दिल्ली हाईकोर्ट ने बलात्कार और अश्लील तस्वीरें खींचने के आरोपी फिल्म डायरेक्टर को अग्रिम जमानत देने से किया इनकार

Update: 2025-03-29 06:33 GMT
दिल्ली हाईकोर्ट ने बलात्कार और अश्लील तस्वीरें खींचने के आरोपी फिल्म डायरेक्टर को अग्रिम जमानत देने से किया इनकार

बलात्कार के आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले में अग्रिम जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा, जिसमें फिल्म डायरेक्टर ने कथित तौर पर पीड़िता को नायिका बनाने के बहाने बहला-फुसलाकर उसका यौन शोषण किया।

जस्टिस गिरीश कठपालिया ने टिप्पणी की,

"यह गिरफ्तारी के बाद याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई नियमित जमानत का मामला नहीं है। यह अग्रिम जमानत का मामला है, जो फिल्म डायरेक्टर द्वारा मांगा गया, जिसने कथित तौर पर एक छोटे शहर की लड़की के साथ यौन शोषण के कई कृत्य किए जो फिल्म नायिका बनने की ख्वाहिश रखती थी। ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत देने से समाज में बहुत गलत संदेश जाएगा, यह दर्शाया जाएगा कि ऐसी लड़कियों का शोषण करने के बाद जेब में हाथ डालकर कोई व्यक्ति बेखौफ घूम सकता है।"

न्यायालय इस बात से संतुष्ट नहीं है कि पीड़िता द्वारा ज़मानत दिए जाने पर कोई आपत्ति न करना स्वैच्छिक है, क्योंकि FIR में विभिन्न तिथियों और स्थानों के विशिष्ट विवरण दिए गए, जहां पीड़िता के साथ बलात्कार किया गया।

न्यायालय ने कहा,

"सिर्फ इसलिए कि पीड़िता को अग्रिम ज़मानत दिए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है, वर्तमान याचिका को अनुमति नहीं दी जा सकती। जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया, याचिकाकर्ता ने कथित तौर पर पीड़िता के अश्लील वीडियो और तस्वीरें क्लिक कीं और धमकी दी कि अगर उसने सहयोग नहीं किया तो वह उन्हें सार्वजनिक कर देगा। इन परिस्थितियों में मैं इस बात से संतुष्ट नहीं हूं कि पीड़िता द्वारा अग्रिम ज़मानत देने के लिए दी गई सहमति उसका स्वैच्छिक कार्य है।"

अभियोजन पक्ष का मामला यह है कि याचिकाकर्ता मुंबई स्थित फिल्म निर्देशक, टिक टॉक और इंस्टाग्राम के माध्यम से झांसी में रहने वाली पीड़िता के संपर्क में आया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने पीड़िता को फोन किया और उसे बताया कि वह झांसी में है और उससे मिलने के लिए कहा। जब उसने सामाजिक दबाव व्यक्त करते हुए इनकार कर दिया तो उसने आत्महत्या करने की धमकी दी।

डर के मारे वह उससे मिली और फिर वह उसे एक रिसॉर्ट में ले गया।

खाना खाने के बाद पीड़िता को चक्कर आने लगा और आधी रात को होश आने पर उसने खुद को नग्न अवस्था में पाया। याचिकाकर्ता ने उससे कहा कि उसने उसकी अश्लील तस्वीरें खीचीं और वीडियो बनाए हैं, जिन्हें अगर वह विरोध करेगी तो वह सार्वजनिक कर देगा। इसके बाद याचिकाकर्ता ने कई बार पीड़िता को फिल्म में हीरोइन बनाने का लालच देकर अलग-अलग जगहों पर बुलाकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए।

फिल्म में हीरोइन बनाने के लालच में पीड़िता मुंबई पहुंच गई और याचिकाकर्ता के साथ रहने लगी, जहां आरोप है कि उसके साथ शारीरिक शोषण किया गया। इसके अलावा, उसने उसे तीन बार गर्भपात कराने के लिए मजबूर किया और फिर उसे छोड़ दिया। याचिकाकर्ता ने पीड़िता से यह भी कहा कि उसने कई लड़कियों का शोषण किया। अगर उसने इस मुद्दे को आगे बढ़ाया तो वह उसे मार देगा।

याचिकाकर्ता पर धारा 376/323/313/354सी/506 आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया गया।

न्यायालय ने पाया कि अभियोजन पक्ष ने न्यायालय में सुनवाई के दौरान कहा कि यदि याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत दी जाती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है।

FIR का अनुसरण करते हुए न्यायालय का मानना ​​था कि FIR में विशिष्ट विवरणों के आधार पर आरोप झूठे नहीं लगते।

अग्रिम जमानत दिए जाने के लिए कोई परिस्थिति न पाते हुए न्यायालय ने आवेदन खारिज कर दिया।

केस टाइटल: सनोज कुमार मिश्रा बनाम दिल्ली राज्य सरकार (जमानत आवेदन संख्या 1234/2025)

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