राजदीप सरदेसाई के खिलाफ मानहानि मामले में शाज़िया इल्मी को आंशिक राहत, हाईकोर्ट ने ट्वीट्स छुपाने पर 25,000 का जुर्माना लगाया

Update: 2025-04-04 10:58 GMT
राजदीप सरदेसाई के खिलाफ मानहानि मामले में शाज़िया इल्मी को आंशिक राहत, हाईकोर्ट ने ट्वीट्स छुपाने पर 25,000 का जुर्माना लगाया

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता शाज़िया इल्मी को पत्रकार राजदीप सरदेसाई के खिलाफ मानहानि मामले में आंशिक राहत दी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि सरदेसाई ने 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें दावा किया गया कि इल्मी ने इंडिया टुडे के एक वीडियो जर्नलिस्ट के साथ बदसलूकी की।

जस्टिस मनीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने हालांकि इल्मी पर 25,000 का जुर्माना लगाया, क्योंकि उन्होंने जानबूझकर अपने दो ट्वीट्स को छुपाया, जो उसी बातचीत के थ्रेड का हिस्सा थे, जिसमें सरदेसाई का ट्वीट भी था।

कोर्ट ने कहा,

“अगर कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर मानहानि का दावा करता है तो उसे पूरी बातचीत (conversation thread) कोर्ट के सामने पेश करनी होगी, जिसमें उसके अपने ट्वीट्स/टिप्पणियां भी शामिल हों।”

हालांकि, कोर्ट ने माना कि उस वीडियो का हिस्सा जिसमें इल्मी डिबेट से खुद को हटाकर कैमरे से बाहर जाती हैं, उसे प्रकाशित करना उनकी निजता के अधिकार का उल्लंघन था।

कोर्ट ने कहा कि इल्मी की स्पष्ट सहमति के बिना उस वीडियो को रिकॉर्ड करना और प्रसारित करना गलत था।

कोर्ट ने पिछले वर्ष अगस्त में पारित आदेश को बरकरार रखा जिसमें सरदेसाई को वीडियो हटाने का निर्देश दिया गया था जब तक कि मुकदमा निपट नहीं जाता।

विवाद की पृष्ठभूमि:

इल्मी ने टेलीविज़न डिबेट में भाग लिया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि जानबूझकर उनका माइक बंद कर दिया गया, जिससे उन्हें बोलने से रोका जा सके।

बाद में सरदेसाई ने एक वीडियो ट्वीट किया और दावा किया कि इल्मी ने माइक फेंक दिया और वीडियो जर्नलिस्ट को अपने घर से निकाल दिया।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सरदेसाई अपने ट्वीट के पहले हिस्से को बनाए रख सकते हैं, क्योंकि उस पर इल्मी ने आपत्ति नहीं जताई। लेकिन माइक फेंकना और घर से बाहर निकालना जैसे बयान सही तथ्यों पर आधारित नहीं हैं और इन्हें हटाना होगा।

कोर्ट ने माना कि सरदेसाई द्वारा किए गए गाली देना और गलत बर्ताव का कोई बहाना नहीं है जैसे कमेंट्स वीडियो में दर्शाए गए तथ्यों से मेल खाते हैं और इसलिए वे बनाए रखे जा सकते हैं।

कोर्ट ने यह भी कहा कि इल्मी का यह आरोप कि वीडियो से छेड़छाड़ की गई, प्रथम दृष्टया सिद्ध नहीं हुआ। उन्होंने ऐसा कोई प्रमाण नहीं दिया जिससे साबित हो कि वीडियो फर्जी है।

प्राइवेसी पर टिप्पणी

कोर्ट ने कहा कि यदि इल्मी चाहती थीं कि माइक हटाने का दृश्य रिकॉर्ड न हो तो उन्हें पहले रिकॉर्डिंग बंद करवानी चाहिए थी। लेकिन उन्होंने खुद लाइव डिबेट से हटते हुए कैमरे के सामने माइक उतारा और फ्रेम से बाहर चली गईं, जो राष्ट्रीय टीवी पर दिखाया गया।

हालांकि कोर्ट ने माना कि एक बार कैमरे से बाहर जाने के बाद वह अपने घर के निजी माहौल में थीं। उन्हें यह उम्मीद थी कि बिना उनकी अनुमति के उन्हें सार्वजनिक रूप से नहीं दिखाया जाएगा। इसलिए उस वीडियो हिस्से को हटाना उचित है।

कोर्ट ने आगे कहा कि माइक फेंकना और घर से बाहर निकालना जैसे वाक्य सरदेसाई द्वारा एक सनसनीखेज नैरेटिव बनाने की कोशिश थी, खासकर जब वह एक प्रतिष्ठित पत्रकार हैं और उनके फॉलोअर्स की संख्या बहुत अधिक है।

इसके साथ ही कोर्ट ने चार समाचार वेबसाइटों को भी निर्देश दिया कि वे वीडियो और उस पर आधारित लेखों को अपने प्लेटफॉर्म से हटा दें।

टाइटल: शाज़िया इल्मी बनाम राजदीप सरदेसाई व अन्य

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