धर्म परिवर्तन 'रैकेट'| इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोपी व्यक्ति को जमानत दे दी

Shahadat

30 Dec 2023 5:22 AM GMT

  • धर्म परिवर्तन रैकेट| इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोपी व्यक्ति को जमानत दे दी

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते इस्लामिक स्कॉलर मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी जमानत दे दी, जिन्हें जून 2021 में उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद-रोधी दस्ते ने राज्य में बड़े पैमाने पर 1000 से अधिक लोगों का धर्म परिवर्तन करने का रैकेट चलाने की साजिश रचने और इसमें सहायता करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।

    जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव-I की खंडपीठ ने उन्हें यह कहते हुए राहत दी कि एक ही मामले में 12 आरोपियों को जमानत दी गई, जिनमें से कई की भूमिका अपीलकर्ता और दो की समान है। उक्त आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है।

    बेंच ने इसी बेंच द्वारा अगस्त, 2023 में मोहम्मद उमर गौतम को दिए गए इसी तरह के फैसले पर भी गौर किया।

    कासमी ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, 2008 की धारा 21(4) के तहत आपराधिक अपील दायर करके विशेष न्यायाधीश (एनआईए/एटीएस), लखनऊ द्वारा दूसरे जमानत आवेदन में पारित अक्टूबर, 2023 के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था, जिसे अस्वीकार कर दिया।

    कासमी पर आईपीसी की धारा 417, 120-बी, 153-ए, 153-बी, 295-ए, 298, 121-ए, 123 और यूपी गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2021 की धारा 3/5/8 के तहत मामला दर्ज किया गया।

    लखनऊ की एनआईए कोर्ट ने इस प्रकार देखते हुए जमानत देने से इनकार किया,

    ''...भारत में कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी से किसी भी धर्म का पालन करने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन किसी भी व्यक्ति को किसी अन्य धर्म के व्यक्ति को अपमानित करने या किसी एक धर्म के संबंध में नफरत और ईर्ष्या आदि पैदा करने के लिए कोई गैरकानूनी काम करने का अधिकार नहीं है। दूसरे धर्म के अनुयायियों के लिए यह भारतीय संविधान की मंशा के विपरीत है। इस प्रकार के कार्य को प्रतिबंधित किया गया।"

    अपने आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी की पहली जमानत अर्जी खारिज होने के बाद हाईकोर्ट के समक्ष अपील की गई, जिसे खारिज कर दिया गया और मामले को आगे नहीं बढ़ाया गया। हालांकि, सह-अभियुक्त जमानत दे दी गई।

    इसलिए न्यायालय ने रेखांकित किया कि समता के आधार पर दूसरी जमानत अर्जी दायर की गई, लेकिन निचली अदालत ने मामले पर उचित रूप से विचार नहीं किया। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित पहले के आदेशों की अनदेखी करते हुए अदालत ने दूसरी जमानत अर्जी खारिज कर दी।

    इसलिए आपराधिक अपील को इस आधार पर अनुमति दी गई कि आरोपी किसी भी गवाह या कथित पीड़ितों के साथ संवाद नहीं करेगा या संवाद करने की कोशिश नहीं करेगा या उन्हें अन्यथा प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेगा। वह ट्रायल कोर्ट की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेगा। साथ ही प्रत्येक माह के तीसरे सप्ताह में पुलिस स्टेशन एटीएस, लखनऊ के जांच अधिकारी के समक्ष स्वयं उपस्थित होगा और यदि उक्त तिथि पर संभव न हो तो वह माह के अंतिम दिन तक अवश्य उपस्थित होगा।

    केस टाइटल- मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी बनाम यूपी राज्य के माध्यम से. अतिरिक्त. मुख्य सचिव. गृह विभाग लको. और 2 अन्य [आपराधिक अपील नंबर- 2869/2023]

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