दिल्ली हाईकोर्ट ने हवाई अड्डे की छत गिरने की SIT जांच की मांग वाली जनहित याचिका बंद की
दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले महीने दिल्ली, जबलपुर और राजकोट हवाई अड्डों पर भारी बारिश के कारण छत गिरने की घटना की एसआईटी जांच की मांग करने वाली एक जनहित याचिका सोमवार को बंद कर दी।
कार्यवाहक चीफ़ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेदेला की खंडपीठ ने भारतीय नागरिक सुरक्षा परिषद द्वारा दायर जनहित याचिका को बंद कर दिया, जिसमें तर्क दिया गया था कि दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं ने हवाई अड्डे की सुविधाओं की सुरक्षा के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा की हैं।
जनहित याचिका में भवन की गुणवत्ता और राष्ट्रीय राजधानी के साथ-साथ देश के सभी हवाई अड्डा टर्मिनलों में अधिकारियों द्वारा दी गई मंजूरी का आकलन करने के लिए विशेषज्ञ इंजीनियरों के एक समूह या केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की अध्यक्षता में एसआईटी जांच की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता संगठन की ओर से पेश वकील ने कहा कि तीन अलग-अलग हवाई अड्डों पर तीन दिनों में तीन दुर्घटनाएं हुईं, जो हवाई अड्डों पर संरचनात्मक सुविधाओं के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा करती हैं।
केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने पिछले महीने दिल्ली हवाई अड्डे की घटना के संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की है। उन्होंने अदालत को सूचित किया कि भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 337 (दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कार्य से चोट पहुंचाना) और 304 A (लापरवाही से मौत) के तहत अपराधों के लिए दर्ज मामले में जांच चल रही है।
वकील ने आगे कहा कि केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) के इंजीनियरों की एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है, जिसे इस मामले में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
अदालत को आगे सूचित किया गया कि सभी हवाईअड्डा संचालकों को आईआईटी आदि जैसे एक सामान्य निकाय के माध्यम से भवन सुरक्षा के बारे में तीसरे पक्ष द्वारा ऑडिट करने के लिए कहा गया है।
खंडपीठ को यह भी सूचित किया गया कि हवाईअड्डा संचालकों को हर साल मानसून के मौसम की शुरुआत से पहले हवाईअड्डा भवनों के डिजाइन और छत के ढांचे सहित तकनीकी पहलुओं की जांच करने का भी निर्देश दिया गया है।
तदनुसार, खंडपीठ ने अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों के मद्देनजर जनहित याचिका को बंद कर दिया।