'राष्ट्र-विरोधी' समारोह: अवध बार एसोसिएशन की 125वीं वर्षगांठ के आयोजन के लिए धन आवंटन का विरोध
इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ पीठ) में जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें 2 नवंबर, 2025 को होने वाले अवध बार एसोसिएशन (OBA) के 125वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में प्रस्तावित कार्यक्रम के लिए अधिकारियों को कोई भी धनराशि आवंटित करने या हाईकोर्ट का सम्मेलन कक्ष आवंटित करने से रोकने का निर्देश देने की मांग की गई।
यह याचिका लखनऊ निवासी 63 वर्षीय वकील अशोक पांडे ने दायर की, जिसमें उन्होंने अधिकारियों (हाईकोर्ट प्रशासन सहित) को OBA के आयोजन को कोई भी वित्तीय या बुनियादी ढांचागत सहायता प्रदान न करने का आदेश देने हेतु परमादेश याचिका दायर करने का अनुरोध किया। याचिकाकर्ता ने इसे 'संविधान-विरोधी' और 'राष्ट्र-विरोधी' गतिविधि बताया।
अपनी विस्तृत याचिका में पांडे ने कहा कि अवध बार एसोसिएशन की स्थापना 1901 में तत्कालीन अवध मुख्य न्यायालय में वकालत करने वाले अंग्रेज वकीलों द्वारा की गई। उनके अनुसार, यह अंग्रेजों द्वारा गठित एक संस्था हैं, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश सरकार को हमारे देश की सत्ता पर कब्ज़ा करने में मदद करना है।
याचिका में दावा किया गया कि ऐसी संस्था की 125वीं वर्षगांठ मनाना एक राष्ट्र-विरोधी गतिविधि है।
याचिका में कहा गया,
"अंग्रेजों की विरासत का जश्न मनाना राष्ट्र-विरोधी और संविधान-विरोधी गतिविधि है, इसलिए इस कार्यक्रम के लिए न तो कोई धनराशि आवंटित की जानी चाहिए और न ही इस समारोह के आयोजन के लिए कोई स्थान आवंटित किया जाना चाहिए।"
पांडे का तर्क है कि स्वतंत्रता और संविधान के तहत 'उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट' के गठन के बाद यहां वकालत करने वाले वकीलों का यह कर्तव्य है कि वे इस हाईकोर्ट पीठ से जुड़ी एक नई संस्था का गठन करें।
इसके बजाय पांडे का तर्क है कि अवध बार एसोसिएशन नाम को जारी रखना बेहद अनुचित है।
उन्होंने आगे कहा कि वर्षों से उनके द्वारा पदाधिकारियों से एसोसिएशन के नाम में 'हाईकोर्ट' शब्द जोड़ने और 'अवध बार' शब्द हटाने का कई बार अनुरोध करने के बावजूद, कोई कार्रवाई नहीं की गई।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि हाईकोर्ट प्रशासन इस आयोजन के लिए धन आवंटित कर रहा है और कॉन्फ्रेंस हॉल आवंटित कर रहा है। इस आवंटन को 'बेहद अनुचित' बताते हुए उन्होंने दलील दी कि अवध बार एसोसिएशन को "अपना एजेंडा बदलना चाहिए। इसके बजाय न्यायपालिका के समक्ष समस्याओं पर एक सेमिनार आयोजित करना चाहिए"।
इन दलीलों की पृष्ठभूमि में याचिका में निम्नलिखित राहतों की मांग की गई:
1. संबंधित प्रतिवादियों को अवध बार एसोसिएशन नामक संस्था की 125वीं वर्षगांठ के आयोजन के लिए अवध बार एसोसिएशन को कोई धन आवंटित न करने और कॉन्फ्रेंस हॉल आवंटित न करने का निर्देश देने वाला एक परमादेश रिट।
2. कोई अन्य उपयुक्त रिट, आदेश या निर्देश जो माननीय न्यायालय मामले की परिस्थितियों और न्याय के हित में उचित और उचित समझे।
याचिका में आगे कहा गया कि मामले पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है, क्योंकि यदि 2 नवंबर, 2025 को निर्धारित कार्यक्रम से पहले इस पर निर्णय नहीं लिया गया तो यह निष्फल हो जाएगा, जहां हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और जजों के अलावा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (नामित) को भी आमंत्रित किया गया।