ई-वे बिल में टाइपो गलती, टैक्स चोरी का इरादा नहीं तो जुर्माना नहीं लगाया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Amir Ahmad

9 Jan 2024 10:49 AM GMT

  • ई-वे बिल में टाइपो गलती, टैक्स चोरी का इरादा नहीं तो जुर्माना नहीं लगाया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाइकोर्ट ने माना कि टैक्स चोरी के इरादे को स्थापित करने वाली किसी अन्य सामग्री के बिना ई-वे बिल में मामूली टाइपोग्राफ़िकल गलती पर माल और सेवा कर अधिनियम 2017 (Goods and services Tax 2017) की धारा 129 के तहत जुर्माना नहीं लगाया जाएगा।

    इलाहाबाद हाइकोर्ट के वरुण बेवरेजेज लिमिटेड बनाम यूपी राज्य 2 अन्य का हवाला देते हुए और साथ ही सहायक आयुक्त (एसटी) और अन्य बनाम सत्यम शिवम पेपर्स प्रा. लिमिटेड के निर्णय पर भरोसा करते हुए जस्टिस शेखर बी. सराफ ने ऐसा माना,

    “निर्णयों को पढ़ने पर, जो सिद्धांत उभरता है, वह यह है कि टैक्स चोरी के लिए आपराधिक कारण की उपस्थिति जुर्माना लगाने के लिए अनिवार्य शर्त है। टैक्स चोरी के इरादे को साबित करने के लिए बिना किसी अतिरिक्त सामग्री के ई-वे बिल में टाइपोग्राफ़िकल गलती के कारण जुर्माना नहीं लगाया जाना चाहिए और न ही लगाया जा सकता है।”

    पूरा मामला

    याचिकाकर्ता कॉस्मेटिक्स प्रसाधनों का विधिवत रजिस्टर्ड डीलर है। जब माल रोका गया तो याचिकाकर्ता झारखंड में अन्य रजिस्टर्ड डीलर को कॉस्मेटिक्स प्रसाधन की आपूर्ति कर रहा है। यह तर्क दिया गया कि लेनदेन टैक्स चालान, बिल्टी और ई-वे बिल द्वारा विधिवत कवर किया गया। ई-वे बिल के भाग बी में वाहन नंबर गलत होने के कारण जब्ती आदेश पारित किया गया, क्योंकि ई-वे बिल में डीएल 1 एए 5332 के बजाय वाहन नंबर डीएल 1 एए 3552 दिखाया गया। जुर्माना भी सिर्फ इस आधार पर लगाया गया कि गाड़ी का नंबर सही से अंकित नहीं था।

    याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता की ओर से टैक्स चोरी करने के इरादे का कोई आरोप नहीं है, क्योंकि ई-वे बिल और टैक्स चालान मेल खा रहे हैं। याचिकर्ता रजिस्टर्ड डीलर है। यह तर्क दिया गया कि ई-वे बिल में वाहन नंबर के संबंध में एक टाइपोग्राफिक गलती थी और उसी गलती को लागू आदेश में भी इंगित किया गया।

    अपने तर्कों के समर्थन में याचिकाकर्ता के वकील ने इलाहाबाद हाइकोर्ट के वरुण बेवरेजेज लिमिटेड बनाम यूपी राज्य और 2 अन्य तथा सुप्रीम कोर्ट का सहायक आयुक्त (एसटी) और अन्य बनाम सत्यम शिवम पेपर्स प्रा.लिमिटेड और अन्य का हवाला दिया।

    प्रतिवादी के वकील ने एक परिपत्र पर भरोसा करते हुए तर्क दिया कि विभाग ने उन मामलों में जुर्माना नहीं लगाने की अनुमति दी, जहां वाहन नंबर में दो अंकों की गलती है। इससे आगे नहीं। वरुण बेवरेजेज लिमिटेड को इस आधार पर अलग किया गया कि यह स्टॉक ट्रांसफर का मामला था और उस मामले में किसी भी कर देनदारी का कोई सवाल ही नहीं था।

    हाईकोर्ट का फैसला

    अदालत ने पाया कि यद्यपि सर्कुलर में दिए गए दो अंकों के विपरीत तीन अंकों की गलती है, "कानून को शून्य में नहीं रहना चाहिए और उचित मामलों में समान रूप से लागू किया जाना चाहिए।"

    अदालत ने माना कि तक चोरी का जुर्माना लगाने के लिए अनिवार्य शर्त है। अदालत ने माना कि टैक्स चोरी के इरादे को स्थापित करने वाली किसी अन्य सामग्री के बिना केवल ई-वे बिल में टाइपोग्राफ़िकल गलती के आधार पर जुर्माना नहीं लगाया जा सकता है।

    अदालत ने माना कि '5332' की जगह '3552' का उल्लेख करना स्पष्ट छापने में गलती है, जो दिखने में छोटी है और अधिनियम की धारा 129 के तहत दंड का हकदार नहीं है।

    अदालत ने कहा,

    “कुछ मामलों में, जहां डीलरों द्वारा की गई चूक बड़ी है, यह माना जा सकता है कि टैक्स चोरी का इरादा है, लेकिन हर मामले में ऐसा नहीं है। आमतौर पर इस विशेष मामले में पाई गई एक छोटी सी गलती है तो मेरा विचार है कि एक्ट की धारा 129 के तहत जुर्माना लगाना अधिकार क्षेत्र के बिना है और कानून में अवैध है।”

    तदनुसार, रिट याचिका की अनुमति दी गई।

    केस टाइटल- हिंदुस्तान हर्बल कॉस्मेटिक्स बनाम यूपी राज्य और 2 अन्य

    केस साइटेशन- लाइव लॉ (एबी) 9 2024

    याचिकाकर्ता के वकील- शुभम अग्रवाल

    प्रतिवादी के वकील- रविशंकर पांडे

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