इलाहाबाद हाईकोट

ई-वे बिल में टाइपो गलती, टैक्स चोरी का इरादा नहीं तो जुर्माना नहीं लगाया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
ई-वे बिल में टाइपो गलती, टैक्स चोरी का इरादा नहीं तो जुर्माना नहीं लगाया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाइकोर्ट ने माना कि टैक्स चोरी के इरादे को स्थापित करने वाली किसी अन्य सामग्री के बिना ई-वे बिल में मामूली टाइपोग्राफ़िकल गलती पर माल और सेवा कर अधिनियम 2017 (Goods and services Tax 2017) की धारा 129 के तहत जुर्माना नहीं लगाया जाएगा।इलाहाबाद हाइकोर्ट के वरुण बेवरेजेज लिमिटेड बनाम यूपी राज्य 2 अन्य का हवाला देते हुए और साथ ही सहायक आयुक्त (एसटी) और अन्य बनाम सत्यम शिवम पेपर्स प्रा. लिमिटेड के निर्णय पर भरोसा करते हुए जस्टिस शेखर बी. सराफ ने ऐसा माना,“निर्णयों को पढ़ने पर, जो सिद्धांत...

इलाहाबाद हाईकोर्ट सरकारी वकीलों की सहायता करने में बुरी विफलता से नाखुश
इलाहाबाद हाईकोर्ट सरकारी वकीलों की सहायता करने में 'बुरी विफलता' से नाखुश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी वकीलों से अपर्याप्त कानूनी सहायता के बारे में चिंता जताते हुए हाल ही में प्रमुख सचिव (कानून और अनुस्मारक) और एडवोकेट जनरल से राय मांगी कि वे इस मुद्दे को कैसे संबोधित करना चाहते हैं।जस्टिस अब्दुल मोईन की पीठ ने चुनाव याचिका में उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम, 1947 की धारा 12-सी के तहत निर्धारित प्राधिकारी द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने के लिए दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।मामले में सुनवाई के दौरान, जब याचिकाकर्ता के वकील द्वारा कानूनी तर्क...

आईपीसी की धारा 174-ए के तहत अपराध केवल संबंधित न्यायालय की लिखित शिकायत के आधार पर संज्ञेय; पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर सकती: इलाहाबाद हाईकोर्ट
आईपीसी की धारा 174-ए के तहत अपराध केवल संबंधित न्यायालय की लिखित शिकायत के आधार पर संज्ञेय; पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर सकती: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना है कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 174ए के तहत किसी अपराध का संज्ञान केवल संबंधित न्यायालय की लिखित शिकायत पर ही लिया जा सकता है। पुलिस के पास ऐसे मामले में एफआईआर दर्ज करने की कोई शक्ति नहीं है।आईपीसी की धारा 174ए का उल्लेख किया गया, जिसे 2005 में पेश किया गया था। उक्त धारा निर्दिष्ट स्थान और समय पर घोषित अपराधियों की गैर-उपस्थिति को अपराध मानती है।हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार, आईपीसी की धारा 174ए के तहत अपराध का संज्ञान केवल अदालत की लिखित शिकायत के आधार पर लिया...

समाज में गुस्सा पैदा होना तय है: इलाहाबाद हाइकोर्ट ने रामचरितमानस जलाने के आरोपी दो लोगों की एनएसए हिरासत को रखा बरकरार
समाज में गुस्सा पैदा होना तय है: इलाहाबाद हाइकोर्ट ने 'रामचरितमानस' जलाने के आरोपी दो लोगों की एनएसए हिरासत को रखा बरकरार

इलाहाबाद हाइकोर्ट ने पिछले हफ्ते हिंदू महाकाव्य रामचरितमानस की प्रतियां जलाने और पाठ का अपमान करने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत उनकी हिरासत को चुनौती देने वाली दो व्यक्तियों द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दी है।अपने आदेश में, जस्टिस संगीता चंद्रा और जस्टिस नरेंद्र कुमार जौहरी की खंडपीठ ने कहा कि दिन के उजाले में बहुसंख्यक समुदाय के पवित्र ग्रंथ माने जाने वाले रामचरितमानस के प्रति अनादर का सार्वजनिक प्रदर्शन से समाज मे गुस्सा और भावनाओं को भड़काने की संभावना है।हाइकोर्ट ने...

केवल अधिक कीमत मिलने की उम्मीद पर वैध नीलामी रद्द नहीं की जा सकती: इलाहाबाद हाइकोर्ट
केवल अधिक कीमत मिलने की उम्मीद पर वैध नीलामी रद्द नहीं की जा सकती: इलाहाबाद हाइकोर्ट

इलाहाबाद हाइकोर्ट ने ईवा एग्रो फीड्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम पंजाब नेशनल बैंक और अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए कहा कि केवल उच्च प्रस्ताव प्राप्त करने की संभावना पर नई नीलामी नहीं की जा सकती है। जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस सैयद कमर हसन रिज़वी की खंडपीठ ने उच्च आरक्षित मूल्य पर नई नीलामी के लिए कंपनी न्यायाधीश के आदेश को रद्द करते हुए कहा,“वर्तमान मामले में यह विवाद में नहीं है कि नीलामी नोटिस को व्यापक रूप से प्रकाशित किया गया। कोई भी कंपनी न्यायाधीश के पास यह...

आपराधिक पृष्ठभूमि के कारण किसी नागरिक का कैरेक्टर सर्टिफिकेट रद्द करने से पहले उसे सुनवाई का अवसर देना आवश्यक: इलाहाबाद हाईकोर्ट
आपराधिक पृष्ठभूमि के कारण किसी नागरिक का कैरेक्टर सर्टिफिकेट रद्द करने से पहले उसे सुनवाई का अवसर देना आवश्यक: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि आपराधिक पृष्ठभूमि के कारण कैरेक्टर सर्टिफिकेट रद्द होने की संभावना का सामना करने वाले व्यक्तियों को कारण बताओ या सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए।जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस मंजीव शुक्ला की खंडपीठ ने ऐसे मामलों में उचित प्रक्रिया और निष्पक्ष व्यवहार के महत्व पर जोर देते हुए 10 अप्रैल, 2023 के सरकारी आदेश के खंड -4 को पढ़ा, जिससे उसमें (निहित आधार पर) यह शामिल किया जा सके कि कैरेक्टर सर्टिफिकेट आपराधिक मामले के रजिस्ट्रेशन/लंबित होने की सूचना प्राप्त होने की...

UP Victim Compensation Scheme 2014 | बलात्कार पीड़ितों के लिए मुआवजे की पात्रता/मात्रा DLSA तय करेगी, अदालत नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
UP Victim Compensation Scheme 2014 | बलात्कार पीड़ितों के लिए मुआवजे की पात्रता/मात्रा DLSA तय करेगी, अदालत नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पीड़ित मुआवजा योजना 2014 (UP Victim Compensation Scheme 2014) के तहत मुआवजे की मांग कर रही बलात्कार पीड़िता को जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (DLSA) से संपर्क करने को कहा।जस्टिस ज्योत्सना शर्मा ने बलात्कार पीड़ितों के लिए मुआवज़े का दावा करने की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए कहा,“मुआवजा देने और उसकी मात्रा के लिए पीड़िता की 'पात्रता' केवल DLSA द्वारा तय की जा सकती है। संबंधित अदालत केवल 'सिफारिश' ही कर सकती है। यह DLSA के अधिकार क्षेत्र में आता है। यह तय करने के लिए...

धर्म परिवर्तन रैकेट| इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोपी व्यक्ति को जमानत दे दी
धर्म परिवर्तन 'रैकेट'| इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोपी व्यक्ति को जमानत दे दी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते इस्लामिक स्कॉलर मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी जमानत दे दी, जिन्हें जून 2021 में उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद-रोधी दस्ते ने राज्य में बड़े पैमाने पर 1000 से अधिक लोगों का धर्म परिवर्तन करने का रैकेट चलाने की साजिश रचने और इसमें सहायता करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव-I की खंडपीठ ने उन्हें यह कहते हुए राहत दी कि एक ही मामले में 12 आरोपियों को जमानत दी गई, जिनमें से कई की भूमिका अपीलकर्ता और दो की समान है। उक्त...

14 मामलों में आपराधी व्यक्ति ने हासिल किया लॉ प्रैक्टिस का लाइसेंस: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी बार काउंसिल को सख्त दिशा-निर्देश तैयार करने को कहा
14 मामलों में आपराधी व्यक्ति ने हासिल किया लॉ प्रैक्टिस का लाइसेंस: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी बार काउंसिल को सख्त दिशा-निर्देश तैयार करने को कहा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को लॉ प्रैक्टिस करने के लाइसेंस के लिए सभी नए और लंबित आवेदनों के संबंध में पुलिस रिपोर्ट मांगने का निर्देश दिया।जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने राज्य सरकार और बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को निर्देश दिया कि वे आवश्यक निर्देश जारी करें। साथ ही यह सुनिश्चित करें कि लाइसेंस जारी करने के लिए सभी लंबित और नए आवेदनों के बारे में संबंधित पुलिस स्टेशनों से उचित पुलिस रिपोर्ट मांगी जाए। जैसा कि पासपोर्ट जारी करने के लिए किया जा...

राजस्व हमेशा समान नहीं रह सकता, हर चरण में लक्ष्य बदलते रहें: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डिटेंशन ऑर्डर रद्द किया
राजस्व हमेशा समान नहीं रह सकता, हर चरण में लक्ष्य बदलते रहें: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डिटेंशन ऑर्डर रद्द किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि डिटेंशन ऑर्डर में राजस्व द्वारा अपनाए गए रुख को माल की समान हिरासत से उत्पन्न होने वाली कार्यवाही में बाद के कारण बताओ नोटिस में नहीं बदला जा सकता।जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस शेखर बी. सराफ की खंडपीठ ने डिटेंशन ऑर्डर और परिणामी कार्यवाही रद्द करते हुए कहा,“यह घिसा-पिटा कानून है, जिसे सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के आधार पर तय किया गया कि राजस्व इधर-उधर नहीं घूम सकता और प्रत्येक चरण में लक्ष्य बदलता नहीं रह सकता। एक बार जब राजस्व ने विशेष रुख अपना लिया तो उसे पूरी...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजतक के चेयरमैन अरुण पुरी के खिलाफ पूर्व जिला जज द्वारा दायर मानहानि का मामला खारिज किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजतक के चेयरमैन अरुण पुरी के खिलाफ पूर्व जिला जज द्वारा दायर मानहानि का मामला खारिज किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में टीवी टुडे नेटवर्क लिमिटेड के चैयरमैन और डायरेक्टर अरुण पुरी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला खारिज कर दिया। यह मामला उत्तर प्रदेश के पूर्व जिला जज द्वारा नाबालिग से रेप मामले में यूपी के तत्कालीन मंत्री गायत्री प्रजापति को जमानत अनुदान देने के संबंध में आजतक/इंडिया टुडे द्वारा प्रकाशित 2017 के लेख से संबंधित दायर किया गया था।मानहानि की शिकायत नवंबर 2017 में राजेंद्र सिंह (पूर्व जिला न्यायाधीश, लखनऊ) द्वारा दायर की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया कि टीवी टुडे नेटवर्क...

क्रूरता साबित होने पर तलाक लेने की कार्रवाई का कारण बनता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
क्रूरता साबित होने पर तलाक लेने की कार्रवाई का कारण बनता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि एक बार क्रूरता साबित होने पर तलाक लेने की कार्रवाई का कारण बनता है। कोर्ट ने कहा कि क्रूरता के मामलों में अदालत को वैवाहिक रिश्ते को बहाल करने का आदेश पारित करने से पहले अन्य परिस्थितियों पर भी गौर करना चाहिए।जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस शिव शंकर प्रसाद की पीठ ने फैसला सुनाया,“एक बार जब क्रूरता पाई जाती है तो तलाक लेने की कार्रवाई का कारण बनता है। उसके बाद पक्षकारों किस प्रकार आचरण करेंगी, यह प्रासंगिक कारक बना रह सकता है। फिर भी कानून का कोई नियम उत्पन्न नहीं...

हम 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की बात कर रहे हैं लेकिन उचित दाह संस्कार सुविधाएं देने में असमर्थ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से ठोस कदम उठाने को कहा
'हम 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की बात कर रहे हैं लेकिन उचित दाह संस्कार सुविधाएं देने में असमर्थ': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से ठोस कदम उठाने को कहा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य भर में दाह संस्कार स्थल के बुनियादी ढांचे के विकास में सुस्त गति को ध्यान में रखते हुए हाल ही में राज्य सरकार को इस संबंध में ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया।जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने जनसांख्यिकीय विस्तार की तुलना में आवश्यक सेवाओं के अपर्याप्त प्रावधान के बारे में चिंताओं को रेखांकित किया।इसके साथ ही खंडपीठ ने कहा कि श्मशान स्थल का बुनियादी ढांचा लगातार जनसंख्या वृद्धि के अनुरूप नहीं है।खंडपीठ ने टिप्पणी की,“जनसंख्या दिन-ब-दिन बढ़ती...

संस्था 60 स्टूडेंट को एडमिशन देने से पहले औपचारिकताएं पूरी करने में विफल रही: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया
'संस्था 60 स्टूडेंट को एडमिशन देने से पहले औपचारिकताएं पूरी करने में विफल रही': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आवश्यकतानुसार औपचारिकताएं पूरी किए बिना अतिरिक्त अनुभाग में 60 स्टूडेंट को एडमिशन देने के लिए सी/एम श्रीमती विमला देवी महाविद्यालय भमई (C/M Smt. Vimala Devi Mahavidyalay Bhamai) पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।जस्टिस पीयूष अग्रवाल की पीठ ने यह टिप्पणी की,“प्रतिवादी नंबर 2 के अंतिम निर्देश के बाद से पता चलता है कि अतिरिक्त अनुभाग में 60 स्टूडेंट का एडमिशन लेने से पहले याचिकाकर्ता-संस्थान द्वारा कुछ औपचारिकताएं पूरी नहीं की गई, याचिकाकर्ता को 19.12.2023 को या उससे...

एक बार कार्यवाही की शुरुआत कानून की नजर में खराब होने पर सभी परिणामी कार्यवाही विफल हो जाएंगी: इलाहाबाद हाईकोर्ट
एक बार कार्यवाही की शुरुआत कानून की नजर में खराब होने पर सभी परिणामी कार्यवाही विफल हो जाएंगी: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि एक बार कार्यवाही की शुरुआत कानून की नजर में खराब होने पर सभी परिणामी कार्यवाही विफल हो जाएंगी।जस्टिस पीयूष अग्रवाल ने एक्साइज एक्ट के तहत कारण बताओ नोटिस के बिना वसूली से निपटते हुए कहा,"एक बार जब कार्यवाही की शुरुआत ही ख़राब हो जाती है तो परिणामी कार्यवाही स्वतः ही कानून की नज़र में विफल हो जाती है।"एक्साइज अधिकारियों द्वारा सीएल-2/थोक आपूर्तिकर्ताओं से कुछ नमूने लिए गए, जो याचिकाकर्ता के नियंत्रण में नहीं, बल्कि किसी अन्य संस्था के नियंत्रण में है। यानी, एक्साइज...