पर्सनल रिलेशन की सामाजिक स्वीकृति कानून की नजर में उन्हें मान्यता देने का आधार नहीं: पटना हाईकोर्ट

Update: 2022-06-29 06:21 GMT

पटना हाईकोर्ट ने कहा कि पर्सनल रिलेशन की सामाजिक स्वीकृति उन्हें कानून की नजर में मान्यता देने का आधार नहीं है।

जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस पूर्णेंदु सिंह की पीठ अमित राज द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर विचार कर रही थी। उक्त याचिका में उसकी पत्नी (कथित तौर पर उसके परिवार के सदस्यों की कस्टडी में थी) को पेश किए जाने की मांग की गई थी।

अदालत के आदेश के अनुसार, लड़की/पत्नी को अदालत के समक्ष पेश किया गया, जहां अदालत ने उससे पूछा कि क्या उसने स्वेच्छा से याचिकाकर्ता से शादी की है। इस पर उसने हां कहा और उसके साथ रहने की इच्छा व्यक्त की।

अदालत को पर आश्वस्त हुई कि याचिकाकर्ता/पति और प्रतिवादी नंबर 10/पत्नी के बीच विवाह वास्तविक है और वे शादी को जारी रखना चाहते हैं। हालांकि लड़की के पिता ने शुरू में कुछ आपत्तियों के बावजूद, रिश्ते को स्वीकार कर लिया था, लेकिन उसकी एकमात्र चिंता यह थी कि उसकी बेटी सुरक्षित रहे।

इस पर याचिकाकर्ता के परिवार के सदस्यों ने स्पष्ट स्टैंड लेते हुए कहा कि लड़की को परिवार के सदस्य के रूप में घर में स्वीकार किया जाएगा। याचिकाकर्ता की पत्नी के रूप में उसे उचित दर्जा और सम्मान दिया जाएगा। आगे कहा गया कि वे प्रतिवादी नंबर 10 को किसी भी तरह से परेशान नहीं करेंगे और जैसा वह जीवन जीना चाहती है, उसका पूरा समर्थन करेंगे।

उक्त तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि लड़की बालिग है और शादी करने या अपनी पसंद के किसी व्यक्ति के साथ रहने के लिए स्वतंत्र है, हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों की सीरीज का उल्लेख किया ताकि यह रेखांकित किया जा सके कि महिला का चयन करने का विकल्प संविधान द्वारा विधिवत मान्यता प्राप्त पहलू है।

अदालत ने आगे कहा,

"दो व्यक्तियों के विवाह के लिए परिवार/कुल/समुदाय की सहमति अनावश्यक है - यह पसंद का मामला है और संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत निहित है ... विवाह जैसे मामलों पर निर्णय लेने के लिए व्यक्ति की स्वतंत्र क्षमता को सीमित नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही पर्सनल रिलेशन की सामाजिक स्वीकृति उन्हें कानून की नजर में मान्यता देने का आधार नहीं है।"

उक्त चर्चा को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने लड़की को उसके पिता के विरोध के बिना याचिकाकर्ता/पति के साथ और उसके साथ न्यायालय से ही ससुराल जाने की अनुमति दे दी।

इस तरह की कवायद को सुविधाजनक बनाने के लिए याचिकाकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों और पत्नी को एसएसपी, पटना के कार्यालय जाने का निर्देश दिया गया ताकि पत्नी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के संबंध में तौर-तरीकों पर काम किया जा सके।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता और उसकी पत्नी की सुरक्षा और सलामती भी सुनिश्चित की और इस आशय का आदेश दिया।

इसके अलावा, उप-न्यायाधीश, गोपालगंज के समक्ष याचिकाकर्ता के साथ उसकी शादी को शून्य घोषित करने के लिए दायर सूट को कोर्ट ने खारिज कर दिया।

केस टाइटल- अमित राज बनाम बिहार राज्य और अन्य [आपराधिक रिट क्षेत्राधिकार मामला 2022 का 511]

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