में सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कर्नाटक के प्रधान मुख्य वन संरक्षक को श्रेणी ए/बी/सी खदानों (बेल्लारी, चित्रदुर्ग और तुमकुर में) की विस्तृत जांच और सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया, जिसके संबंध में डेटा और/या आर एंड आर (पुनर्वास और पुनर्ग्रहण) योजनाएं प्रस्तुत/अनुमोदित नहीं की गई।
जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की खंडपीठ ने पीसीसीएफ, कर्नाटक से रिपोर्ट मांगी।
केस टाइटल: समाज परिवर्तन समुदाय और अन्य बनाम कर्नाटक राज्य और ओआरएस, डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 562/2009
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
हिरासत में मौत के उन मामलों में जमानत के संबंध में सख्त रुख अपनाया जाएगा, जहां पुलिस अधिकारी आरोपी हैं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिरासत में यातना के उन मामलों में जहां पुलिस अधिकारी शामिल हैं, जमानत के संबंध में सख्त रुख अपनाया जाएगा।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने आरोपी-पुलिस अधिकारी को जमानत देने के हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा, “यह तथ्य है कि सामान्य परिस्थितियों में हमें किसी आरोपी को जमानत देने के आदेश को अमान्य करने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का उपयोग नहीं करना चाहिए। लेकिन जमानत देने के सवाल से निपटने के दौरान यह मानदंड हिरासत में मौत के मामले में लागू नहीं होगा, जहां पुलिस अधिकारियों को आरोपी के रूप में आरोपित किया जाता है। ऐसे कथित अपराध गंभीर और गंभीर प्रकृति के हैं।''
केस टाइटल: अजय कुमार यादव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के तहत अपराध का संज्ञान पुलिस अधिकारी की शिकायत के आधार पर नहीं लिया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि किसी पुलिस अधिकारी द्वारा दायर शिकायत के आधार पर ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के तहत किसी अपराध का संज्ञान नहीं लिया जा सकता।
हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए, जिसने आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही रद्द करने से इनकार किया, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम के तहत कार्यवाही केवल ड्रग इंस्पेक्टर शिकायत के आधार पर ही शुरू की जा सकती।
केस टाइटल: राकेश कुमार बनाम बिहार राज्य एवं अन्य।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
'अनसुलझे अपराध संस्थानों में सार्वजनिक विश्वास को खत्म करते हैं': सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में दिल्ली में मणिपुरी महिला की मौत की CBI जांच का आदेश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि संवैधानिक अदालतों की जांच को CBI को स्थानांतरित करने की शक्ति का प्रयोग संयमित तरीके से और असाधारण परिस्थितियों में किया जाना चाहिए। हालांकि, संवैधानिक अदालतों को पूर्ण न्याय करने के लिए जांच को CBI को स्थानांतरित करने पर रोक नहीं है और यह सुनिश्चित करना कि मौलिक अधिकारों का कोई उल्लंघन न हो।
ऐसा देखते हुए न्यायालय ने 2013 में हुई मणिपुर की 25 वर्षीय महिला की मौत की जांच दिल्ली में स्थानांतरित कर दी।
केस टाइटल: अवुंग्शी चिरमायो और अन्य बनाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार और अन्य
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
यदि आपराधिक साजिश अनुसूचित अपराध से संबंधित नहीं है तो PMLA Act आईपीसी की धारा 120बी का उपयोग करके लागू नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट ने ED की पुनर्विचार याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि यदि कथित आपराधिक साजिश किसी अनुसूचित अपराध से संबंधित नहीं है तो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी को लागू करके धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) के तहत कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है।
जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने पावना डिब्बर बनाम प्रवर्तन निदेशालय में 29 नवंबर, 2023 को दिए गए फैसले की पुनर्विचार की मांग करने वाली प्रवर्तन निदेशालय और एलायंस यूनिवर्सिटी द्वारा दायर पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
JJ Act | JJB द्वारा प्रारंभिक मूल्यांकन और रिपोर्ट के अभाव में किशोर आरोपी पर वयस्क के रूप में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि आरोपी बच्चे की सजा, जो 'कानून का उल्लंघन करने वाला बच्चा' था, उसको तब तक बरकरार नहीं रखा जा सकता, जब तक कि अपराध करने के लिए बच्चे की शारीरिक और मानसिक क्षमता और कोशिश करने की आवश्यकता का प्रारंभिक मूल्यांकन न किया जाए। किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत बच्चे को वयस्क या किशोर के रूप में अनिवार्य आवश्यकताओं के रूप में पालन किया गया।
हाईकोर्ट के निष्कर्षों को पलटते हुए जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने कहा कि JJ Act की धारा 19 के तहत आरोपी बच्चे पर वयस्क या किशोर के रूप में मुकदमा चलाने की आवश्यकता है या नहीं, इसका निर्णय केवल किशोर न्याय बोर्ड द्वारा किए गए प्रारंभिक मूल्यांकन के आधार पर किया जा सकता है। JJ Act की धारा 15 के तहत जो यह सुनिश्चित करता है कि क्या कोई बच्चा जो सोलह वर्ष की आयु पूरी कर चुका है या उससे अधिक उम्र का है, उसके द्वारा किए जाने वाले कथित जघन्य अपराध को करने की मानसिक और शारीरिक क्षमता है।
केस टाइटल: थिरुमूर्ति बनाम राज्य, जिसका प्रतिनिधित्व पुलिस निरीक्षक द्वारा किया गया
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
गवाहों की क्रॉस एग्जामिनेशन रिकॉर्ड किए बिना उनसे मुख्य पूछताछ करना कानून के विपरीत: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने (18 मार्च को) कहा कि गवाहों से उनकी जिरह रिकॉर्ड किए बिना केवल चीफ एग्जामिनेशन दर्ज करना कानून के विपरीत है। इसे मजबूत करने के लिए न्यायालय ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 138 का भी उल्लेख किया, जो गवाहों के ट्रायल आदेश की रूपरेखा प्रस्तुत करती है।
इस प्रावधान के अनुसार, गवाहों से पहले मुख्य जांच, क्रॉस एग्जामिनेशन और फिर दोबारा जांच की आवश्यकता होती है। इस संबंध में न्यायालय ने यह भी कहा कि यद्यपि वारंट मामलों में गवाहों की क्रॉस एग्जामिनेशन स्थगित की जा सकती है, यह भी कानून की सामान्य प्रथा का अपवाद है।
केस टाइटल: एकेन गॉडविन और अन्य बनाम तमिलनाडु राज्य।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
आयकर आदेश भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामले में आरोपमुक्त करने के लिए निर्णायक सबूत नहीं हैं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने 19 मार्च को अपने हालिया फैसले में कहा है कि आयकर कार्यवाही में दोषमुक्ति भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (पीसीए) के प्रावधानों के तहत किसी आरोपी को आरोपमुक्त करने का वैध आधार नहीं बनेगी।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पीसीए के तहत अपराधों से आरोपमुक्त करने से इनकार कर दिया गया था। पीठ ने कहा कि आयकर अधिनियम के तहत आरोपी के पक्ष में दिया गया आदेश 'आय के स्रोत' की 'वैधता' का निर्णायक प्रमाण नहीं होगा। न्यायालय ने अपने फैसले में कानून की स्थापित स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया जैसा कि कर्नाटक राज्य बनाम सेल्वी जे जयललिता और अन्य के मामले में आपराधिक अभियोजन के नज़रिए से आयकर ट्रिब्यूनल और अधिकारियों द्वारा पारित ऐसे आदेशों की संभावित प्रकृति को समझा गया था ।
मामला: पुनीत सभरवाल बनाम सीबीआई एसएलपी (सीआरएल) संख्या - 2044/2021; आरसी सभरवाल बनाम सीबीआई एसएलपी (सीआरएल) संख्या- 2685/2021
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगाने वाली जमानत की शर्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि किसी राजनेता को जमानत देने की शर्त के रूप में राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने से दूर रहना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस न्यायमूर्ति संदीप मेहता की खंडपीठ ने सिबा शंकर दास बनाम ओडिशा राज्य और अन्य मामले में उड़ीसा हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत की शर्त को पलट दिया। उक्त शर्त ने राजनेता को राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने से रोक दिया था।
केस टाइटल: सिबा शंकर दास बनाम ओडिशा राज्य और अन्य
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मीडिया प्लेटफार्मों के खिलाफ प्री-ट्रायल निषेधाज्ञा असाधारण होनी चाहिए, बोलने की स्वतंत्रता पर प्रभाव देखा जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से मानहानि के मुकदमों में मीडिया लेखों और पत्रकारिता के अंशों के प्रकाशन के खिलाफ प्री-ट्रायल निषेधाज्ञा देते समय सतर्क रहने का आग्रह किया।
कोर्ट ने कहा कि किसी लेख को हटाने का अंतरिम निषेधाज्ञा न केवल लेखक के प्रकाशित करने के अधिकार को प्रभावित करता है, बल्कि जनता के जानने के अधिकार को भी प्रभावित करता है। न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट से एसएलएपीपी (सार्वजनिक भागीदारी के खिलाफ रणनीतिक मुकदमेबाजी) की प्रवृत्ति पर ध्यान देने का भी आग्रह किया, जिसके तहत विशाल आर्थिक संसाधनों वाली संस्थाएं जनता को सार्वजनिक हित से जुड़े अपने कार्यों के बारे में जानने से रोकने के लिए मुकदमेबाजी का उपयोग करती हैं।
केस टाइटल: ब्लूमबर्ग टेलीविज़न प्रोडक्शन सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और अन्य बनाम ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड