हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
10 मई 2021 से 15 मई 2021 तक हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
पैदल मार्ग या सार्वजनिक सड़कों पर अवैध पार्किंग अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के बराबर : कर्नाटक उच्च न्यायालय
कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना है कि यह सुनिश्चित करना अधिकारियों का कर्तव्य है कि पैदल मार्ग और सार्वजनिक सड़कों को अवैध पार्किंग सहित अन्य रुकावटों से मुक्त रखा जाए। यह सुनिश्चित करना भी उनकी जिम्मेदारी है कि कानून के इन प्रावधानों के उल्लंघन को लापरवाही से ना लिया जाए और आपराधिक कानून के तहत तुरंत कार्रवाई हो। चीफ जस्टिस अभय ओका और जस्टिस सूरज गोविंदराज की खंडपीठ ने WPNo.42927/2015 में 31 जुलाई 2019 को अदालत द्वारा पारित आदेश पर भरोसा करते हुए कहा, "इस न्यायालय ने माना है कि एक अच्छे और उचित स्थिति में पैदल मार्ग सहित सड़कों के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों को दिए गए मौलिक अधिकारों के एक अनिवार्य हिस्से के रूप में रखना होगा। यदि पैदल मार्ग या सार्वजनिक सड़कों पर वाहनों की पार्किंग सहित किसी भी तरह से अतिक्रमण किया जाता है, तो यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के बराबर होगा, जैसा की इस अदालत ने माना है।"
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किसी को भी ऐप का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर नहीं किया जा रहा, उपयोगकर्ता छोड़ने के लिए स्वतंत्र हैं; आरोग्य सेतु, आईआरसीटीसी के पास समान प्राइवेसी पॉलिसी है': व्हाट्सएप ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा
दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष दायर हलफनामे में व्हाट्सएप ने प्रस्तुत किया कि नई अपडेटेड प्राइवेसी पॉलिसी (वर्ष 2021 की) किसी भी तरह से मित्रों और परिवार के बीच किए गए व्यक्तिगत मैसेज (अपने उपयोगकर्ताओं के) की निजता को प्रभावित नहीं करती है। फेसबुक के स्वामित्व वाली कंपनी ने हलफनामे में कहा कि अपडेट अनिवार्य नहीं है और व्हाट्सएप किसी को भी अपडेट को स्वीकार करने के लिए मजबूर नहीं कर रहा है। नई व्हाट्सएप नीति के मुताबिक उपयोगकर्ता को 2021 अपडेट को स्वीकार करने की स्वतंत्रता देता है या वे ऐसा नहीं करने का विकल्प चुन सकते हैं और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करना बंद कर सकते हैं और उनके पास अपने व्हाट्सएप अकाउंट को जब चाहें डिलीट करने का विकल्प है।
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'अल्कोहल टेस्टिंग पूरी तरह से समाप्त नहीं की जा सकती': दिल्ली हाईकोर्ट ने एयरपोर्ट पर 'ब्रीथ-एनालाइजर टेस्ट' के लिए निर्देश जारी किए
दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि कि अल्कोहल टेस्टिंग पूरी तरह से समाप्त नहीं की जा सकती है, क्योंकि यह यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक हो सकता है। इसके साथ ही कोर्ट ने एयरपोर्ट पर सभी एटीसी, पायलट, केबिन क्रू और अन्य कर्मी के लिए ब्रीथ एनालाइज़र टेस्ट के लिए कई निर्देश जारी किए। ब्रीथ-एनालाइजर टेस्ट यानी सांसों में अल्कोहल की मात्रा जांचने का टेस्ट, जो यह पता लगाता है कि व्यक्ति नशे में है या नहीं।
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'समाज का पूरा सामाजिक ताना-बाना बिगड़ जाएगा'': पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक लिव-इन कपल को संरक्षण देने से इनकार किया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार (12 मई) को एक लिव-इन कपल को संरक्षण देने से इनकार करते हुए कहा कि ''अगर जिस तरह के संरक्षण का दावा किया गया है,उसकी अनुमति दे दी जाती है, तो इससे समाज का पूरा सामाजिक ताना-बाना बिगड़ जाएगा।'' इस कपल ने अपनी याचिका में बताया था कि उनको कथित रूप से लड़की के परिवार से खतरा है। न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, ''याचिकाकर्ता नंबर 1 (लड़की) मुश्किल से 18 साल की है जबकि याचिकाकर्ता नंबर 2 (लड़का) 21 साल का है। वे लिव-इन रिलेशनशिप में एक साथ रहने का दावा कर रहे हैं और अपने जीवन की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए याचिकाकर्ता नंबर 1 (लड़की) के रिश्तेदारों से संरक्षण दिलाए जाने की मांग कर रहे हैं।''
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ऑक्सीजन की कमी से जान गंवाने वाले COVID रोगियों को राज्य सरकार को मुआवजा देना चाहिएः कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार को नोटिस दिया कि अगली तारीख को वह ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी के कारण चामराजनगर के COVID अस्पताल में मारे गए 24 लोगों के परिवार के सदस्यों को मुआवजा देने के मुद्दे पर विचार करेगा। चीफ जस्टिस अभय ओका और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ ने कहा, "राज्य सरकार को पीड़ितों के परिजनों को मुआवजा देने के मुद्दे पर स्टैंड लेना होगा....। रिट कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों को दिए गए मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए मुआवजा दे सकती है। हमने राज्य को नोटिस पर रखा है कि मुआवजा देने के सवाल पर अगली तारीख पर विचार किया जाएगा।"
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'जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड द्वारा एक किशोर को दोषी ठहराया जाना रोजगार के लिए अयोग्यता नहीं है, इसके प्रकटीकरण की आवश्यकता उसकी निजता, अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करती है': इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि आपराधिक अभियोजन का सामना किए एक किशोर की नियुक्ति को लेकर यह राय बनाना कि वह इस नियुक्ति के लिए एक उम्मीदवार के रूप में आयोग्य है, यह मनमाना, अवैध और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। कोर्ट ने इसके अलावा कहा कि नियुक्त करने वाला व्यक्ति किसी भी उम्मीदवार को एक किशोर के रूप में सामना किए गए आपराधिक अभियोजन के विवरण का प्रकटीकरण करने के लिए नहीं कह सकता है।
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COVID-19- 'यह एक युद्ध जैसी स्थिति है, उन सभी के लिए अतिरिक्त स्ट्रेचर खरीदे जाएं जिन्हें उपचार की आवश्यकता है': मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार (13 मई) को कहा कि यह एक युद्ध जैसी स्थिति है, जहां इलाज की आवश्यकता लगभग सभी को है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि सरकारी अस्पतालों द्वारा अतिरिक्त स्ट्रेचर उन सभी के लिए खरीदे जाएं जिन्हें उपचार की आवश्यकता है। मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की पीठ ने मंगलवार फिर से तमिलनाडु और पुडुचेरी राज्य में COVID-19 प्रतिक्रिया की निगरानी से संबंधित खुद से लिए गए स्वत: संज्ञान याचिका पर विचार किया।
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निजी अस्पतालों का समय पर उपचार ना दे पाना भी अनुच्छेद 21 का उल्लंघनः पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि सरकारी अस्पताल, चिकित्सा अधिकारी चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने के लिए कर्तव्यबद्ध हैं, और किसी जरूरतमंद व्यक्ति को चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने में विफलता, अगर वह निजी अस्पतालों की ओर से भी की गई है तो यह अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।