Sambhal Row | मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रायल कोर्ट के सर्वेक्षण आदेश को चुनौती दी
चंदौसी (संभल) स्थित शाही जामा मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में 19 नवंबर को पारित ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी, जिसमें एडवोकेट कमिश्नर को मस्जिद का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था। इसमें दावा किया गया कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को नष्ट करके किया गया था।
यह घटनाक्रम तब सामने आया है, जब एडवोकेट कमिश्नर ने पिछले सप्ताह सीलबंद लिफाफे में ट्रायल कोर्ट को सर्वेक्षण रिपोर्ट सौंपी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, उक्त रिपोर्ट के आधार पर कोई भी अंतरिम या अंतिम प्रभावी आदेश पारित नहीं किया जा सकता।
उम्मीद है कि इस सप्ताह के अंत में हाईकोर्ट मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई करेगा।
उल्लेखनीय है कि मस्जिद समिति ने एक महीने से अधिक समय बाद हाईकोर्ट का रुख किया, जब सुप्रीम कोर्ट ने संभल ट्रायल कोर्ट को मस्जिद के खिलाफ मुकदमा तब तक आगे न बढ़ाने का निर्देश दिया, जब तक कि सर्वेक्षण आदेश के खिलाफ मस्जिद कमेटी की याचिका हाईकोर्ट में सूचीबद्ध नहीं हो जाती।
सिविल जज (सीनियर डिवीजन) आदित्य सिंह ने महंत ऋषिराज गिरि सहित आठ वादियों द्वारा दायर मुकदमे पर यह आदेश पारित किया था, जिन्होंने दावा किया कि विवादित मस्जिद 1526 में वहां मौजूद एक मंदिर को ध्वस्त करके बनाई गई थी।
सर्वेक्षण के कारण 24 नवंबर को हिंसा भड़क उठी, जिसमें चार लोग मारे गए। हिंदू वादियों के अनुसार, विवादित मस्जिद मूल रूप से भगवान विष्णु के अंतिम अवतार कल्कि को समर्पित प्राचीन मंदिर (हरि हर मंदिर) का स्थल था।
1526 में मुगल शासक बाबर के आदेश पर मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त कर दिया गया और मस्जिद में बदल दिया गया। अपने मुकदमे में एडवोकेट हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए वादियों ने मस्जिद तक पहुंचने के अधिकार का दावा किया।
लाइव लॉ से बात करते हुए अदालत द्वारा नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव ने दावा किया कि उन्होंने अदालत के 19 नवंबर के निर्देश के अनुसार सीलबंद लिफाफे में सर्वेक्षण रिपोर्ट दायर की।