नैतिक अधमता से जुड़े अपराध के दोषी व्यक्ति को पासपोर्ट देने से इनकार नहीं किया जा सकता, अगर उसे 5 साल से ज़्यादा पहले दोषी ठहराया गया हो: केरल हाईकोर्ट
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केरल हाईकोर्ट ने माना कि पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा 6 (2) (ई) के अनुसार पासपोर्ट प्राधिकरण नैतिक अधमता से जुड़े अपराध के दोषी व्यक्ति को पासपोर्ट देने से इनकार नहीं कर सकता, अगर उसे पासपोर्ट आवेदन दाखिल करने की तारीख से पहले पाँच साल के भीतर दोषी नहीं ठहराया गया हो।
मामले के तथ्यों के अनुसार याचिकाकर्ता को 31 दिसंबर, 2015 को तीन साल के कारावास की सज़ा सुनाई गई और पासपोर्ट आवेदन 07 दिसंबर 2024 को दाखिल किया गया।
जस्टिस गोपीनाथ पी. ने रिट याचिका को मंज़ूरी दी और आदेश दिया कि पासपोर्ट प्राधिकरण उसकी पिछली सज़ा से प्रभावित हुए बिना पासपोर्ट के लिए उसके आवेदन पर विचार करेगा।
मौजूदा मामले के तथ्यों के अनुसार दोषसिद्धि 31.12.2015 को हुई थी। पासपोर्ट के लिए आवेदन 07.12.2024 को दाखिल किया गया था। उपरोक्त के आलोक में, मेरा मानना है कि याचिकाकर्ता सफल होने का हकदार है क्योंकि आवेदन की तारीख से पहले 5 वर्षों की अवधि के दौरान उसे दोषी नहीं ठहराया गया।
याचिकाकर्ता सीनियर सिटीजन है जिसका पासपोर्ट के लिए आवेदन तब से संसाधित नहीं किया जा रहा था, जब से उसे भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, आईपीसी के तहत दोषी ठहराया गया और तीन साल की कैद की सजा सुनाई गई।
याचिकाकर्ता को 31 दिसंबर, 2015 को दोषी ठहराया गया और 11 जनवरी, 2016 को उसकी सजा निलंबित कर दी गई।
न्यायालय ने उल्लेख किया कि पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा 6 (2) (ई) के अनुसार यदि आवेदक को आवेदन से पहले पांच वर्षों के भीतर भारत में किसी न्यायालय द्वारा नैतिक पतन से जुड़े अपराध के लिए दोषी ठहराया गया। दो साल से कम कारावास की सजा नहीं दी गई तो पासपोर्ट देने से इनकार कर दिया जाएगा।
मामले के तथ्यों के आधार पर, न्यायालय ने पाया कि धारा 6(2)(ई) लागू होगी क्योंकि मुकदमा पहले ही समाप्त हो चुका है।
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के मोहन लाल बनाम भारत संघ और अन्य (2023) के मामले पर भरोसा करते हुए न्यायालय ने कहा,
"यह माना गया कि 1967 अधिनियम की धारा 6(2)(ई) उस मामले पर लागू होगी, जहां आवेदक को आवेदन की तारीख से पहले पांच साल के भीतर दोषी ठहराया गया हो। दोषसिद्धि नैतिक पतन से जुड़े अपराध के लिए होनी चाहिए और दी गई सजा दो साल से कम नहीं होनी चाहिए।"
रिट याचिका को अनुमति दी गई।
केस टाइटल: अब्दुल अज़ीज़ के पी बनाम क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी, कोझीकोड