केरल हाइकोर्ट ने फेसबुक पर मंत्री के. राधाकृष्णन के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक और जातिवादी टिप्पणी करने वाले व्यक्ति को जमानत दी

Update: 2024-01-27 07:26 GMT

केरल हाइकोर्ट ने अपीलकर्ता को जमानत दी, जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों और देवस्वोम कल्याण मंत्री के. राधाकृष्णन की सबरीमाला अय्यपा मंदिर यात्रा के सिलसिले में फेसबुक पर उनके खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक और जातिवादी टिप्पणी करने के लिए न्यायिक हिरासत में था।

अपराध भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153ए, केरल पुलिस एक्ट (Kerala police Act) की धारा 120 (ओ), अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (SC/ST Act) की धारा 3 के तहत दर्ज किया गया।

जस्टिस के बाबू ने जमानत देने पर कहा,

''मैंने केस डायरी देखी है। जांच लगभग अंतिम चरण में है। अदालत के समक्ष रखी गई सामग्रियों के अवलोकन पर मेरा विचार है कि अपीलकर्ता को और हिरासत में रखने की आवश्यकता नहीं है।”

अपीलकर्ता ने कथित तौर पर मंत्री की तस्वीर के साथ फेसबुक पोस्ट पर टिप्पणी की थी, जो मानहानिकारक थी। अपीलकर्ता के खिलाफ आरोप यह था कि टिप्पणी में मंत्री के जाति नाम का उपयोग करते हुए अपमानजनक शब्द थे।

यह आरोप लगाया गया कि अपीलकर्ता को बदनाम करने और सार्वजनिक शांति भंग करने के लिए जाति और समुदाय के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी पैदा करने के लिए पोस्ट पर टिप्पणी की गई।

अपीलकर्ता के वकील ने कहा कि उनका मंत्री को बदनाम करने या जाति या समुदाय के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी पैदा करने का कोई इरादा नहीं था। यह भी प्रस्तुत किया गया कि अपीलकर्ता ने केवल गलती से फेसबुक पोस्ट साझा किया और सार्वजनिक माफी भी मांगी।

अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता ने जांच अधिकारी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और उसे गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया। इसमें कहा गया कि अपीलकर्ता को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

तदनुसार, अदालत ने यह पाते हुए जमानत दे दी कि जांच लगभग पूरी हो चुकी है और आगे हिरासत की आवश्यकता नहीं है।

अपीलकर्ता के वकील- के शाज, बीना एन.कारथा, सी.इजलाल, पूर्णिमा राजन, अरुण चंद, भरत विजय पी., माजिद मुहम्मद के., मीनू विटोरिया पॉलसन, गोपिका गोपाल, अर्चना सुरेश अर्चना पी.पी.।

उत्तरदाताओं के वकील- जी सुधीर।

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