एडवोकेट बीए अलूर ने क्लाइंट द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए जाने पर अग्रिम जमानत के लिए केरल हाईकोर्ट का रुख किया

Update: 2024-02-14 09:56 GMT

Kerala High Court

वकील बीए अलूर ने क्लाइंट द्वारा उनके खिलाफ आपराधिक धमकी और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए दायर की गई शिकायत में अग्रिम जमानत की मांग करते हुए केरल हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

एर्नाकुलम सेंट्रल पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत उत्पीड़न और यौन उत्पीड़न धारा 406, 420, 294 (बी), 506(ii) और 354ए के तहत सजा अपराधों के लिए एफआईआर दर्ज की गई।

9 फरवरी को अदालत ने अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें पुलिस को सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत उपस्थिति का नोटिस जारी किए बिना अलूर को गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया गया।

जस्टिस सोफी थॉमस ने सुनवाई 22 फरवरी तक के लिए स्थगित की, क्योंकि लोक अभियोजक ने निर्देश प्राप्त करने के लिए समय मांगा।

आरोप यह है कि अलूर ने क्लाइंट से लॉ फीस के रूप में प्राप्त धन वापस करने से इनकार कर दिया और उसे अपमानित धमकाया और दुर्व्यवहार किया।

दूसरी ओर अलोर का दावा कि शिकायतकर्ता ने अपने कुछ निष्कासित जूनियर के साथ मिलकर उनके खिलाफ यह झूठी शिकायत गढ़ी।

इससे पहले अन्य क्लाइंट ने अलूर के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज की और क्योंकि कथित अपराध जमानती है, इसलिए अदालत ने अग्रिम जमानत याचिका बंद कर दी।

यह याचिका वकील सी.पी.उदयभानु, नवनीत.एन.नाथ, रसल जनार्दन ए. अभिषेक एम. कुन्नाथु, बोबन पलाट, पी.यू.प्रतीश कुमार, पी.आर.अजय, के.यू.स्वप्निल द्वारा दायर की गई।

केस टाइटल- बीजू एंटनी अलूर, बी.ए. अलूर बनाम केरल राज्य और अन्य

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