[1992 वचाथी अपराध] मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश सजा के खिलाफ अपील में निर्णय देने से पहले जनजातीय बस्ती का दौरा करेंगे

Update: 2023-02-28 07:40 GMT

मद्रास हाईकोर्ट ने 126 वन अधिकारियों, 84 पुलिस कर्मियों और पांच राजस्व अधिकारियों द्वारा 1992 में वचाथी में हुए विभिन्न अपराधों के लिए दोषी ठहराए जाने के खिलाफ अपील पर आदेश सुरक्षित रख लिया।

जस्टिस पी वेलमुरुगन ने अपीलों की सुनवाई करते हुए वकीलों को बताया कि वह अपना फैसला सुनाने से पहले 4 मार्च को गांव का दौरा करेंगे।

20 जून 1992 को, 155 वन कर्मियों, 108 पुलिसकर्मियों और छह राजस्व अधिकारियों की एक टीम वचाथी के आदिवासी बहुल गांव में तस्करी की गई चंदन की तलाश में पहुंची और वीरप्पन के बारे में जानकारी इकट्ठा की, जो कुख्यात भारतीय डाकू घरेलू आतंकवादी बन गया था।

यह आरोप लगाया गया कि तलाशी के बहाने अधिकारियों ने ग्रामीणों की संपत्ति को नष्ट किया, घरों को नष्ट किया, मवेशियों को मार डाला, ग्रामीणों पर हमला किया और यहां तक कि गांव की महिलाओं के साथ बलात्कार भी किया।

हालांकि सीपीआई (एम) ने शुरू में मामले को उठाने के लिए मद्रास हाईकोर्ट के समक्ष जनहित याचिका दायर की, अदालत ने यह कहते हुए इसे खारिज कर दिया कि सरकारी अधिकारी इस तरह के आचरण में शामिल नहीं होते। इसके बाद सीपीआई (एम) के राज्य सचिव ए नल्लासिवन ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका दायर की, जिसने हाईकोर्ट को मामले की जल्द से जल्द सुनवाई करने का निर्देश दिया।

बाद में हाईकोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए। मामले में कुल 269 अभियुक्तों में से 54 की सुनवाई के दौरान मौत हुई। शेष 126 वन कर्मियों में से 84 पुलिसकर्मी और 5 राजस्व अधिकारियों को दोषी ठहराया गया।

हालांकि राज्य द्वारा सीबीआई जांच के खिलाफ अपील दायर की गई, जिसे हाईकोर्ट की खंडपीठ ने खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कथित "तस्करी" के लिए ग्रामीणों के खिलाफ दायर आरोप पत्र को भी खारिज कर दिया।

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