औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के तहत अपराध का संज्ञान पुलिस अधिकारी की शिकायत के आधार पर नहीं लिया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

27 March 2024 10:45 AM GMT

  • औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के तहत अपराध का संज्ञान पुलिस अधिकारी की शिकायत के आधार पर नहीं लिया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने माना कि किसी पुलिस अधिकारी द्वारा दायर शिकायत के आधार पर ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के तहत किसी अपराध का संज्ञान नहीं लिया जा सकता।

    हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए, जिसने आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही रद्द करने से इनकार किया, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम के तहत कार्यवाही केवल ड्रग इंस्पेक्टर शिकायत के आधार पर ही शुरू की जा सकती।

    अदालत ने कहा,

    "उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए यह स्पष्ट है कि पुलिस इंस्पेक्टर की शिकायत के आधार पर अपीलकर्ता के खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के तहत शुरू की गई कार्यवाही कानूनी रूप से अमान्य है।"

    सुप्रीम कोर्ट की उक्त टिप्पणी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ आरोपी/अपीलकर्ता की याचिका पर सुनवाई करते समय आई, जिसके तहत हाईकोर्ट ने शिकायत के आधार पर ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स अधिनियम के तहत पुलिस अधिकारी आरोपी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला रद्द करने से इनकार किया।

    सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपीलकर्ता/अभियुक्त ने तर्क दिया कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 32 (1)(ए) पुलिस अधिकारी को उत्पन्न होने वाले अपराध के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का अधिकार नहीं देती।

    अभियुक्त/अपीलकर्ता द्वारा की गई दलीलों में बल पाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अभियुक्तों के खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही अनुचित है, क्योंकि पुलिस को अपीलकर्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का अधिकार नहीं है।

    इस आशय के लिए अदालत ने भारत संघ बनाम अशोक कुमार शर्मा और अन्य के अपने फैसले का हवाला दिया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकार कहा:

    “सीआरपीसी की योजना और अधिनियम की धारा 32 के जनादेश और अधिनियम के तहत ड्रग्स इंस्पेक्टर के पास उपलब्ध शक्तियों के परिप्रेक्ष्य और उसके कर्तव्यों को ध्यान में रखते हुए पुलिस अधिकारी सीआरपीसी की धारा 154 के तहत एफआईआर दर्ज नहीं कर सकता है। अधिनियम के अध्याय IV के तहत संज्ञेय अपराधों के संबंध में और वह सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत ऐसे अपराधों की जांच नहीं कर सकता।

    इस प्रकार, अदालत ने अपीलकर्ता के खिलाफ शुरू की गई पूरी कार्यवाही अवैध करार देते हुए अपीलकर्ता के खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही रद्द कर दी।

    तदनुसार अपील की अनुमति दी गई।

    केस टाइटल: राकेश कुमार बनाम बिहार राज्य एवं अन्य।

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