सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Update: 2022-07-03 06:30 GMT

सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (27 जून, 2022 से 1 जुलाई, 2022) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

"देश में जो हो रहा है उसके लिए नूपुर शर्मा अकेली जिम्मेदार हैं": पैगंबर मोहम्मद पर उनकी टिप्पणियों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पैगंबर मोहम्मद पर कथित टिप्पणी के मामले में नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) ने कई राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज दर्जनों एफआईआर (FIR) की जांच के लिए दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए नूपुर शर्मा को फटकार लगाई।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अवकाश पीठ ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर एक विशेष धार्मिक समुदाय के संस्थापक के खिलाफ ''अपमान करने वाले'' बयान देने के लिए भाजपा के पूर्व प्रवक्ता की आलोचना की।

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'टीवी चैनल ने कोर्ट में विचाराधीन मुद्दे पर डिबेट क्यों की? केवल एजेंडा को बढ़ावा देने के लिए': नूपुर शर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा

पैगंबर मोहम्मद पर कथित टिप्पणी के मामले में नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) ने कई राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज दर्जनों एफआईआर (FIR) की जांच के लिए दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पूछा कि टीवी चैनल ने कोर्ट में विचाराधीन (Sub Judice) मुद्दे पर डिबेट क्यों की।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने पूछा, "टीवी चैनल को इस मामले पर डिबेट करने की क्या जरूरत थी? केवल एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए।"

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कालकाजी मंदिर: सुप्रीम कोर्ट ने अनधिकृत कब्जाधारियों को परिसर खाली करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को शहर के कालकाजी मंदिर (Kalkaji Temple) में धर्मशालाओं के कुछ अनधिकृत निवासियों को परिसर खाली करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया है।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अवकाश पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के 01 जून के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें शहर के कालकाजी मंदिर में पुजारियों और अनधिकृत लोगों को 06 जून तक परिसर खाली करने का निर्देश दिया गया था।

केस टाइटल: राम स्वार्थ सिंह एंड अन्य बनाम नीता भारद्वाज एंड अन्य | एसएलपी (सी) नंबर 11140-11141 ऑफ 2022

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"प्रक्रिया का दुरुपयोग, तुच्छ याचिका" : सुप्रीम कोर्ट ने वादी पर 5 लाख के जुर्माने को बरकरार रखा

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा कि "भारतीय न्यायिक प्रणाली कैसे तुच्छ मुकदमेबाजी से पीड़ित है" और कैसे "वादियों का एक नया पंथ पैदा हुआ है जिसमें सच्चाई के लिए कोई सम्मान नहीं है", सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बॉम्बे हाई कोर्ट का 78 साल की एक महिला पर "कानून की प्रक्रिया के साथ-साथ अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के उसके लगातार प्रयास" को देखते हुए 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाना "बिल्कुल उचित" था।

केस: चारु किशोर मेहता बनाम प्रकाश पटेल एवं अन्य।

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मुंसिफों के लिए वरिष्ठता उनके चयन के समय परस्पर योग्यता के आधार पर निर्धारित हो ना कि रोस्टर अंकों पर : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा कि राज्य लोक सेवा आयोग की सिफारिश पर सीधी भर्ती के माध्यम से नियुक्त मुंसिफों के लिए वरिष्ठता उनके चयन के समय परस्पर योग्यता के आधार पर निर्धारित की जाएगी ना कि रोस्टर अंकों पर।

हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा- "हाईकोर्ट ने तय सिद्धांतों पर भरोसा करते हुए आक्षेपित निर्णय के माध्यम से फैसला सुनाया है कि ऐसी वरिष्ठता योग्यता के आधार पर निर्धारित की जानी चाहिए, जिस पर लोक सेवा आयोग द्वारा उम्मीदवारों का चयन किया गया था क्योंकि रोस्टर अंक वरिष्ठता प्रदान करने के लिए नहीं हैं। हमारे विचार में हाईकोर्ट ने तयशुदा कानून का सही पालन किया है।"

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नियमित सुनवाई के मामलों में किसी भी वकील के पेश नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट की अवकाश पीठ 30 मिनट में उठी

सुप्रीम कोर्ट की अवकाश पीठ को सोमवार को 30 मिनट के भीतर उठना पड़ा, क्योंकि उसके सामने सूचीबद्ध सभी नियमित सुनवाई के मामलों में किसी भी वकील के पेश न होने पर उन्हें स्थगित कर दिया गया।

उल्लेखनीय है कि बेंच ने पहले 30 मिनट (आइटम नंबर 1-10) में नए मामलों की सुनवाई पहले ही कर ली थी। जिन मामलों को वकीलों के पेश न होने के कारण नहीं लिया जा सका, वे नियमित सुनवाई के मामले (आइटम संख्या 101-105) थे, जो 2014-2015 से पहले के हैं।

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सामान्य कानून और व्यवस्था स्थिति में निवारक हिरासत कानून का आह्वान नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

इस बात पर जोर देते हुए कि निवारक हिरासत कानून "किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वाधीनता पर कड़ा प्रहार करता है, और इसे नियमित तरीके से प्रयोग नहीं किया जा सकता", सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि "इस कानून के तहत प्रयोग की जाने वाली शक्तियां असाधारण शक्तियां हैं जिन्हें सरकार को एक असाधारण स्थिति में अभ्यास के लिए दिया गया है।

"न्यायालय ने एक बार फिर इस अंतर को उजागर किया है कि जहां कानून और व्यवस्था की स्थिति से भूमि के सामान्य कानून के तहत निपटा जा सकता है, वहीं सार्वजनिक व्यवस्था की स्थिति होने पर ही निवारक हिरासत के कानून के तहत शक्तियों का आह्वान उचित है , इसकी अनुपस्थिति में निवारक हिरासत खराब होगी और संविधान के अनुच्छेद 21 और 22 का उल्लंघन होगी क्योंकि यह किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वाधीनता पर अतिक्रमण करती है।

केस: शेख नाज़नीन बनाम तेलंगाना राज्य और अन्य।

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