इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा को न्यायिक कार्य न सौंपें : सीजेआई ने चीफ जस्टिस से कहा

Update: 2025-03-29 04:17 GMT
इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा को न्यायिक कार्य न सौंपें : सीजेआई ने चीफ जस्टिस से कहा

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से कहा कि वह जस्टिस यशवंत वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपें, जो अपने आधिकारिक आवासीय परिसर में अवैध नकदी रखने के आरोपों पर आंतरिक जांच का सामना कर रहे हैं।

इससे पहले, केंद्र सरकार ने जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापस भेजने की अधिसूचना जारी की। इस पृष्ठभूमि में इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से कहा गया कि जब जस्टिस वर्मा इलाहाबाद हाईकोर्ट जज के रूप में कार्यभार संभालेंगे तो उन्हें कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए।

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में लाने के निर्णय का विरोध कर रहा है।

पिछले सप्ताह, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से जस्टिस वर्मा से न्यायिक कार्य वापस लेने को कहा था।

जस्टिस वर्मा मूल रूप से इलाहाबाद हाईकोर्ट से संबंधित हैं। उनको 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था। जस्टिस वर्मा 21 मार्च को उस समय विवादों में आ गए, जब उनके सरकारी बंगले के बाहरी हिस्से में एक गोदाम में आग लगने के बाद नकदी से भरी बोरियां बरामद होने की खबरें प्रकाशित हुईं।

22 मार्च को सीजेआई संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए आंतरिक प्रक्रिया के तहत तीन सदस्यीय समिति गठित की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आग बुझाने का वीडियो, दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की रिपोर्ट और जस्टिस वर्मा की प्रतिक्रिया को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर सार्वजनिक किया।

जस्टिस वर्मा ने नकदी रखने से इनकार किया और दावा किया कि यह उनके खिलाफ साजिश है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने और आपराधिक जांच शुरू करने की मांग वाली याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि आंतरिक जांच के नतीजे का इंतजार किया जाना चाहिए।

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