'निजी स्वतंत्रता की रक्षा न्यायालय का कर्तव्य': कर्नाटक हाईकोर्ट ने टीवी चैनल के एमडी को जमानत देते हुए अर्नब गोस्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया

Update: 2020-11-20 07:37 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने राकेश शेट्टी, मैनेजिंग डायरेक्टर और संपादक, पावर टीवी को जबरन वसूली के मामले में अग्रिम जमानत देते हुए अर्नब गोस्वामी के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का हवाला दिया है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की एक सीरीज़ चलाने के बाद शेट्टी के खिलाफ बेंगलुरु पुलिस ने जबरन वसूली का मामला दर्ज किया था।

मामले में अग्रिम जमानत की याचिका की अनुमति देते हुए, ज‌स्टिस बीए पाटिल की एकल पीठ ने पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिपब्लिक टीवी के एंकर अर्नब गोस्वामी की रिहाई के आदेश के तहत निजी स्वतंत्रता पर की गई टिप्पणियों का हवाला दिया।

जमानत आदेश में हाईकोर्ट ने कहा, "न्यायालय का यह कर्तव्य है कि वह किसी नागरिक की निजी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग उचित तरीके से करे। यदि न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करते हैं, तो हम विनाश के मार्ग बढ़ जाएंगे। कानून का यह प्रस्ताव माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा अर्नब मनोरंजन गोस्वामी बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य के मामले में हाल ही में निर्धारित किया गया है।"

हाईकोर्ट ने यह कहा कि सीआरपीसी की धारा 438 में निहित अग्रिम जमानत के प्रावधानों की संकल्पना भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत की गई है, जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है और इसकी एक उदार व्याख्या की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि कि अर्नब गोस्वामी को अंतरिम जमानत देते समय, ज‌स्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मौखिक रूप से निराशा व्यक्त की थी कि हाईकोर्ट जमानत याचिका पर उचित तरीके से विचार नहीं कर रहे हैं।

"हाईकोर्टों के लिए एक संदेश होना चाहिए- कृपया न‌िजी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करें। हम मामला-दर-मामला देख रहे हैं। न्यायालय क्षेत्राधिकार का प्रयोग करने में विफल हो रहे हैं।"

ज‌स्टिस चंद्रचूड़ ने गोस्वामी के मामले की सुनवाई के दौरान 11 नवंबर को मौखिक टिप्पणी की थी।

उन्होंने कहा था, "अगर हम एक संवैधानिक अदालत के रूप में कानून का निर्धारण नहीं करते हैं और स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करते हैं तो कौन करेगा?"

सुनवाई के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने गोस्वामी की रिहाई के लिए आदेश पारित किया था। अर्नब को महाराष्ट्र पुलिस ने 4 नवंबर को गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह बाद में एक विस्तृत फैसला सुनाएगी।

राकेश शेट्टी के चैनल ने बेंगलूरु प्राधिकरण के एक वर्क टेंडर को देने में मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कई रिपोर्टों का प्रसारण किया था। ‌र‌िपोर्ट्स रामलिंगम कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड के एक निदेशक चंद्रकांत रामलिंगम द्वारा लगाए गए आरोपों पर आधारित थीं।

बाद में, रामलिंगम ने बंगलुरू पुलिस के पास एक शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्हें शेट्टी द्वारा आरोप लगाने के लिए मजबूर किया गया था।

जमानत देते हुए, हाईकोर्ट ने माना कि शिकायतकर्ता के पिछले जीवन पर भी विचार किया जाना चाहिए।

हाईकोर्ट ने कहा, "यह सही है कि जमानत की अर्जी पर विचार करते समय अभियुक्तों की आत्मकथा और पूर्व जीवन को अवश्य देखा जाना चाहिए, लेकिन साथ ही शिकायतकर्ता की आत्मकथा और पूर्व जीवन को भी देखना होगा। अदालत को शिकायतकर्ता और अभियुक्त के मामले के तथ्यों को एक पैमाने पर रखना होगा और सच्चाई का पता लगाने के लिए तौलना होगा। शिकायतकर्ता जो न्यायालय के समक्ष है, वह भी साफ-सुथरा नहीं आया है और ऐसा प्रतीत होता है कि सब ठीक नहीं है। इस आलोक में, मैं इस विचार का पक्षधर हूं कि सत्य का पता लगाने के लिए निष्पक्ष जांच आवश्यक है।"

हाईकोर्ट ने कहा कि "कड़ी शर्तों" पर जमानत दी जा सकती है। अदालत ने अभियुक्त को जांच में सहयोग करने और 2 लाख रुपए का बांड प्रस्तुत करने के लिए कहा।

इससे पहले, हाईकोर्ट ने एफआईआर को रद्द करने के लिए उसकी रिट याचिका को खारिज कर दिया था। हालांकि, कोर्ट ने सिटी क्राइम ब्रांच (CCB) को निर्देश दिया था कि वह शेट्टी को उसकेसोशल मीडिया एकाउंट, यूट्यूब और फेसबुक एक्सेस करने के लिए दे।

न्यायालय ने शेट्टी को सीसीबी द्वारा जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, लैपटॉप और हार्ड डिस्क की वापसी की मांग करने की अनुमति भी दी थी

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