जमानत के आदेशों में आवेदकों के आपराधिक रिकॉर्ड का पूरा विवरण दिया जाए : राजस्थान हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिए

Update: 2020-11-29 14:39 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट 

राजस्थान हाईकोर्ट ने बुधवार (25 नवंबर) को राज्य के सभी ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि आपराधिक रिकॉर्ड (जमानत आवेदक से संबंधित) का पूर्ण विवरण दें, यदि ऐसा कोई रिकार्ड हो तो और अगर आरोपी व्यक्ति का कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है तो इस बारे में भी रिकार्ड किया जाए या बताया जाए।

न्यायमूर्ति पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की खंडपीठ ने एक अभियुक्त की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उपरोक्त निर्देश जारी किया है, जिसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था।

न्यायालय ने आगे निर्देश दिया है कि

''यदि अभियुक्त का कोई पूर्ववृत्त रिकार्ड है तो उसके संबंध में पूरा विवरण दिया जाए,जिसमें एफआईआर नंबर(एस) और केस नंबर (एस), धारा (एस), तिथि (एस), स्टे्टस और गिरफ्तारी की तारीख और यदि पहले कभी रिलीज किया गया हो, आदि के बारे में बताया जाए। यह सारा विवरण चार्ट फॉर्म में तैयार किया जाए और जमानत के आवेदन को स्वीकार करते हुए या खारिज करते समय दिए गए ट्रायल कोर्ट के आदेश में शामिल किया जाए।''

कोर्ट के समक्ष क्या था मामला

इस मामले के जमानत आवेदक-अभियुक्त को आईपीसी की धारा 392/34 के तहत दंडनीय अपराध के मामले में गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने उसे जमानत दे दी और इस प्रकार, सीआरपीसी की धारा 439 के तहत दायर उसकी अर्जी को स्वीकार कर लिया गया था।

हालांकि, न्यायालय ने अपने आदेश में उल्लेख किया है कि अभियुक्त-जमानत आवेदक के आपराधिक रिकार्ड के स्टे्टस के बारे में उपरोक्त आदेश में कोई उल्लेख नहीं किया गया था।

इस पर कोर्ट ने कहा कि,

''अक्सर इस न्यायालय द्वारा यह देखा गया है कि निचली अदालतें अभियुक्त व्यक्तियों के पूर्ववृत्त आपराधिक रिकार्ड के संबंध में विशिष्ट नहीं हैं या उस बारे में कुछ बताया नहीं जाता है,जिस कारण जमानत के आवेदनों के निपटान में देरी होती है। जब किसी व्यक्ति के आपराधिक रिकार्ड के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया जाता है तो उसके आपराधिक रिकार्ड के बारे में रिपोर्ट मंगवाई जाती है और इस तरह के रिकार्ड की रिपोर्ट आने में काफी समय लग जाता है।''

अदालत ने आगे यह भी कहा कि,

''हालांकि अकेले पूर्ववृत्त रिकार्ड किसी की जमानत को अस्वीकार करने या स्वीकार करने का आधार नहीं होता है, लेकिन यह रिकार्ड होना चाहिए ताकि मामले में लगाए गए आरोपों के समग्र परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए माननीय हाईकोर्ट सीआरपीसी की धारा 437 (1) की प्रयोज्यता को चेक कर सकें और साथ ही अभियुक्त व्यक्ति के मामले का ठीक से मूल्यांकन कर सकें।''

वहीं न्यायालय ने निर्देश दिया है कि उनके आदेश के बारे में न्यायालय की रजिस्ट्री द्वारा राज्य के सभी जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को सूचित कर दिया जाए, ''जो तुरंत इस बात को सुनिश्चित करें कि उनके अधिकार क्षेत्र में जमानत आवेदनों पर सुनवाई करने वाली सभी कोर्ट में और सभी न्यायिक अधिकारियों द्वारा इस आदेश को लागू किया जाए।''

अदालत के आदेश में कहा गया है, ''राजस्थान राज्य में किसी भी जमानत आवेदन को निपटाते समय यह आवश्यक होगा कि निचली अदालतों के आदेश में पूर्ववृत्त रिकार्ड की रिपोर्ट को उपरोक्त फाॅर्मेट में दिया जाए।''

यह भी निर्देशित किया गया है कि राज्य भर के लोक अभियोजक ''जमानत के हर मामले में पहले से ही पूर्ववृत्त रिकार्ड की रिपोर्ट को मंगवा लें ताकि अदालतों को अभियुक्त के पिछले आपराधिक रिकार्ड के बारे में निश्चित और सही जानकारी देने में सक्षम बनाया जा सके।''

केस का शीर्षक- जुगल बनाम राजस्थान राज्य ,एस.बी. आपराधिक विविध जमानत आवेदन संख्या 13513/2020

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