'कोर्ट हॉल में होने वाली अप्रिय घटनाओं का मामला': केरल हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन ने जूनियर वकीलों और इंटर्न से ड्रेस कोड का पालन करने का आग्रह किया

Update: 2022-06-02 07:26 GMT
Lawyer Not Wearing Neck-Band During Virtual Hearing

Image Courtesy: India Today

केरल हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन ने बुधवार को नोटिस जारी कर जूनियर वकीलों और लॉ इंटर्न से बार काउंसिल ऑफ इंडिया और हाईकोर्ट द्वारा वकीलों के लिए निर्धारित ड्रेस कोड का पालन करने का आग्रह किया।

नोटिस में कहा गया,

"यह नोटिस अदालतों में निभाए जाने वाले शिष्टाचार को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दे को उजागर करने के लिए जारी किया गया है। हमने अदालतों में शिष्टाचार बनाए रखने के लिए पोशाक, शिष्टाचार और मर्यादा की परंपराएं स्थापित की हैं। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी अधिवक्ताओं द्वारा पहने जाने वाले कपड़े या पोशाक के लिए प्रपत्र निर्धारित करने वाले नियम प्रकाशित किए हैं। केरल हाईकोर्ट ने दिनांक 14.02.2018 के कार्यालय ज्ञापन नंबर A1 627/2017 द्वारा भी जोर दिया कि न्यायालयों में इंटर्नशिप कर रहे लॉ स्टूडेंट्स को भी कोट छोड़कर एडवोकेट्स के लिए बीसीआई द्वारा निर्धारित ड्रेस कोड बैंड और गाउन का पालन करना चाहिए।"

एसोसिएशन ने अपने नोटिस में उल्लेख किया कि हाल ही में नामांकित जूनियर वकीलों और लॉ इंटर्न के अदालतों की 'पोशाक' के अभ्यस्त नहीं होने के कारण फिजिकल सुनवाई फिर से शुरू होने के बाद से कई 'अपमानजनक' घटनाएं कोर्ट हॉल में घटी हैं।

इस संबंध में नोटिस में कहा गया,

"महामारी के दौरान अदालती कार्यवाही को वर्चुअल मोड में स्थानांतरित करने के कारण पिछले दो वर्षों में नए नामांकित जूनियर्स वकीलों और लॉ इंटर्न इन शिष्टाचार और अदालतों में बनाए गए मर्यादा के आदी नहीं हो पाए हैं। इससे कई फिजिकल सुनवाई की बहाली के बाद से कोर्ट हॉल और परिसर में अप्रिय घटनाएं हुई हैं।"

इस प्रकार, एसोसिएशन ने अपने सभी सदस्यों से अनुरोध किया कि वे अपने कार्यालय से जुड़े जूनियर वकीलों और लॉ इंटर्न को मर्यादा और शिष्टाचार बनाए रखने और बार काउंसिल ऑफ इंडिया और हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित ड्रेस कोड का पालन करने के लिए 'सलाह' दें।

इस बीच, इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष दायर याचिका के बाद बीसीआई ने हाल ही में वकीलों के लिए ड्रेस कोड के मुद्दे पर बार और न्यायपालिका के साथ विचार-विमर्श करने के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस याचिका में काले कोट के मौजूदा ड्रेस कोड पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। याचिका में वकीलों के लिए निर्धारित पोशाक पर यह आरोप लगाया गया है कि कि यह भारत की जलवायु परिस्थितियों के विरुद्ध है।

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