कालकाजी मंदिर: सुप्रीम कोर्ट ने अनधिकृत कब्जाधारियों को परिसर खाली करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया

Brij Nandan

29 Jun 2022 2:23 AM GMT

  • कालकाजी मंदिर: सुप्रीम कोर्ट ने अनधिकृत कब्जाधारियों को परिसर खाली करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को शहर के कालकाजी मंदिर (Kalkaji Temple) में धर्मशालाओं के कुछ अनधिकृत निवासियों को परिसर खाली करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया है।

    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अवकाश पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के 01 जून के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें शहर के कालकाजी मंदिर में पुजारियों और अनधिकृत लोगों को 06 जून तक परिसर खाली करने का निर्देश दिया गया था।

    शीर्ष अदालत ने रहने वालों को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासक के समक्ष एक हलफनामा दाखिल करने के लिए भी कहा कि वे एक शांतिपूर्ण खाली कब्जा सौंप देंगे।

    सुनवाई में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सचिन पाटिल ने कहा कि जस्टिस बोपन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 13 जून को मंदिर के पुनर्विकास के लिए पुजारी की बेदखली पर रोक लगा दी थी।

    दूसरी ओर, मंदिर प्रशासक के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता अवैध कब्जेदार हैं और वे न तो बारिदार हैं और न ही भक्त।

    5 मार्च के उस आदेश का उल्लेख करते हुए जिसके द्वारा शीर्ष अदालत ने मंदिर में अनधिकृत कब्जाधारियों को बेदखल करने को चुनौती देने वाली याचिका में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था, पीठ के पीठासीन जज जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बोपन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंदिर के वकील से पूछा कि क्या उन्होंने इसे नोटिस में लाया था।

    यह तर्क देते हुए कि 13 जून के आदेश ने केवल पुजारी को सुरक्षा दिया था, मंदिर के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता पुजारी नहीं है और सिर्फ धर्मशाला पर कब्जा कर रहे हैं।

    वकील की दलीलों पर विचार करते हुए पीठ ने एसएलपी को खारिज कर दिया, लेकिन अनधिकृत रहने वालों को परिसर खाली करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया।

    तदनुसार, पीठ ने अपने आदेश में कहा,

    "हम संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत विशेष अनुमति याचिकाओं पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। उसी के अनुसार, खारिज कर दिया जाता है।

    हालांकि, हम याचिकाकर्ताओं को पुनर्वास के लिए वैकल्पिक स्थानों के आवंटन सहित अपनी शिकायतों के साथ हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासक से संपर्क करने की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं।

    आगे कहा कि हमारे पास संदेह करने का कोई कारण नहीं है कि प्रशासक ऐसे दावों की कानून और नीति के अनुसार जांच करेगा।

    कोर्ट ने आदेश में कहा,

    "यदि याचिकाकर्ता शांतिपूर्ण खाली कब्जे को सौंपने के लिए प्रशासक के समक्ष अंडरटेकिंग दाखिल करते हैं, तो उन्हें दो सप्ताह की अवधि के लिए कब्जा बनाए रखने की अनुमति दी जाएगी।"

    केस टाइटल: राम स्वार्थ सिंह एंड अन्य बनाम नीता भारद्वाज एंड अन्य | एसएलपी (सी) नंबर 11140-11141 ऑफ 2022

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें:



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