'अल्कोहल टेस्टिंग पूरी तरह से समाप्त नहीं की जा सकती': दिल्ली हाईकोर्ट ने एयरपोर्ट पर 'ब्रीथ-एनालाइजर टेस्ट' के लिए निर्देश जारी किए
LiveLaw News Network
14 May 2021 6:43 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि कि अल्कोहल टेस्टिंग पूरी तरह से समाप्त नहीं की जा सकती है, क्योंकि यह यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक हो सकता है। इसके साथ ही कोर्ट ने एयरपोर्ट पर सभी एटीसी, पायलट, केबिन क्रू और अन्य कर्मी के लिए ब्रीथ एनालाइज़र टेस्ट के लिए कई निर्देश जारी किए।
ब्रीथ-एनालाइजर टेस्ट यानी सांसों में अल्कोहल की मात्रा जांचने का टेस्ट, जो यह पता लगाता है कि व्यक्ति नशे में है या नहीं।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह की एकल न्यायाधीश पीठ ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए;
1. डीजीसीए के लागू विनियमों के अनुसार सभी कर्मियों को अंडरटेकिंग देना होगा कि उन्होंने ड्यूटी पर आने से पहले पिछले 12 घंटों में शराब का सेवन नहीं किया है। उक्त अंडरटेकिंग और घोषणाएं सभी कर्मियों के लिए अनिवार्य होंगी।
2. अंडरटेकिंग के बाद ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट के लिए ड्यूटी तैनात डॉक्टर और किसी भी अन्य पैरामेडिक / नर्सिंग कर्मी द्वारा टेस्ट किया जाएगा। इसके साथ ही ड्यूटी से पहले रैपिड एंटीजेन टेस्ट किया जाए। COVID19 महामारी को देखते हुए ऐसा निर्देश दिया जा रहा है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कर्मी COVID निगेटिव हैं। कोरोना की वृद्धि पर रोक लगेगी।
3. डीजीसीए ने निर्देश दिया कि सभी हवाई अड्डों पर ब्रीथ एनालाइजर टेस्ट काफी हद तक संभव है कि यह एक बड़े और खुले क्षेत्र में संचालित हो, जिसमें सीसीटीवी कवरेज हो और एक छोटे से संलग्न स्थान पर न हो जैसा कि आज की तस्वीर में दिखाया गया है। यह सुनिश्चित करेगा कि टेस्ट किए गए कर्मियों के लिए एरोसोल का जोखिम भी कम हो।
4. सभी कर्मियों यानी एटीसी, पायलट, केबिन क्रू और अन्य कर्मियों के लिए टेस्टिंग रेडम तरीके से किया जाए। हालांकि, जहां तक पायलटों और केबिन क्रू का संबंध है, 3 महीने की अवधि के लिए टेस्ट किए गए कर्मियों की संख्या पर 5% की सीमा होगी। COVID-19 महामारी की व्यापकता के आधार पर इसे 3 महीने के अंत तक संशोधित किया जा सकता है।
5. टेस्ट क्षेत्र के संबंध में विचार आईडी द्वारा प्रस्तुत किया गया है। डीजीसीए के वकील ने कहा कि एक घंटे की अवधि के भीतर 6 से अधिक कर्मियों का टेस्ट नहीं किया जाएगा।
6. टेस्टिंग उपकरण यूवीसीए विकिरण के संपर्क में रहते हैं, डीजीसीए द्वारा पहले से निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार, जिन्हें DGMS (वायु) द्वारा नियुक्त समिति द्वारा माना जाएगा।
कोर्ट ने डीजीसीए को निर्देश दिया कि वह एक ही दस्तावेज़ में ब्रीथ एनालाइज़र टेस्ट के प्रशासन के लिए सभी आवश्यकताओं और प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए एक व्यापक दिशानिर्देश या आदेश तत्काल आधार पर जारी करेगा।
कोर्ट ने निर्देश दिया कि,
"उक्त आदेश देश भर के सभी हवाई अड्डों और एयरलाइंस को समान रूप से पालन करने के लिए सूचित किया जाएगा।"
कोर्ट ने इसके अलावा इस बात पर जोर देते हुए कहा कि एटीसी, पायलट और केबिन क्रू सहित सभी एयरलाइंस लागू नियमों के अनुसार शराब का सेवन नहीं करने के संबंध में अंडरटेकिंग और घोषणाएं देने के लिए बाध्य होंगे। कोर्ट ने कहा कि विफल होने पर लागू नियमों के अनुसार ऑफ-रोस्टरिंग और निलंबन सहित सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कोर्ट ब्रीथ एनालाइज़र टेस्ट से संबंधित याचिकाओं पर विचार कर रहा था, जिसमें एटीसी और वाणिज्यिक पायलटों को हवाई अड्डों पर अपनी ड्यूटी करने से पहले टेस्ट करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने निम्नलिखित निर्देश इसी याचिका की सुनवाई के दौरान दिया।
कोर्ट ने उक्त निर्देश जारी करते हुए अवलोकन किया कि,
"समिति द्वारा ब्लड अल्कोहल टेस्ट को अस्वीकार कर दिया गया और यह अदालत समिति के निर्णय के खिलाफ जा कर कोई अपना निर्णय नहीं देगा। हालांकि इसमें कोई संदेह नहीं है कि अल्कोहल टेस्टिंग को पूरी तरह से छूट नहीं दी जा सकती है क्योंकि यह यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक हो सकता है। कर्मियों के साथ-साथ यात्रियों के हितों के बीच संतुलन बनाए रखते हुए निर्देश जारी करने होंगे।"
न्यायालय ने पिछले सप्ताह महानिदेशक चिकित्सा सेवा (वायु) को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा था कि क्या ब्रीथ एनालाइजर टेस्ट एक खुले क्षेत्र में मोबाइल विद्युत कनेक्टिविटी के साथ किया जा सकता है ताकि कमरों में निलंबित एरोसोल के माध्यम से कोविड-19 का प्रसार सीमित हो सके। पायलटों, एटीसी और एयरलाइनों के केबिन क्रू की सुरक्षा के लिए जरुरी है।
तत्पश्चात उक्त निर्देश के तहत रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। गुरूवार को सुनवाई के दौरान डीजीसीए की ओर से पेश अधिवक्ता अंजना गोसाईं ने अदालत को सूचित किया कि उक्त रिपोर्ट को देखते हुए सभी हवाई अड्डों पर खुले क्षेत्र में ब्रीथ एनालाइजर टेस्ट कराने का प्रयास किया जाएगा।
यह भी आश्वासन दिया गया कि जिन स्थानों पर खुले क्षेत्र में टेस्ट करना संभव नहीं है, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक टेस्ट के बाद कमरे को साफ किया जाएगा।
यह भी प्रस्तुत किया गया कि डीजीसीए स्वयं अपने कर्मियों और यात्रियों के हित के प्रति सचेत है। इसे देखते हुए कोर्ट ने निर्देश जारी करते हुए याचिकाओं का निपटारा कर दिया।